त्यजेदेकं
कुलस्यार्थे
ग्रामस्यार्थे
कुलं त्यजेत।
ग्रामं
जनपदस्यार्थे
आत्मार्थे
पृथिवीं
त्यजेत्।।
'कुल
के हित के लिए
एक व्यक्ति को
त्याग दो। गाँव
के हित के लिए
कुल को त्याग
दो। देश के
हित के लिए
गाँव का
परित्याग कर
दो और आत्मा
के कल्याण के
लिए सारे
भूमंडल को
त्याग दो।'
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