~~~~~ क्षण का भी प्रमाद मृत्यु है ~~~~~~
प्रिय आत्मन् ! न तेरा पहले जन्म था न वर्त्तमान में है और न आगे होगा। यदि क्षणमात्र के लिए अपने आसन से हटेगा, अपने आपको स्वरूप में स्थित न मानेगा, प्रमाद करेगा तो वही प्रमाद विस्तीर्ण जगत हो भासेगा।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.