~~~~~निन्दा-स्तुति की उपेक्षा करें~~~~~~
निन्दा और अपमान की परवाह न करें। निर्भय रहें। प्रसन्न रहें। अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। जो डरता है उसी को दुनिया डराती हैं। यदि आपमें डर नहीं है, आप निर्भय हैं तो काल भी आपका बाल बाँका नहीं कर सकता। जो आत्मदेव में श्रद्धा रखकर निर्भयता से व्यवहार करता है वह सफलतापूर्वक आगे बढ़ता जाता है। उसे कोई रोक नहीं सकता। वह अपनी मंजिल तय करके ही रहता है।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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