आध्यात्मिक नीति-रीति
गुरू करना और बाद में उनको धोखा देकर उनका त्याग कर देना इसकी अपेक्षा गुरू नहीं करना और भवाटवी में भटकना बेहतर है। गुरू से धोखा करना यह अपनी ही कब्र खोदने का साधन है।
गुरूश्रद्धा का सक्रिय स्वरूप माने गुरू के चरण कमलों में सम्पूर्ण आत्मसमर्पण करना।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
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