अपने गुरू के प्रति अदा की हुई सेवा नैतिक फर्ज है, आध्यात्मिक ‘टॉनिक’ है। उससे मन एवं हृदय दैवी गुणों से भरपूर बनते हैं, पुष्ट बनते हैं।गुरू के प्रति अपने छोटे छोटे कर्त्तव्य निभाने में भी सतर्क रहो। आपको बहुत आनन्द एवं शान्ति की प्राप्ति होगी।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
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