दुश्मनों
का बल निकाल रहा हूँ
एक
बार साँईं जी(साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज) रस्सी
के बल सुलझा रहे थे। पूछने पर बोले कि "भारत के दुश्मनों का बल निकाल रहा
हूँ।" उन दिनों भारत-चीन युद्ध चल रहा था। दूसरे दिन समाचार आया कि
"युद्ध समाप्त हो गया और दुश्मनों का बल निकल गया।"
ब्रह्मनिष्ठ योगियों को भूत, वर्तमान
एवं भविष्य काल – ये तीनों हाथ पर रखे आँवले की तरह प्रत्यक्ष होते हैं। इसलिए
उऩके मार्गदर्शन एवं आज्ञा में चलने वालों को उनकी त्रिकालदर्शी दृष्टि का लाभ
मिलता है।
- Pujya Sant Shri Asharam Ji
Bapu

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