अत्म-निरीक्षण (प्रेरक विचार)
एक साधक ने आत्म-निरीक्षण की मधुर वेला मे आत्मा का अन्तर-दर्शन करते हुए लिखा है मैंने अपनी आत्मा को पाच बार धिक्कारा है -
१ -जब उसने ऊँचा ओहदा पाने के लिए खुशामदों और कागजी सिफारिशो का आश्रय लिया.
२ -जब उससे कहा गया कि सरल और कठिन में से एक को चुनले, तो उसने सरल को चुना.
३ -जब उसने पाप किया और यह सोच कर सन्तोष कर लिया कि दूसरे भी तो ऐसा ही। करते है.
४ -जब उसने व्यक्ति की बाह्य कुरूपता से घृणा की और यह नही जाना कि सबसे अधिक कुरूप तो उसका मन ही है.
५-जव उसने परायी निंदा के ब्याज से अपनी प्रशसा सुनी और यह न समझा कि वह उसीके भीतर का शैतान बोल रहा है।
वास्तव में यह चिंतन अपने मन की एक स्पष्ट तस्वीर हमारे सामने खीच देता है और अपने कृत्य के प्रति जागरूक बना देता है.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.