एक किसान ने कड़ी मेहनत से खून-पसीना एक करके अपना खेत तैयार किया. चिल-चिलाती धूप में बैठ कर ढेले फोड़े, मिट्टी को मुलायम बनाया और फिर वर्षा होने पर हल भी चलाया, किन्तु बीज नही डाला.
एक व्यक्ति ने दिन-रात पुस्तकों से माथापच्ची कर ज्ञान प्राप्त किया. दिन में सूर्य के प्रकाश और रात में चांद की चांदनी में बैठ कर सैकडो शास्त्र पढे, हजारों पन्ने पलटे, किन्तु सब कुछ पढ़ कर भी उसके एक अक्षर पर भी आचरण नही किया.
क्या इन दोनो की मूर्खता में कोई अन्तर हैं ? सोचिए । गहराई के साथ !!
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