लखा जो चाहे अलख को। इन्हीं में तू लख लेह ||
किसी भी देश की सच्ची संपत्ति संतजन ही होते है | ये जिस समय आविर्भूत होते हैं, उस समय के जन-समुदाय के लिए उनका जीवन ही सच्चा पथ-प्रदर्शक होता है | एक प्रसिद्ध संत तो यहाँ तक कहते हैं कि भगवान के दर्शन से भी अधिक लाभ भगवान के चरित्र सुनने से मिलता है और भगवान के चरित्र सुनने से भी ज्यादा लाभ सच्चे संतों के जीवन-चरित्र पढ़ने-सुनने से मिलता है |
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