801_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
ज्ञानवान आत्मपद को पाकर आनंदित होता है और वह आनंद कभी दूर नहीं होता, क्योंकि उसको उस आनंद के आगे अष्टसिद्धियाँ तृण के समान लगती हैं।
(श्री योग वाशिष्ठ महारामायण)
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.