Tuesday, 29 May 2012

571_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आदमी में चतुराई तो है लेकिन वह चतुराई से ठगी करके ऐश-आराम पाना चाहता है, सुखी होना चाहता है और सुख के बदले में दुःख-दर्द पैदा कर लेता है। सच्ची चतुराई तो यह है कि वह प्राप्ति में टिक जाय, अन्दर के आत्मरस में टिक जाय।

Pujya Asharam Ji Bapu

570_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सत्संग की बड़ी महिमा है कि वह प्रतीति के संस्कारों की पोल खोल देता है और प्राप्ति के संस्कारों को जगा देता है। सत्संग तो भगवान शिव भी करते थे। श्री रामचन्द्रजी अगस्त्य ऋषि के आश्रम में सत्संग हेतु जाते थे। ..
Pujya Asharam Ji Bapu

570_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आपको अगर सुखी होना हो तो आपने जो भलाई की उसे भूल जाओ और दूसरे ने थोड़ी बुराई की उसे बिसार दो तो कुटुम्ब में आनन्द और शान्ति आ जायेगी
Pujya Asharam Ji Bapu

569_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बाहर के शत्रु-मित्र का ज्यादा चिन्तन मत करो। बाहर की सफलता-असफलता में न उलझो। आँखें खोलो। शत्रु-मित्र, सफलता-असफलता सबका मूल केन्द्र वही अधिष्ठान आत्मा है और वह आत्मा तुम्हीं हो क्यों कें... कें... करके चिल्ला रहे हो, दुःखी हो रहे हो? दुःख और चिन्ताओं के बन्डल बनाकर उठा रहे हो और सिर को थका रहे हो? दूर फेंक दो सब कल्पनाओं को। 'यह ऐसा है वह ऐसा है... यह कर डालेगा... वह मार देगा.... मेरी मुसीबत हो जाएगी....!' अरे ! हजारों बम गिरे फिर भी तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। तू ऐसा अजर-अमर आत्मा है।
Pujya Asharam Ji Bapu 

Monday, 28 May 2012

568_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अन्तःकरण की दो धाराएँ होती हैं- एक होती है चिन्ता की धारा और दूसरी होती है चिन्तन की धारा, विचार की धारा।
जिसके जीवन में दिव्य विचार नहीं है, दिव्य चिन्तन नहीं है वह चिन्ता की खाई में गिरता है। चिन्ता से बुद्धि संकीर्ण होती है। चिन्ता से बुद्धि का विनाश होता है। चिन्ता से बुद्धि कुण्ठित होती है। चिन्ता से विकार पैदा होते हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu 

567_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रागरहित हुए बिना भोगी योगी नहीं हो सकता, भक्त भगवान को नहीं पा सकता, स्वार्थ सेवा में नहीं बदल सकता, जीव ब्रह्म में नहीं मिल सकता। इसलिए रागरहित होना यह जीवन का लक्ष्य होना चाहिए...

Pujya Asharam Ji Bapu

566_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

राग की वस्तु मिलने से राग मिटता नहीं, राग गहरा होता है। राग जहाँ भी आपने लगाया वहाँ दुःख दिये बिना नहीं छोड़ेगा।राग मिटाया जाता है अन्तर्मुखता से..
Pujya Asharam Ji Bapu

565_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदा स्मरण रहे कि इधर-उधर भटकती वृत्तियों के साथ तुम्हारी शक्ति भी बिखरती रहती है। अतः वृत्तियों को बहकाओ नहीं। तमाम वृत्तियों को एकत्रित करके साधना-काल में आत्मचिन्तन में लगाओ और व्यवहार-काल में जो कार्य करते हो उसमें लगाओ
 Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday, 27 May 2012

564_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सर्वदा आनन्द में, शांतमना होकर रहो...
Pujya Asharam Ji Bapu

563_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपनी ही कृति से तुम गुरु को नजदीक या दूर अनुभव करते हो। ब्रह्मज्ञानी न तो किसी को दूर धकेलते हैं, न ही नजदीक लाते हैं। तुम्हारी श्रद्धा और व्यवहार ही तुम्हें उनसे नजदीक या दूर होने का एहसास कराते हैं
Pujya Asharam Ji Bapu

562_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एक दिन तुम यह सब छोड़ जाओगे और पश्चाताप हाथ लगेगा। उससे पहले मोह-ममतारूपी पाश को विवेकरूपी कैंची से काटते रहना। बाहर के मित्रों से, सगे-सम्बन्धियों से मिलना, पर भीतर से समझनाः न कोई मित्र है न सगे-सम्बन्धी, क्योंकि ये भी सब साथ छोड़ जायेंगे। मेरा मित्र तो वह है जो अन्त में और इस शरीर की मौत के बाद भी साथ न छोड़े
 Pujya Asharam Ji Bapu

561_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसकी सत्ता से आँखे देखती हैं, जिसकी शक्ति से कान सुनते हैं, जिसकी शक्ति से दिल धड़कता है उस शक्तिदाता में अपनी बुद्धि को कभी-कभी विश्रान्ति देने का प्रयोग करो
Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 26 May 2012

560_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चलो, उठो। छोड़ो देहाभिमान को। दूर फेंको वासनाओं को। शत्रु-मित्र में, तेरे-मेरे में, कारणों के कारण, सबमें छुपा हुआ अपना दैवी स्वभाव निहारो।
Pujya Asharam Ji Bapu

559_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यक्ति जब प्रेम से सराबोर होकर 'हे भगवान ! हे खुदा ! हे प्रभु ! हे मालिक ! हे ईश्वर ! कहते हुए अहोभाव से 'हरि बोल' कहते हुए हाथों को आकाश की ओर उठाता है तो जीवनशक्ति बढ़ती है। डॉ. डायमण्ड इसको 'थायमस जेस्चर' कहते हैं। मानसिक तनाव, खिंचाव, दुःख-शोक, टेन्शन के समय यह क्रिया करने से और 'हृदय में दिव्य प्रेम की धारा बह रही है' ऐसी भावना करने से जीवन-शक्ति की सुरक्षा होती है। 
 Pujya Asharam Ji Bapu

558_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब तक देहाभिमान की नालियों में पड़े रहोगे तब तक चिन्ताओं के बन्डल तुम्हारे सिर पर लदे रहेंगे। तुम्हारा अवतार चिन्ताओं के जाल में फँस मरने के लिए नहीं हुआ है। तुम्हारा जन्म संसार की मजदूरी करने के लिए नहीं हुआ है, हरि का प्यारा होने के लिए हुआ है। हरि को भजे सो हरि का होय। ख्वामखाह चाचा मिटकर भतीजा हो रहे हो ? दुर्बल विचारों और कल्पनाओं की जाल में बँध रहे हो ? कब तक ऐसी नादानी करते रहोगे तुम ? ॐ..ॐ...ॐ...

Pujya Asharam Ji Bapu 

Friday, 25 May 2012

557_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तत्त्ववेत्ता सदगुरु के कृपा-प्रसाद को पाकर ऐसा महसूस होता है कि जीवन को महान् बनाना कठिन नहीं है। हमारा खोया हुआ खजाना फिर से पा लेना दुष्कर नहीं है।
Pujya Asharam Ji Bapu

556_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कर्म में अगर यज्ञबुद्धि आ जाय, कर्म में अगर उदारता आ जाय, स्नेह आ जाय तो वह कर्म कर्त्ता को अपने स्वरूप का भान  करा देता है..
Pujya Asharam Ji Bapu

555_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शरीर के कण बदल गये, मन का चिन्तन बदल गया, बुद्धि की बेवकूफी बदल गई, शरीर का छोटापन बदल गया। फिर भी कोई एक है जो नहीं बदला।जो नहीं बदला वही तो जानता है सारी बदलाहट को।  ऐसा जो जानता है वही है आत्मा।
Pujya Asharam Ji Bapu

554_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

लाख आदमी में अगर एक आदमी आत्मारामी हो जाय, लाख आदमी में अगर एक आदमी प्राप्ति में टिक जाय तो पृथ्वी चन्द दिनों में स्वर्ग बन जाय।
 स्वामी विवेकानन्द जी

553_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कभी किसी के दोष या अपराध पर
दृष्टि न डालें क्योंकि वास्तव में सब
रूपों में हमारा प्यारा ईष्टदेव ही क्रीड़ा
कर रहा है ....

Pujya Asharam Ji Bapu

552_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

  ईश्वर साक्षात्कार तभी होगा जब संसार की दृष्टि से प्रतीत होने वाले बड़े-से-बड़े वैरियों को भी क्षमा करने का आपका स्वभाव बन जायेगा |
 Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday, 23 May 2012

551_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वाहवाही करने वाले तो बहुत मिल जाते हैं किन्तु तुम महान बनो इस हेतु से तुम्हें सत्य सुनाकर सत्य परमात्मा की ओर आकर्षित करने वाले, ईश्वर-साक्षात्कार के मार्ग पर ले चलने वाले महापुरुष तो विरले ही होते हैं
Pujya Asharam Ji Bapu

550_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में निर्भयता आनी चाहिए। भय पाप है, निर्भयता जीवन है। जीवन में अगर निर्भयता आ जाय तो दुःख, दर्द, शोक, चिन्ताएँ दूर हो जाती हैं। 

Pujya Asharam Ji Bapu 

Tuesday, 22 May 2012

549_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

किसी भी विकार को कम मत समझो। विकारों से सदैव सौ कौस दूर रहो। भ्रमर में कितनी शक्ति होती है कि वह लकड़ी को भी छेद देता है, परंतु बेचारा फूल की सुगंध पर मोहित होकर, पराधीन होकर अपने को नष्ट कर देता है..
 Pujya Asharam Ji Bapu

548_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मा और परमात्मा की एकता का ज्ञान ही मुक्ति है।आप ईश्वर से अभिन्न हो परंतु हृदय में काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं विषयों की तृष्णा ने आत्मानंदरूपी दीपक को बुझाकर अज्ञान का अंधकार फैला दिया है।
Pujya Asharam Ji Bapu

547_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस तरह की लगन प्रेमी अपनी प्रेमिका में रखता है ठीक ऐसी ही लगन, ऐसी ही प्रीति अगर प्रभु चरणों में हो जाये तो आदमी प्रतीति से निकलकर प्राप्ति रूप परमात्मा में स्थिर हो सकता है
Pujya Asharam Ji Bapu

546_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदगुरु से प्राप्त मंत्र का ठीक प्रकार से, विधि एवं अर्थसहित, प्रेमपूर्ण हृदय से जप किया जाय तो क्या नहीं हो सकता?
मंत्र ऐसा साधन है कि हमारे भीतर सोयी हुई चेतना को वह जगा देता है, हमारी महानता को प्रकट कर देता है, हमारी सुषुप्त शक्तियों को विकसित कर देता है।

Pujya Asharam Ji Bapu

545_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदैव भलाई के कार्य करते रहो एवं दूसरों को भी अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करो। ऐसा कोई भी काम न करो, जिसे करने से तुम्हारा मन मलिन हो। यदि नेक कार्य करते रहोगे तो भगवान तुम्हें सदैव अपनी अनन्त शक्ति प्रदान करते रहेंगे।
Pujya Asharam Ji Bapu

544_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख-दुःख, मान-अपमान, हर्ष-शोक आदि द्वन्द्व शरीर के धर्म हैं। जब तक शरीर है, तब तक ये आते जाते रहेंगे, कभी कम तो कभी अधिक होते रहेंगे। उनके आने पर तुम व्याकुल मत होना। तुम पूर्ण आत्मा हो, अविनाशी हो और सुख-दुःख आने जाने वाले हैं..
 Pujya Asharam Ji Bapu

543_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हे नाथ !मै  आपको भूलूँ नही..

542_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सत्संग की बड़ी महिमा है कि वह प्रतीति के संस्कारों की पोल खोल देता है और प्राप्ति के संस्कारों को जगा देता है।
Pujya Asharam Ji Bapu

Monday, 21 May 2012

541_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख लेने की चीज नहीं है, देने की चीज है। मान लेने की चीज नहीं है, मान देने की चीज है। हम लोग मान लेना चाहते हैं, मान देना नहीं चाहते। इसलिए झंझट पैदा होती है

Pujya Asharam Ji Bapu

540_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधन-भजन-ध्यान में उत्साह, जगत में नश्वरबुद्धि और उच्चतम लक्ष्य की हमेशा स्मृति, ये तीन बातें साधक को महान् बना देती हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu

539_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


हे साधक ! तथा कथित मित्रों से, सांसारिक व्यक्तियों से अपने को बचाकर सदा एकाकी रहना। यह तेरी साधना की परम माँग है।
स्वामी रामतीर्थ प्रार्थना किया करते थेः
"हे प्रभु ! मुझे सुखों से और मित्रों से बचाओ। दुःखों से और शत्रुओं से मैं निपट लूँगा। सुख और मित्र मेरा समय व शक्ति बरबाद कर देते हैं और आसक्ति पैदा करते हैं। दुःखों में और शत्रुओं में कभी आसक्ति नहीं होती।
जब-जब साधक गिरे हैं तो तुच्छ सुखों और मित्रों के द्वारा ही गिरे हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu

538_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




विषय सुख की लोलुपता आत्मसुख प्रकट नहीं होने देती। सुख की लालच और दुःख के भय ने अन्तःकरण को मलिन कर दिया। तीव्र विवेक-वैराग्य हो, अन्तःकरण के साथ का तादात्म्य तोड़ने का सामर्थ्य हो तो अपने नित्य, मुक्त, शुद्ध, बुद्ध, व्यापक चैतन्य स्वरूप का बोध हो जाय।
 Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday, 20 May 2012

537_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बाह्य संदर्भा के बारे में सोचकर अपनी
मानसिक शांति को भंग कभी न होने दो ।

Pujya Asharam Ji Bapu

536_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चाहे करोड़ों सूर्य का प्रलय हो जाये, चाहे असंख्य चन्द्रमा पिघलकर नष्ट हो जायें परंतु ज्ञानी महापुरुष अटल एवं अचल रहते हैं ..
Pujya Asharam Ji Bapu

535_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यदि हम देहाभिमान को त्यागकर साक्षात ईश्वर को अपने शरीर में कार्य करने दें तो भगवान बुद्ध या जीसस क्राईस्ट हो जाना इतना सरल है जितना निर्धन पाल (Poor Paul) होना |
Pujya Asharam Ji Bapu 

534_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सिंह की गर्जना व नरसिंह की ललकार, तलवार की धार व साँप की
फुफकार, तपस्वी की धमकी व न्यायधीश की फटकार...इन सबमें
आपका ही प्रकाश चमक रहा है ।आप इनसे भयभीत क्यों होते हो ?

Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 19 May 2012

533_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

लख चौरासी के चक्कर से थका, खोली कमर।
अब रहा आराम पाना, काम क्या बाकी रहा?
जानना था वो ही जाना, काम क्या बाकी रहा?
लग गया पूरा निशाना, काम क्या बाकी रहा?
देह के प्रारब्ध से मिलता है सबको सब कुछ।
नाहक जग को रिझाना, काम क्या बाकी रहा?

532_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सात समंदर की मसि करौं, लेखनी सब वनराई।
धरती सब कागद करौं, गुरु गुन लिखा न जाई।।
"सातों महासागरों की स्याही बना दी जाय, पृथ्वी के सभी वनों की लेखनी (कलम) बना दी जाये और संपूर्ण पृथ्वी को कागज बना दिया जाय फिर भी गुरु के गुणगान नहीं लिखे जा सकते।"

531_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।
'जो अनन्य भाव से मेरे में स्थित हुए भक्तजन मुझ  परमेश्वर को निरंतर चिंतन करते हुए निष्कामभाव से भजते हैं, उन नित्य एकीभाव से मेरे में स्थितिवाले पुरुषों का योगक्षेम मैं स्वयं वहन करता हूँ।'
(गीताः 9.22)

530_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कुल पवित्रं जननी कृतार्था वसुन्धरा पुण्यवती च येन।
'जिस कुल में महापुरुष अवतरित होते हैं वह कुल पवित्र हो जाता है। जिस माता के गर्भ से उनका जन्म होता है वह माता कृतार्थ हो जाती है एवं जिस जगह पर वे जन्म लेते हैं वह वसुन्धरा भी पुण्यशालिनी हो जाती है।'

Friday, 18 May 2012

529_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संतों की संगति से सदैव हित होता है, जबकि दुष्ट लोगों की संगति से गुणवान मनुष्यों का भी पतन हो जाता है।
Pujya Asharam Ji Bapu

528_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

पृथ्वी पर के स्वप्न तुल्य संबंधों का
स्मरण  करके तुम नीचे  न गिरो
अपितु आत्मा-परमात्मा के संबंध
को याद करते हुए अपना ऐहिक
जीवन मंगलमय बनाओ ।

Pujya Asharam Ji Bapu

527_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

"अपने आत्मदेव से अपरिचित होने के कारण ही तुम अपने को दीन-हीन और दुःखी मानते हो। इसलिए अपनी आत्म-महिमा में जाग जाओ। 
 Pujya Asharam Ji Bapu

526_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एक घण्टा काम किया। फिर एक दो मिनट के लिए आ जाओ इन विचारों में किः 'अब तक जो कुछ किया, जो कुछ लिया, दिया, खाया, पिया, हँसे, रोये,  जो कुछ हुआ सब सपना है.... केवल अन्तर्यामी राम अपना है। हरि ॐ तत्सत्.... और सब गपशप।'
 Pujya Asharam Ji Bapu 

Thursday, 17 May 2012

525_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो लोग रूचि के अनुसार सेवा करना चाहते हैं, उनके जीवन मे बरकत नहीं आती। किन्तु जो आवश्यकता के अनुसार सेवा करते हैं, उनकी सेवा रूचि मिटाकर योग बन जाती है। पतिव्रता स्त्री जंगल में नहीं जाती, गुफा में नहीं बैठती। वह अपनी रूचि पति की सेवा में लगा देती है। उसकी अपनी रूचि बचती ही नहीं है। अतः उसका चित्त स्वयमेव योग में आ जाता है। वह जो बोलती है, ऐसा प्रकृति करने लगती है।
Pujya Asharam Ji Bapu 

524_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


संसार का तट वैराग्य है। विवेक पैदा होते ही वैराग्य का जन्म होता है। जिसके जीवन में वैराग्यरूपी धन आ गया है वह धन्य है।

Pujya Asharam Ji Bapu

523_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

विघ्न, बाधाएँ, दुःख, संघर्ष, विरोध आते हैं वे तुम्हारी भीतर की शक्ति जगाने कि लिए आते है। जिस पेड़ ने आँधी-तूफान नहीं सहे उस पेड़ की जड़ें जमीन के भीतर मजबूत नहीं होंगी। जिस पेड़ ने जितने अधिक आँधी तूफान सहे और खड़ा रहा है उतनी ही उसकी नींव मजबूत है। ऐसे ही दुःख, अपमान, विरोध आयें तो ईश्वर का सहारा लेकर अपने ज्ञान की नींव मजबूत करते जाना चाहिए। दुःख, विघ्न, बाधाएँ इसलिए आती हैं कि तुम्हारे ज्ञान की जड़ें गहरी जायें। लेकिन हम लोग डर जाते है। ज्ञान के मूल को उखाड़ देते हैं।

Pujya Asharam Ji Bapu