Sunday, 27 May 2012

562_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एक दिन तुम यह सब छोड़ जाओगे और पश्चाताप हाथ लगेगा। उससे पहले मोह-ममतारूपी पाश को विवेकरूपी कैंची से काटते रहना। बाहर के मित्रों से, सगे-सम्बन्धियों से मिलना, पर भीतर से समझनाः न कोई मित्र है न सगे-सम्बन्धी, क्योंकि ये भी सब साथ छोड़ जायेंगे। मेरा मित्र तो वह है जो अन्त में और इस शरीर की मौत के बाद भी साथ न छोड़े
 Pujya Asharam Ji Bapu

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