Monday, 21 May 2012

538_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




विषय सुख की लोलुपता आत्मसुख प्रकट नहीं होने देती। सुख की लालच और दुःख के भय ने अन्तःकरण को मलिन कर दिया। तीव्र विवेक-वैराग्य हो, अन्तःकरण के साथ का तादात्म्य तोड़ने का सामर्थ्य हो तो अपने नित्य, मुक्त, शुद्ध, बुद्ध, व्यापक चैतन्य स्वरूप का बोध हो जाय।
 Pujya Asharam Ji Bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.