Thursday, 31 January 2013
Wednesday, 30 January 2013
Monday, 28 January 2013
1030_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
लड़का
सोचे किः 'पत्नी
मिल जाय तो
अकेलापन
मिटे।'
लड़की सोचे
किः 'पति
मिल जाय तो
अकेलापन
मिटे।'
नहीं.... जो लोग
समझ से रहित
हैं, विवेक
विचार से रहित
हैं उन
नादानों को
जीवन में
अकेलापन खटकता
है। वरना,
जिनके पास समझ
है वे
सौभाग्यशाली साधक
अपने को एकदम
खाली, एकदम
अकेला, रूखा
महसूस नहीं
करते। वे अपने
साथ परम चेतना
का अस्तित्व
महसूस करते हैं,
ईश्वर के
सान्निध्य की
भावना करके
तृप्ति-सुख
भोगते हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu
-Pujya Asharam Ji Bapu
Sunday, 27 January 2013
1029_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं
तत्परः संयतेन्द्रियः
।
अर्थात्
जितेन्द्रिय, तत्पर
हुआ
श्रद्धावान
पुरुष ज्ञान
को प्राप्त होता
है।
ऐसा
कौन-सा मनुष्य
है जो संयम और
श्रद्धा के द्वारा
भवसागर से
पार न हो सके ? उसे
ज्ञान की
प्राप्ति न हो
? परमात्म-पद
में स्थिति न
हो?
-Pujya Asharam Ji Bapu
Friday, 25 January 2013
Thursday, 24 January 2013
Wednesday, 23 January 2013
Tuesday, 22 January 2013
Monday, 21 January 2013
Sunday, 20 January 2013
Saturday, 19 January 2013
Friday, 18 January 2013
Thursday, 17 January 2013
Wednesday, 16 January 2013
Tuesday, 15 January 2013
Monday, 14 January 2013
1015_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जब
तक
निश्चिंतस्वरूप
परब्रह्म
परमात्मा की
उपासना नहीं
की, जब तक परमात्मा
का चिन्तन
करके
परमात्मामय
नहीं हुए तब
तक तुम्हारे
रूपये
तुम्हारी
रक्षा नहीं कर
सकते, तुम्हारे
मित्र
तुम्हारी
रक्षा नहीं कर
सकते, चँवर
डुलानेवाली
रानियाँ और
दासियाँ
तुम्हारी
रक्षा नहीं कर
सकतीं,
तुम्हारे वजीर
और सचिव
तुम्हारी
रक्षा नहीं कर
सकते। परम
सुरक्षित तो
तुम्हारी
आत्मा है।
-Pujya Asharam Ji Bapu
-Pujya Asharam Ji Bapu
Sunday, 13 January 2013
Saturday, 12 January 2013
Friday, 11 January 2013
Wednesday, 9 January 2013
Monday, 7 January 2013
Sunday, 6 January 2013
1006_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जीवन में
ऐसे कर्म किये
जायें कि एक
यज्ञ बन जाय।
दिन में ऐसे
कर्म करो कि
रात को आराम
से नींद आये।
आठ मास में
ऐसे कर्म करो
कि वर्षा के
चार मास निश्चिन्तता
से जी सकें।
जीवन में ऐसे
कर्म करो कि
जीवन की शाम
होने से पहले
जीवनदाता से
मुलाकात हो
जाय। ये सब
कर्म
यज्ञार्थ
कर्म कहे जाते
हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu
-Pujya Asharam Ji Bapu