Monday, 30 April 2012

444_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम ईश्वर में डट जाओ। तुम्हारा दुश्मन वही करेगा जो तुम्हारे हित में होगा। ॐ का जप करने से और सच्चे आत्मवेत्ता संतों की शरण में जाने से कुदरत ऐसा रंग बदल देती है कि भविष्य ऊँचा उठ जाता है।
 Pujya Asharam Ji Bapu

443_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 क्रोधी यदि आपको शाप दे और आप समत्व में स्थिर रहो,
 कुछ न बोलो तो उसका शाप आशीर्वाद में बदल जायेगा

Pujya Asharam Ji Bapu

442_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःख का पहाड़ गिरता हो और तुम परमात्मा में डट जाओ तो वह पहाड़ रास्ता बदले बिना नहीं रह सकता
 Pujya Asharam Ji Bapu

441_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रज्जब रोष न कीजिये कोई कहे क्यों ही |
हँसकर उत्तर दीजिये हाँ बाबाजी ! यों ही ||

440_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है '
अंधेरों में मिल रही रौशनी है "

439_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


अलख पुरुष की आरसी, साधु का ही देह |
लखा जो चाहे अलख को। इन्हीं में तू लख लेह ||

Sunday, 29 April 2012

438_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में निम्नलिखित आठ गुण हों तो वह बड़ा यशस्वी हो जाता हैः
शांत स्वभाव, उत्साह, सत्यनिष्ठा, धैर्य, सहनशक्ति, नम्रता, समता, साहस।

Pujya Asharam Ji Bapu

437_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब बुद्धि एवं हृदय एक हो जाते हैं
तब सारा जीवन साधना बन जाता है।

Pujya Asharam Ji Bapu

436_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नानक जी कहते हैं-
संगी साथी चले गये सारे कोई न निभियो साथ।
कह नानक इह विपत में टेक एक रघुनाथ।।

435_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब भगवान के सिवाय सब बेकार लगे तो समझो कि वह पहली भूमिका पर पहुँचा है । उसके लिए विघ्न-बाधाएँ साधन बन जाएँगी । विघ्न-बाधाएँ जीवन का संगीत है । विघ्न-बाधाएँ नहीं आयें तो संगीत छिड़ेगा नहीं
 Pujya Asharam Ji Bapu

434_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो जाहू ते उपजा लीन ताहि में जान।
जैसा स्वप्ना रैन का तैसा यह संसार।।

433_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बंदगी का था कसूर बंदा मुझे बना दिया।
मैं खुद से था बेखबर तभी तो सिर झुका दिया।।
वे थे न मुझसे दूर न मैं उनसे दूर था।
आता न था नजर तो नजर का कसूर था।।

Saturday, 28 April 2012

432_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जितने भी दुःख, दर्द, पीड़ाएँ हैं, चित्त को क्षोभ कराने वाले.... जन्मों में भटकानेवाले...... अशांति देने वाले कर्म हैं वे सब सदगुणों के अभाव में ही होते हैं
 Pujya Asharam Ji Bapu

431_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


बृहन्नारदीय पुराण' में कहा हैः
संकीर्तनध्वनिं श्रुत्वा ये च नृत्यन्तिमानवाः।
तेषां पादरजस्पर्शान्सद्यः पूता वसुन्धरा।।
'जो भगवन्नाम की ध्वनि को सुनकर प्रेम में तन्मय होकर नृत्य करते हैं, उनकी चरणरज से पृथ्वी शीघ्र ही पवित्र हो जाती है।'

430_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गलिते देहाध्यासे विज्ञाते परमात्मनि।
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः।।
जब देहाध्यास गलित हो जाता है, परमात्मा का ज्ञान हो जाता है, तब जहाँ-जहाँ मन जाता है, वहाँ-वहाँ समाधि का अनुभव होता है, समाधि का आनन्द आता है।
देहाध्यास गलाने के लिए ही सारी साधनाएँ हैं। परमात्मा-प्राप्ति के लिये जिसको तड़प होती है, जो अनन्य भाव से भगवान को भजता है, 'परमात्मा से हम परमात्मा ही चाहते हैं.... और कुछ नहीं चाहते.....' ऐसी अव्यभिचारिणी भक्ति जिसके हृदय में है, उसके हृदय में भगवान ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu 

429_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सम्राट के साथ राज्य करना भी बुरा है न जाने कब रुला दे।
संत के साथ भीख माँगकर रहना भी अच्छा है न जाने कब मिला दे।।

428_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अन्तःकरण की प्रसन्नता होने पर इसके सम्पूर्ण दुःखों का अभाव हो जाता है और उस प्रसन्न चित्तवाले योगी की बुद्धि शीघ्र ही सब ओर से हटकर एक परमात्मा में ही भली भाँति स्थिर हो जाती है।
Pujya Asharam Ji Bapu

Friday, 27 April 2012

427_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'आत्मज्ञान में प्रीति, निरन्तर आत्मविचार और सत्पुरूषों का सान्निध्य' – यही आत्म-साक्षात्कार की कुँजियाँ हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu 

426_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सफलता का रहस्य है आत्म-श्रद्धा, आत्म-प्रीति, अन्तर्मुखता, प्राणीमात्र के लिए प्रेम, परहित-परायणता।
परहित बस जिनके मन मांही
तिनको जग दुर्लभ कछु नाहीं ।।
Pujya Asharam Ji Bapu

425_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आलस कबहुँ न कीजिए, आलस अरि सम जानि।
आलस से विद्या घटे, सुख-सम्पत्ति की हानि।।
आलस्य और प्रमाद मनुष्य की योग्याताओं के शत्रु हैं। अपनी योग्यता विकसित करने के लिए भी तत्परता से कार्य करना चाहिए। जिसकी कम समय में सुन्दर, सुचारू व अधिक-से-अधिक कार्य करने की कला विकसित है, वह आध्यात्मिक जगत में जाता है तो वहाँ भी सफल हो जायगा और लौकिक जगत में भी। लेकिन समय बरबाद करने वाला, टालमटोल करने वाला तो व्यवहार में भी विफल रहता है और परमार्थ में तो सफल हो ही नहीं सकता।
 Pujya Asharam Ji Bapu

424_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चरित्र एक शक्तिशाली उपकरण है जो शांति, धैर्य, स्नेह, प्रेम, सरलता, नम्रता आदि दैवी गुणों को निखारता है। यह उस पुष्प की भाँति है जो अपना सौरभ सुदूर देशों तक फैलाता है। महान विचार तथा उज्जवल चरित्र वाले व्यक्ति का ओज चुंबक की भाँति प्रभावशाली होता है।
 Pujya Asharam Ji Bapu

423_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सात बातें बड़ी हानिकारक हैं-
अधिक बोलना, व्यर्थ का भटकना, अधिक शयन, अधिक भोजन, श्रृंगार, हीन भावना और अहंकार।
जीवन में निम्नलिखित आठ गुण हों तो वह बड़ा यशस्वी हो जाता हैः
शांत स्वभाव, उत्साह, सत्यनिष्ठा, धैर्य, सहनशक्ति, नम्रता, समता, साहस।
 Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday, 26 April 2012

422_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

काम सताता हो तो भगवान नृसिंह का चिन्तन करने से काम से रक्षा होती है। नृसिंह भगवान ने कामना के पुतले हिरण्यकशिपु को चीर डाला था। भगवान के उग्र रूप का स्मरण-चिन्तन करने से कामावेग शांत हो जाता है।
अनुष्ठान से पहले "यौवन सुरक्षा" पुस्तक का गहन अध्ययन कर लेना बड़ा हितकारी होगा। ब्रह्मचर्यरक्षा के लिए एक मंत्र भी हैः
ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितं मनः स्तंभ कुरु कुरु स्वाहा।
रोज दूध में निहार कर 21 बार इस मंत्र का जप करें और दूध पी लें। इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होती है। स्वभाव में आत्मसात् कर लेने जैसा यह नियम है।
Pujya Asharam Ji Bapu 

421_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

          गुरुदेव दया कर दो मुझ पर


गुरुदेव दया कर दो मुझ पर,
मुझे अपनी शरण में रहने दो।
मुझे ज्ञान के सागर से स्वामी,
अब निर्मल गागर भरने दो।।1।।
तुम्हारी शरण में जो कोई आया,
पार हुआ वो एक ही पल में।
इसी दर पे हम भी आये हैं,
इस दर पे गुजारा करने दो।।2।।
मुझे ज्ञान के...
सर पे छाया घोर अँधेरा,
सूझत नाँही राह कोई।
ये नयन मेरे और ज्योत तेरी,
इन नयनों को भी बहने दो।।3।।
... मुझे ज्ञान के..
चाहे डुबा दो चाहे तैरा दो
मर भी गये तो देंगे दुआएँ।
ये नाव मेरी और हाथ तेरे,
मुझे भवसागर से तरने दो।।4।।
मुझे ज्ञान के ....
ॐ गुरु ॐ गुरु

420_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तू अपनी चतुराई के बल पर हरि को कितना भी खोजता फिर, कितना भी कष्ट सहन कर परंतु चित्त में भ्रम बना रहने से ज्ञान का प्रकाश नहीं होगा। तू अपनी चतुराई छोड़ तो आत्मा का ज्ञान अपने आप तेरे चित्त में प्रकाशित होगा।
Pujya Asharam Ji Bapu

419_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'जो एक बार भी मेरी शरण में आकर 'मैं तुम्हारा हूँ' ऐसा कहकर रक्षा की याचना करता है, उसे मैं सम्पूर्ण प्राणियों से अभय कर देता हूँ – यह मेरा व्रत है।'
वाल्मीकि रामायण (6.18.33)


418_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गीता मानव में से महेश्वर का निर्माण करने की शक्ति रखती है। गीता मृत्यु के पश्चात नहीं, वरन् जीते-जी मुक्ति का अनुभव कराने का सामर्थ्य रखती है।
 Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday, 25 April 2012

417_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'श्री गुरु गीता' में भगवान शंकर भी भगवती पार्वती से कहते हैं –

यस्य स्मरणमात्रेण ज्ञानमुत्पद्यते स्वयम्
सः एव सर्वसम्पत्तिः तस्मात्संपूजयेद् गुरुम् ।।

जिनके स्मरण मात्र से ज्ञान अपने आप प्रकट होने लगता है और वे ही सर्व (शमदमादि) सम्पदा रूप हैं, अतः श्री गुरुदेव की पूजा करनी चाहिए।
Pujya Asharam Ji Bapu 

416_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आप स्वप्नदृष्टा हैं और यह जगत आपका ही स्वप्न है | बस, जिस क्षण यह ज्ञान हो जायेगा उसी क्षण आप मुक्त हो जाएँगे |
Pujya Asharam Ji Bapu

415_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गम की अन्धेरी रात में दिल को न बेकरार कर।
सुबह जरूर आयेगी सुबह का इन्तजार कर।।
घबराहट से तुम्हारी योग्यता क्षीण हो जाती है। जब डर आये तो समझो यह पाप का द्योतक है। पाप की उपज डर है। अविद्या की उपज डर है। अज्ञान की उपज डर है। निर्भयता ज्ञान की उपज है। निर्भयता आती है इन्द्रियों का संयम करने से, आत्मविचार करने से। 'मैं देह नहीं हूँ.... मैं अमर आत्मा हूँ। एक बम ही नहीं, विश्वभर के सब बम मिलकर भी शरीर के ऊपर गिर पड़ें तो भी शरीर के भीतर का जो आत्मचैतन्य है उसका बाल बाँका भी नहीं होता। वह चैतन्य आत्मा मैं हूँ। सोऽहम्.... इस प्रकार आत्मा में जागने का अभ्यास करो। 'सोऽहम् का अजपाजाप करो। अपने सोऽहम् स्वभाव में टिको।
 Pujya Asharam Ji Bapu

414_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यह कौन-सा उकदा जो हो नहीं सकता?
तेरा जी न चाहे तो हो नहीं सकता।
छोटा-सा कीड़ा पत्थर में घर करे....
इन्सान क्या दिले दिलबर में घर न करे?
तुममें ईश्वर की अथाह शक्ति छुपी है। परमात्मा का अनुपम बल छुपा है। तुम चाहो तो ऐसी ऊँचाई पर पहुँच सकते हो कि तुम्हारा दीदार करके लोग अपना भाग्य बना लें। तुम ब्रह्मवेत्ता बन सकते हो ऐसा तत्त्व तुममें छुपा है। लेकिन अभागे विषयों ने, तुम्हारे नकारात्मक विचारों ने, दुर्बल ख्यालों ने, चुगली, निन्दा और शिकायत की आदतों ने, रजो और तमोगुण ने तुम्हारी शक्ति को बिखेर दिया है।
 Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday, 24 April 2012

413_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गुरूभक्तियोग अमरत्व, परम सुख, मुक्ति, सम्पूर्णता, शाश्वत आनन्द और चिरंतन शान्ति प्रदान करता है।
श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती

412_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब-जब जीवन सम्बन्धी शोक और चिन्ता घेरने लगे तब-तब अपने आनन्दस्वरूप का गान करते-करते उस मोह-माया को भगा दो
Pujya Asharam Ji Bapu 

410_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस प्रभु ने हमें मानव जीवन देकर स्वाधीनता दी कि हम जब चाहें तब धर्मात्मा होकर, भक्त होकर, जीवन्मुक्त होकर, कृतकृत्य हो सकते हैं- उस प्रभु की महिमा गाओ | गाओ नहीं, तो सुनो | सुनो भी नहीं, गाओ भी नहीं तो स्वीकार कर लो
 Pujya Asharam Ji Bapu

409_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

     आप सदैव मुक्त हैं, ऐसा विश्वास दृढ़ करो तो आप विश्व के उद्धारक हो जाते हो | आप यदि वेदान्त के स्वर के साथ स्वर मिलाकर निश्चय करो : 'आप कभी शरीर थे | आप नित्य, शुद्ध, बुद्ध आत्मा हो...' तो अखिल ब्रह्माण्ड के मोक्षदाता हो जाते हो
 Pujya Asharam Ji Bapu

408_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

         आप ज्यों-ही इच्छा से ऊपर उठेते हो, त्यों-ही आपका इच्छित पदार्थ आपको खोजने लगता है | अतः पदार्थ से ऊपर उठो | यही नियम है | ज्यों-ज्यों आप इच्छुक, भिक्षुक, याचक का भाव धारण करते हो, त्यों-त्यों आप ठुकराये जाते हो
 Pujya Asharam Ji Bapu

407_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निश्चिन्तता के दो सूत्र : जो कार्य करना जरूरी है उसे पूरा कर दो | जो बिनजरूरी है उसे भूल जाओ

Pujya Asharam Ji Bapu

406_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हम यदि निर्भय होंगे तो शेर को भी जीतकर उसे पाल सकेंगे | यदि डरेंगे तो कुत्ता भी हमें फ़ाड़ खायेगा |
 Pujya Asharam Ji Bapu

Monday, 23 April 2012

405_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'हमारा क्या.....? जो करेगा सो भरेगा...' ऐसी कायरता प्रायः भगतड़ों में आ जाती है। ऐसे लोग भक्त नहीं कहे जाते, भगतड़े कहे जाते हैं। भक्त तो वह है जो संसार में रहते हुए, माया में रहते हुए माया से पार रहे।
भगत जगत को ठगत है भगत को ठगे न कोई।
एक बार जो भगत ठगे अखण्ड यज्ञ फल होई।।
भक्त उसका नाम नहीं जो भागता रहे। भक्त उसका नाम नहीं जो कायर हो जाय। भक्त उसका नाम नहीं जो मार खाता रहे।
 Pujya Asharam Ji Bapu

404_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख देवे दुःख को हरे करे पाप का अन्त
    कह कबीर वे कब मिलें परम स्नेही सन्त ।।

403_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपनी आत्मा में डूब जाना यह सबसे बड़ा परोपकार है
 Pujya Asharam Ji Bapu

402_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हमारे घरों में क्या होता है ? सास ने कभी कुछ कह दिया, कुछ थोड़ी गड़बड़ कर दी तो बहू मौका ढूँढती रहती है और बहू ने कुछ कर दिया तो सास ऐसे मौके की तलाश में रहती है कि कभी न कभी इस चुड़ैल को सुना दूँगी। सास बहू को सुनाना चाहती है और बहू सास को सुनाना चाहती है। लेकिन सास और बहू दोनों अगर अपने अन्तरात्मा की आवाज एक दूसरे को सुना दे किः
तुझमें राम मुझमें राम सबमें राम समाया है।
कर लो सभी से प्यार जगत में कोई नहीं पराया है।।
....तो महाराज ! घर में रामराज्य हो जायगा। परिवार में रामराज्य हो जायगा।
Pujya Asharam Ji Bapu 

Sunday, 22 April 2012

401_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संसार में केवल एक ही रोग है | ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या - इस वेदांतिक नियम का भंग ही सर्व व्याधियों का मूल है | वह कभी एक दुख का रूप लेता है तो कभी दूसरे दुख का | इन सर्व व्याधियों की एक ही दवा है : अपने वास्तविक स्वरूप ब्रह्मत्व में जाग जाना |
 Pujya Asharam Ji Bapu

400_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःख के सदुपयोग से जीवन की शक्ति का विकास होता है और सुख के सदुपयोग से जीवन में सजगता आती है, जीवनतत्त्व की जागृति होती है। दुःख से घबड़ाने से कमजोरी बढ़ती है और सुख में फँस जाने से विलासिता बढ़ती है। सुख बाँधकर कमजोर करता है और दुःख डराकर कमजोर करता है। ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिसके पास सुख और दुःख न आते हों। 
 Pujya Asharam Ji Bapu

399_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुलसीदास जी कहते हैं-
घट में है सूझे नहीं, लानत ऐसे जिन्द।
तुलसी ऐसे जीव को, भयो मोतियाबिन्द।।
गहरा श्वास लेकर ॐ का गुंजन करो.... बार-बार गुंजन करो और आनन्दस्वरूप आत्मरस में डूबते जाओ। कोई विचार उठे तो विवेक जगाओ कि, मैं विचार नहीं हूँ। विचार उठ रहा है मुझ चैतन्यस्वरूप आत्मा से। एक विचार उठा.... लीन हो गया.. दूसरा विचार उठा... लीन हो गया। इन विचारों को देखने वाला मैं साक्षी आत्मा हूँ। दो विचारों के बीच में जो चित्त की प्रशांत अवस्था है वह आत्मा मैं हूँ। मुझे आत्मदर्शन की झलक मिल रही है....। ॐ आनंद.... खूब शांति। मन की चंचलता मिट रही है.... आनंदस्वरूप आत्मा में मैं विश्राम पा रहा हूँ।
 Pujya Asharam Ji Bapu

398_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यर्थ के भोगों से बचने के लिए परोपकार करो और व्यर्थ चिन्तन से दूर रहने के लिए ब्रह्मचिन्तन करो। व्यर्थ के भोगों और व्यर्थ चिन्तन से बचे तो ब्रह्मचिन्तन करना नहीं पड़ेगा, वह स्वतः ही होने लगेगा
Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 21 April 2012

397_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदा ॐकार का गान करो । जब भय व चिन्ता के
विचार आयें तब किसी मस्त संत-फकीर, महात्मा
के सान्निध्य का स्मरण करो । जब निन्दा-प्रशंसा
के प्रसंग आयें तब महापुरुषों के जीवन का
अवलोकन करो

Pujya Asharam Ji Bapu

396_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हरेक पदार्थ पर से अपने मोह को
हटा लो और एक सत्य पर, एक
तथ्य पर, अपने ईश्वर पर समग्र
ध्यान को केन्द्रित करो । तुरन्त
आपको आत्म-साक्षात्कार होगा ।

Pujya Asharam Ji Bapu

395_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधक को चाहिये कि अपने लक्ष्य
को दृष्टि में रखकर साधना-पथ पर
तीर की तरह सीधा चला जाये । न
इधर देखे न उधर । दृष्टि यदि
इधर-उधर जाती हो तो समझना कि
निष्ठा स्थिर नहीं है ।

Pujya Asharam Ji Bapu