Monday, 30 April 2012
Sunday, 29 April 2012
Saturday, 28 April 2012
430_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गलिते
देहाध्यासे
विज्ञाते
परमात्मनि।
यत्र
यत्र मनो याति
तत्र तत्र
समाधयः।।
जब
देहाध्यास
गलित हो जाता
है, परमात्मा
का ज्ञान हो
जाता है, तब
जहाँ-जहाँ मन
जाता है,
वहाँ-वहाँ
समाधि का
अनुभव होता
है, समाधि का
आनन्द आता है।
देहाध्यास
गलाने के लिए
ही सारी
साधनाएँ हैं।
परमात्मा-प्राप्ति
के लिये जिसको
तड़प होती है,
जो अनन्य भाव
से भगवान को
भजता है, 'परमात्मा
से हम
परमात्मा ही
चाहते हैं.... और
कुछ नहीं
चाहते.....' ऐसी
अव्यभिचारिणी
भक्ति जिसके
हृदय में है,
उसके हृदय में
भगवान ज्ञान
का प्रकाश भर
देते हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu
Friday, 27 April 2012
425_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
आलस
कबहुँ न कीजिए, आलस
अरि सम जानि।
आलस
से विद्या घटे, सुख-सम्पत्ति
की हानि।।
आलस्य और
प्रमाद
मनुष्य की
योग्याताओं
के शत्रु हैं।
अपनी योग्यता
विकसित करने
के लिए भी तत्परता
से कार्य करना
चाहिए। जिसकी
कम समय में
सुन्दर,
सुचारू व
अधिक-से-अधिक
कार्य करने की
कला विकसित
है, वह
आध्यात्मिक
जगत में जाता
है तो वहाँ भी
सफल हो जायगा
और लौकिक जगत
में भी। लेकिन
समय बरबाद
करने वाला,
टालमटोल करने
वाला तो
व्यवहार में
भी विफल रहता
है और परमार्थ
में तो सफल हो
ही नहीं सकता।Pujya Asharam Ji Bapu
Thursday, 26 April 2012
422_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
काम
सताता हो तो भगवान
नृसिंह का
चिन्तन करने
से काम से
रक्षा होती
है। नृसिंह
भगवान ने
कामना के
पुतले
हिरण्यकशिपु
को चीर डाला
था। भगवान के
उग्र रूप का
स्मरण-चिन्तन
करने से
कामावेग शांत
हो जाता है।
अनुष्ठान
से पहले "यौवन
सुरक्षा" पुस्तक
का गहन अध्ययन
कर लेना बड़ा
हितकारी होगा।
ब्रह्मचर्यरक्षा
के लिए एक
मंत्र भी हैः
ॐ
नमो भगवते
महाबले
पराक्रमाय
मनोभिलाषितं मनः
स्तंभ कुरु
कुरु स्वाहा।
रोज दूध
में निहार कर 21
बार इस मंत्र
का जप करें और
दूध पी लें।
इससे
ब्रह्मचर्य
की रक्षा होती
है। स्वभाव
में आत्मसात्
कर लेने जैसा
यह नियम है।
Pujya Asharam Ji Bapu
421_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरुदेव दया कर दो मुझ पर
गुरुदेव
दया कर दो मुझ पर,
मुझे
अपनी शरण में रहने
दो।
मुझे
ज्ञान के सागर
से स्वामी,
अब निर्मल
गागर भरने दो।।1।।
तुम्हारी
शरण में जो कोई
आया,
पार
हुआ वो एक ही पल
में।
इसी
दर पे हम भी आये
हैं,
इस दर
पे गुजारा करने
दो।।2।।
मुझे
ज्ञान के...
सर पे
छाया घोर अँधेरा,
सूझत
नाँही राह कोई।
ये नयन
मेरे और ज्योत
तेरी,
इन नयनों
को भी बहने दो।।3।।
... मुझे
ज्ञान के..
चाहे
डुबा दो चाहे तैरा
दो
मर भी
गये तो देंगे दुआएँ।
ये नाव
मेरी और हाथ तेरे,
मुझे
भवसागर से तरने
दो।।4।।
मुझे
ज्ञान के ....
ॐ गुरु
ॐ गुरु
Wednesday, 25 April 2012
417_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
यस्य
स्मरणमात्रेण
ज्ञानमुत्पद्यते
स्वयम् ।
सः एव
सर्वसम्पत्तिः
तस्मात्संपूजयेद्
गुरुम् ।।
जिनके स्मरण
मात्र से
ज्ञान अपने आप
प्रकट होने
लगता है और वे
ही सर्व
(शमदमादि)
सम्पदा रूप हैं,
अतः श्री
गुरुदेव की
पूजा करनी
चाहिए।
Pujya Asharam Ji Bapu
415_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गम
की अन्धेरी
रात में दिल
को न बेकरार
कर।
सुबह
जरूर आयेगी
सुबह का
इन्तजार कर।।
घबराहट से
तुम्हारी
योग्यता
क्षीण हो जाती
है। जब डर आये
तो समझो यह
पाप का द्योतक
है। पाप की
उपज डर है।
अविद्या की
उपज डर है।
अज्ञान की उपज
डर है।
निर्भयता
ज्ञान की उपज
है। निर्भयता
आती है
इन्द्रियों
का संयम करने
से, आत्मविचार
करने से। 'मैं
देह नहीं हूँ....
मैं अमर आत्मा
हूँ। एक बम ही नहीं,
विश्वभर के सब
बम मिलकर भी
शरीर के ऊपर
गिर पड़ें तो
भी शरीर के
भीतर का जो
आत्मचैतन्य
है उसका बाल
बाँका भी नहीं
होता। वह
चैतन्य आत्मा
मैं हूँ। सोऽहम्....
इस प्रकार
आत्मा में
जागने का
अभ्यास करो। 'सोऽहम्
का अजपाजाप
करो। अपने
सोऽहम्
स्वभाव में
टिको।
Pujya Asharam Ji Bapu
414_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
यह
कौन-सा उकदा
जो हो नहीं
सकता?
तेरा
जी न चाहे तो
हो नहीं सकता।
छोटा-सा
कीड़ा पत्थर
में घर करे....
इन्सान
क्या दिले
दिलबर में घर
न करे?
तुममें
ईश्वर की अथाह
शक्ति छुपी
है। परमात्मा
का अनुपम बल
छुपा है। तुम
चाहो तो ऐसी
ऊँचाई पर
पहुँच सकते हो
कि तुम्हारा
दीदार करके
लोग अपना
भाग्य बना लें।
तुम
ब्रह्मवेत्ता
बन सकते हो
ऐसा तत्त्व तुममें
छुपा है।
लेकिन अभागे
विषयों ने,
तुम्हारे
नकारात्मक
विचारों ने,
दुर्बल
ख्यालों ने,
चुगली, निन्दा
और शिकायत की
आदतों ने, रजो
और तमोगुण ने
तुम्हारी
शक्ति को
बिखेर दिया
है।Pujya Asharam Ji Bapu
Tuesday, 24 April 2012
Monday, 23 April 2012
405_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
'हमारा
क्या.....?
जो करेगा सो
भरेगा...'
ऐसी कायरता
प्रायः
भगतड़ों में आ
जाती है। ऐसे
लोग भक्त नहीं
कहे जाते,
भगतड़े कहे
जाते हैं।
भक्त तो वह है
जो संसार में
रहते हुए,
माया में रहते
हुए माया से
पार रहे।
भगत
जगत को ठगत है
भगत को ठगे न
कोई।
एक
बार जो भगत
ठगे अखण्ड
यज्ञ फल होई।।
भक्त उसका
नाम नहीं जो
भागता रहे।
भक्त उसका नाम
नहीं जो कायर
हो जाय। भक्त
उसका नाम नहीं
जो मार खाता
रहे।
Pujya Asharam Ji Bapu
402_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
हमारे
घरों में क्या
होता है ? सास ने
कभी कुछ कह
दिया, कुछ
थोड़ी गड़बड़
कर दी तो बहू
मौका ढूँढती
रहती है और
बहू ने कुछ कर
दिया तो सास
ऐसे मौके की
तलाश में रहती
है कि कभी न
कभी इस चुड़ैल
को सुना
दूँगी। सास
बहू को सुनाना
चाहती है और
बहू सास को
सुनाना चाहती
है। लेकिन सास
और बहू दोनों
अगर अपने
अन्तरात्मा
की आवाज एक
दूसरे को सुना
दे किः
तुझमें
राम मुझमें
राम सबमें राम
समाया है।
कर
लो सभी से
प्यार जगत में
कोई नहीं
पराया है।।
....तो
महाराज ! घर में
रामराज्य हो
जायगा।
परिवार में
रामराज्य हो
जायगा।
Pujya Asharam Ji Bapu
Sunday, 22 April 2012
400_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
दुःख
के सदुपयोग से
जीवन की शक्ति
का विकास होता
है और सुख के
सदुपयोग से
जीवन में
सजगता आती है,
जीवनतत्त्व
की जागृति
होती है। दुःख
से घबड़ाने से
कमजोरी बढ़ती
है और सुख में
फँस जाने से
विलासिता
बढ़ती है। सुख
बाँधकर कमजोर
करता है और
दुःख डराकर
कमजोर करता है।
ऐसा कोई
मनुष्य नहीं
जिसके पास सुख
और दुःख न आते
हों।
Pujya Asharam Ji Bapu
Pujya Asharam Ji Bapu
399_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
तुलसीदास
जी कहते हैं-
घट
में है सूझे
नहीं, लानत
ऐसे जिन्द।
तुलसी
ऐसे जीव को, भयो
मोतियाबिन्द।।
गहरा
श्वास लेकर ॐ
का गुंजन करो....
बार-बार गुंजन
करो और
आनन्दस्वरूप
आत्मरस में
डूबते जाओ। कोई
विचार उठे तो
विवेक जगाओ
कि, मैं विचार
नहीं हूँ।
विचार उठ रहा
है मुझ चैतन्यस्वरूप
आत्मा से। एक
विचार उठा....
लीन हो गया.. दूसरा
विचार उठा...
लीन हो गया।
इन विचारों को
देखने वाला
मैं साक्षी
आत्मा हूँ। दो
विचारों के
बीच में जो
चित्त की
प्रशांत
अवस्था है वह
आत्मा मैं
हूँ। मुझे
आत्मदर्शन की
झलक मिल रही है....।
ॐ आनंद.... खूब
शांति। मन की
चंचलता मिट
रही है....
आनंदस्वरूप
आत्मा में मैं
विश्राम पा
रहा हूँ।
Pujya Asharam Ji Bapu