Saturday, 28 April 2012

431_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


बृहन्नारदीय पुराण' में कहा हैः
संकीर्तनध्वनिं श्रुत्वा ये च नृत्यन्तिमानवाः।
तेषां पादरजस्पर्शान्सद्यः पूता वसुन्धरा।।
'जो भगवन्नाम की ध्वनि को सुनकर प्रेम में तन्मय होकर नृत्य करते हैं, उनकी चरणरज से पृथ्वी शीघ्र ही पवित्र हो जाती है।'

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