Saturday, 21 April 2012

395_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधक को चाहिये कि अपने लक्ष्य
को दृष्टि में रखकर साधना-पथ पर
तीर की तरह सीधा चला जाये । न
इधर देखे न उधर । दृष्टि यदि
इधर-उधर जाती हो तो समझना कि
निष्ठा स्थिर नहीं है ।

Pujya Asharam Ji Bapu

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