Saturday, 31 December 2011

91_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

              हो जा अजर ! हो जा अमर !!

जो मोक्ष है तू चाहता, विष सम विषय तज तात रे।
आर्जव क्षमा संतोष शम दम, पी सुधा दिन रात रे॥
संसार जलती आग है, इस आग से झट भाग कर।
आ शांत शीतल देश में, हो जा अजर ! हो जा अमर !!॥1॥

पृथिवी नहीं जल भी नहीं, नहीं अग्नि तू नहीं है पवन।
आकाश भी तू है नहीं, तू नित्य है चैतन्यघन॥
इन पाँचों का साक्षी सदा, निर्लेप है तू सर्वपर।
निजरूप को पहिचानकर, हो जा अजर ! हो जा अमर!!॥2॥

चैतन्य को कर भिन्न तन से, शांति सम्यक् पायेगा।
होगा तुरंत ही तू सुखी, संसार से छुट जायेगा॥
आश्रम तथा वर्णादि का, किञ्चित् न तू अभिमान कर।
सम्बन्ध तज दे देह से, हो जा अजर ! हो जा अमर!!॥3॥
नहीं धर्म है न अधर्म तुझमें ! सुख-दुःख का भी लेश न।
हैं ये सभी अज्ञान में, कर्त्तापना भोक्तापना॥
तू एक दृष्टा सर्व का, इस दृश्य से है दूरतर।
पहिचान अपने आपको, हो जा अजर ! हो जा अमर !!॥4॥
कर्त्तृत्व के अभिमान काले, सर्प से है तू डँसा।
नहीं जानता है आपको, भव पाश में इससे फँसा॥
कर्त्ता न तू तिहुँ काल में, श्रद्धा सुधा का पान कर।
पीकर उसे हो सुखी, हो जा अजर ! हो जा अमर !!॥5॥
मैं शुद्ध हूँ मैं बुद्ध हूँ, ज्ञानाग्नि ऐसी ले जला।
मत पाप मत संताप कर, अज्ञान वन को दे जला॥
ज्यों सर्प रस्सी माँहिं, जिसमें भासता ब्रह्माण्ड भर।
सो बोध सुख तू आप है, हो जा अजर ! हो जा अमर !!॥6॥
अभिमान रखता मुक्ति का, सो धीर निश्चय मुक्त है।
अभिमान करता बन्ध का, सो मूढ़ बन्धनयुक्त है॥
'जैसी मति वैसी गति', लोकोक्ति यह सच मानकर।
भव-बन्ध से निर्मुक्त हो, हो जा अजर ! हो जा अमर!!॥7॥
आत्मा अमल साक्षी अचल, विभु पूर्ण शाश्वत् मुक्त है।
चेतन असंगी निःस्पृही, शुचि शांत अच्युत तृप्त है॥
निज रूप के अज्ञान से, जन्मा करे फिर जाय मर।
भोला ! स्वयं को जानकर, हो जा अजर ! हो जा अमर !!॥8॥
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

90_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

धन में, वैभव में और बाह्य वस्तुओं में एक आदमी दूसरे आदमी की पूरी बराबरी नहीं कर सकता। जो रूप, लावण्य, पुत्र, परिवार, पत्नी आदि एक व्यक्ति को है वैसे का वैसा, उतना ही दूसरे को नहीं मिल सकता। लेकिन परमात्मा जो वशिष्ठजी को मिले है, जो कबीर को मिले हैं, जो रामकृष्ण को मिले हैं, जो धन्ना जाट को मिले हैं, जो राजा जनक को मिले हैं वे ही परमात्मा सब व्यक्ति को मिल सकते हैं। शर्त यह है कि परमात्मा को पाने की इच्छा तीव्र होनी चाहिए।
 Pujya asharam ji bapu

Friday, 30 December 2011

89_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भोंय सुवाडुं भूखे मारूँ उपरथी मारूं मार ।
एटलुं करतां हरि भजे तो करी नाखुं निहाल ।।
जीवन में कुछ असुविधा आ जाती है तो भगवान से प्रार्थना करते हैं- 'यह दुःख दूर को दो प्रभु !' हम भगवान के नहीं सुविधा के भगत हैं। 
 Pujya asharam ji bapu

88_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इस युग में आचरण किया जा सके ऐसा, सबसे ऊँचा और सबसे सरल योग गुरूभक्तियोग है
 श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती:-

87_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'हम राम के थे, राम के हैं और राम के ही रहेंगे। ॐ राम..... ॐ राम.... ॐ राम....।'

कोई भी चिन्ता किये बिना जो प्रभु में मस्त रहता है वह सहनशील है, वह साधुबुद्धि है।


Pujya asharam ji bapu

86_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भय, शोक, चिन्ता को जरा भी स्थान नहीं दो । सदैव तुम्हारे चित्त में परमात्मा की शक्ति मौजूद है। अपना चित्त प्रसन्न रखो। फिर तुमसे पवित्र कार्य अपने आप होने लगेंगे।
Pujya asharam ji bapu

Thursday, 29 December 2011

85_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आनन्द से ही सबकी उत्पत्ति, आनन्द में ही सबकी स्थिति एवं आनन्द में ही सबकी लीनता देखने से आनन्द की पूर्णता का अनुभव होता है |
Pujya asharam ji bapu
जब आपने व्यक्तित्व विषयक विचारों का सर्वथा त्याग कर दिया जाता है तब उसके समान अन्य कोई सुख नहीं, उसके समान श्रेष्ठ अन्य कोई अवस्था नहीं |
Pujya asharam ji bapu

84_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो आदमी डरता है उसे डराने वाले मिलते हैं।डरपोक होकर जिये तो क्या जिये ?  भोगी होकर जिये तो क्या खाक जिये ? योगी होकर जियो। ब्रह्मवेत्ता होकर जियो। ईश्वर के साथ खेलते हुए जियो।
Pujya asharam ji bapu

Wednesday, 28 December 2011

83_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एकान्त में जाकर बैठो। चाँद सितारों को निहारो। निहारते निहारते सोचो कि वे दूर दिख रहे हैं, बाहर से दूर दिख रहे हैं। भीतर से देखा जाए कि मैं वहाँ तक व्यापक न होता तो वे मुझे नहीं दिखते। मेरी ही टिमटिमाहट उनमें चमक रही है। मैं ही चाँद में चमक रहा हूँ... सितारों में टिमटिमा रहा हूँ।
कीड़ी में तू नानो लागे हाथी में तूँ मोटो क्यूँ।
बन महावत ने माथे बेठो होंकणवाळो तूँ को तूँ।
ऐसो खेल रच्यो मेरे दाता जहाँ देखूँ वहाँ तूँ को तूँ।।
इस प्रकार स्व का चिनत्न करने से सामने दिखेगा पर लेकिन पर में छुपे हुए स्व की स्मृति आ जाए तो आपको खुली आँख समाधि लग सकती है और योग की कला आ जाए तो बन्द आँख भी समाधि लग सकती है।
सतत खुली आँख रखना भी संभव नहीं और सतत आँख बन्द करना भी संभव नही। जब आँख बन्द करने का मौका हो तब बन्द आँख के द्वारा यात्रा कर लें और आँख खोलने का मौका हो तो खुली आँख से यात्रा कर लें। यात्रा करने का मतलब ऐसा नहीं है कि कहीं जाना है। पर के चिन्तन से बचना है, बस। यह प्रयोग लगता तो इतना सा है लेकिन इससे बहुत लाभ होता है।

Pujya asharam ji bapu

82_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गुरु नानक जी ने भी संतो की महिमा का वर्णन करते हुए कहा हैः
संत की महिमा वेद न जाने।
                                                    जेता जाने तेता बखाने।।

81_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब-जब भय आता है, दुःख आता है, चिन्ता आती है, कुछ भी कष्ट आता है, आपत्ति आती है तो समझना चाहिए कि हमारे राग को भय हुआ है, हमारे राग को चिन्ता हुई है, हमारे राग को क्रोध हुआ है, हमारे राग को द्वेष हुआ है, हमारे राग के कारण अशान्ति हुई है यह बात समझकर यदि आप उस राग से सम्बन्ध विच्छेद करें तो उसी समय आप राग रहित परमात्मा में पहुँच जाएँगे।
 Pujya asharam ji bapu

80_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'जो पुरूष ॐ इस एक अक्षर रूप ब्रह्म को उच्चारण करता हुआ और उसके अर्थस्वरूप मुझ निर्गुण ब्रह्म का चिन्तन करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है वह पुरूष परम गति को प्राप्त होता है।'

(भगवद् गीताः 8.13)

Tuesday, 27 December 2011

79_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ज्ञानी पुरुष को स्वप्नावस्था में भी 'जगत सच्चा है' ऐसी भूल नहीं होती।
संसार में जितनी वस्तुएँ प्रत्यक्ष में घबराने वाली मालूम होती हैं, वास्तव में तेरी प्रफुल्लता और आनन्द के लिए ही प्रकृति ने तैयार की हैं। उनसे डरने से क्या लाभ? तेरी ही मूर्खता तुझे चक्कर में डालती है, नहीं तो तुझे कोई नीचा दिखाने वाला है ही नहीं। यह पक्का निश्चय रख कि संसार तेरे ही आत्मदेव का सारा विलास है। संसार का कोई भी पदार्थ तुझे वास्तव में दुःख नहीं दे सकता है।Pujya asharam ji bapu

78_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे बीज की साधना
वृक्ष होने के सिवाय और
कुछ नहीं,
उसी प्रकार जीव की साधना
आत्मस्वरूप को जानने के सिवाय
और कुछ नहीं।

Pujya asharam ji bapu:-

Monday, 26 December 2011

77_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम्हारी जितनी घड़ियाँ परमात्मा के ध्यान में बीत जायें वे सार्थक हैं। जितनी देर मौन हो जायें वह कल्याणप्रद है। श्वास की गति जितनी देर धीमी हो जाय वह हितावह है, मंगलकारी है।
Pujya asharam ji bapu :-

76_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सफलता का रहस्य है आत्म-श्रद्धा, आत्म-प्रीति, अन्तर्मुखता, प्राणीमात्र के लिए प्रेम, परहित-परायणता।
परहित बस जिनके मन मांही
                   तिनको जग दुर्लभ कछु नाहीं ।।

Pujya asharam ji bapu :-

Sunday, 25 December 2011

75_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इन वेदवचनों को केवल मान लो नहीं, उनकी सत्यता का अनुभव करते चलो। 'मैं वह आनंदस्वरूप आत्मा हूँ...' चार वेद के चार महावाक्य हैं-
प्रज्ञानं ब्रह्म। अयं आत्मा ब्रह्म। अहं ब्रह्मास्मि। तत्त्वमसि। इन वेदवाक्यों का तात्पर्य यही है।
नानकदेव भी कहते हैं-
सो प्रभ दूर नहीं... प्रभ तू है।
सो साहेब सद सदा हजूरे।
अन्धा जानत ता को दूरे।।
तुलसीदास जी कहते हैं-
घट में है सूझे नहीं, लानत ऐसे जिन्द।
तुलसी ऐसे जीव को, भयो मोतियाबिन्द।।
Pujya asharam ji bapu satsang :_

74_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मानंद में मस्त हैं करें वेदान्ती खेल।

भक्ति योग और ज्ञान का सदगुरु करते मेल।।

73_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

खून पसीना बहाता जा तान के चादर सोता जा।

यह नाव तो चलती जायेगी तू हँसता जा या रोता जा।।


Pujya asharam ji bapu  satsang:_

71_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भय, शोक, चिन्ता को जरा भी स्थान नहीं। सदैव तुम्हारे चित्त में परमात्मा की शक्ति मौजूद है। अपना चित्त प्रसन्न रखो। फिर तुमसे पवित्र कार्य अपने आप होने लगेंगे।
Pujya asharam ji bapu :-

70_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चातक मीन पतंग जब पिया बन नहीं रह पाय।
साध्य को पाये बिना साधक क्यों रह जाय ?

Friday, 23 December 2011

69_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हे राम जी ! यथायोग्य व्यवहार करो लेकिन चित्त से सदा आत्मपद में स्थिति करो। चित्त में एक बार आत्म-शान्ति का स्वाद आ जाये तो फिर संसार में कोई सुख तुम्हें प्रभावित नहीं करेगा।"
जैसे अमृत तैसे विष घाटी।
जैसा मान तैसा अपमाना।।
हर्ष शोक जाँके नहीं वैरी मीत समान।
कह नानक सुन रे मना मुक्त ताँहि ते जान।।
एक बार चित्त परमात्म-शान्ति का अनुभव करे फिर तुम्हारे चित्त में, तुम्हारे अन्तःकरण में संसार की सत्यता नष्ट हो जायगी।
Pujya asharam ji bapu  Satsang:_

Thursday, 22 December 2011

68_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो स्वार्थ के लिए कुछ दे वह तो कंगाल है लेकिन जो अपना प्यारा समझकर लुटाता रहे वही तो सच्चा बादशाह है।
Pujya asharam ji bapu :-

67_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आदमी पहले भीतर से गिरता है फिर बाहर से गिरता है। भीतर से उठता है तब बाहर से उठता है। बाहर कुछ भी हो जाय लेकिन भीतर से नहीं गिरो तो बाहर की परिस्थितियाँ तुम्हारे अनुकूल हो जायेंगी।
Pujya asharam ji bapu :-

66_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भूतकाल जो गुजर गया उसके लिये उदास मत हो। भविष्य की चिन्ता मत करो। जो बीत गया उसे भुला दो। जो आता है उसे हँसते हुए गुजारो। जो आयेगा उसके लिए विमोहित न हो। आज के दिन मजे में रहो। आज का दिन ईश्वर के लिए। आज खुश रहो। आज निर्भय रहो। यह पक्का कर दो। 'आज रोकड़ा.... काले उधार।' इसी प्रकार आज निर्भय....। आज नहीं डरते। कल तो आयेगी नहीं। जब कल नहीं आयेगी तो परसों कहाँ से आयेगी ? जब आयेगी तो आज होकर ही आयेगी।
Pujya asharam ji bapu  :-

Wednesday, 21 December 2011

65_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रागरहित हुए बिना भोग योग में नहीं बदलता, स्वार्थ सेवा में नहीं बदलता।
राग मिटाने के लिए जगत की नश्वरता का विचार करके, शरीर की क्षणभंगुरता का विचार करके चित्त में वैराग्य को उपजाना चाहिए।
दूसरा उपाय हैः भगवान में इतना राग करो, उस शाश्वत चैतन्य में इतना राग करो कि नश्वर का राग स्मरण में भी न आये। शाश्वत के रस में इतना सराबोर हो जाओ, राम के रस में इतना तन्मय हो जाओ कि कामनाओं का दहकता हुआ, चिंगारियाँ फेंकता हुआ काम का दुःखद बड़वानल हमारे चित्त को न तपा सके, न सता सके।
Pujya asharam ji bapu:-

64_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मुस्कुराकर गम का जहर जिनको पीना आ गया।
यह हकीकत है कि जहाँ में उनको जीना आ गया।।

63_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बाहर की बातों में कुछ भी नहीं मान अपमान ।

अपना काम किये जा निशिदिन इसमें ही सम्मान ।।

Tuesday, 20 December 2011

62_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मन की मनसा मिट गई भरम गया सब दूर।

गगन मण्डल में घर किया काल रहा सिर कूट।।

61_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदगुरू मेरा शूरमा करे शब्द की चोट।
                                     मारे गोला प्रेम का हरे भरम की कोट।।

Monday, 19 December 2011

60_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

                       गुरु वंदना

जय सदगुरु देवन देववरं
निज भक्तन रक्षण देहधरम्।
परदुःखहरं सुखशांतिकरं
निरुपाधि निरामय दिव्य परम्।।1।।
जय काल अबाधित शांति मयं
जनपोषक शोषक तापत्रयम्।
भयभंजन देत परम अभयं
मनरंजन भाविक भावप्रियम्।।2।।
ममतादिक दोष नशावत हैं।
शम आदिक भाव सिखावत हैं।
जग जीवन पाप निवारत हैं।
भवसागर पार उतारत हैं।।3।।
कहुँ धर्म बतावत ध्यान कहीं।
कहुँ भक्ति सिखावत ज्ञान कहीं।
उपदेशत नेम अरु प्रेम तुम्हीं।
करते प्रभु योग अरु क्षेम तुम्हीं।।4।।
मन इन्द्रिय जाही न  जान सके।
नहीं बुद्धि जिसे पहचान सके।
नहीं शब्द जहाँ पर जाय सके।
बिनु सदगुरु कौन लखाय सके।।5।।
नहीं ध्यान न ध्यातृ न ध्येय जहाँ।
नहीं ज्ञातृ न ज्ञान न ज्ञेय जहाँ।
नहीं देश न काल न वस्तु तहाँ।
बिनु सदगुरु को पहुँचाय वहाँ।।6।।
नहीं रूप न लक्षण ही जिसका।
नहीं नाम न धाम कहीं जिसका।
नहीं सत्य असत्य कहाय सके।
गुरुदेव ही ताही जनाय सके।।7।।
गुरु कीन कृपा भव त्रास गई।
मिट भूख गई छुट प्यास गई।
नहीं काम रहा नहीं कर्म रहा।
नहीं मृत्यु रहा नहीं जन्म रहा।।8।।
भग राग गया हट द्वेष गया।
अघ चूर्ण भया अणु पूर्ण भया।
नहीं द्वैत रहा सम एक भया।
भ्रम भेद मिटा मम तोर गया।।9।।
नहीं मैं नहीं तू नहीं अन्य रहा।
गुरु शाश्वत आप अनन्य रहा।
गुरु सेवत ते नर धन्य यहाँ।
तिनको नहीं दुःख यहाँ न वहाँ।।10।।
ॐ गुरु ॐ गुरु
ॐॐॐॐॐॐ

59_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

                   गुरुनाम सहारा मेरा है


गुरुनाम सहारा मेरा है, गुरुनाम सहारा मेरा है।
मेरा और सहारा कोई नहीं...... गुरुमनाम सहारा मेरा है।।
गुरुपूजा सहारा मेरा है... गुरुभक्ति सहारा मेरा है।
गुरुमंत्र सहारा मेरा है... मेरा और सहारा कोई नहीं है।।
हरि ॐ हरि ॐ....
हरिनाम सहारा मेरा है... गुरुकृपा सहारा मेरा है।
भगवान सहारा मेरा है..... मेरा और सहारा कोई नहीं।।
हरि ॐ हरि ॐ
सदगुरु तुम्हारी जय जय हो... गुरुमंत्र तुम्हारी जय जय हो।
गुरुवाणी तुम्हारी जय जय हो.... हरि ॐ हरि ॐ
ॐ गुरु ॐ गुरु
ॐॐॐॐॐॐ

58_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एक सामान्य व्यक्ति जब दुर्बल जीवन-शक्ति वाले लोगों के संपर्क में आत है तो उसकी जीवनशक्ति कम होती है और अपने से विकसित जीवन-शक्तिवाले के संपर्क से उसकी जीवनशक्ति बढ़ती है। कोई व्यक्ति अपनी जीवन-शक्ति का विकास करे तो उसके सम्पर्क में आने वाले लोगों की जीवन-शक्ति भी बढ़ती है और वह अपनी जीवन-शक्ति का ह्रास कर बैठे तो और लोगों के लिए भी समस्या खड़ी कर देता है।

तिरस्कार व निन्दा के शब्द बोलने वाले की शक्ति का ह्रास होता है। उत्साहवर्धक प्रेमयुक्त वचन बोलने वाले की जीवनशक्ति बढ़ती है।

यदि हमारी जीवन-शक्ति दुर्बल होगी तो चेपी रोग की तरह आसपास के वातावरण में से हलके भाव, निम्न कोटि के विचार हमारे चित्त पर प्रभाव डालते रहेंगे।
Pujya asharam ji bapu :-

Sunday, 18 December 2011

57_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदगुरु ही जगत में तुम्हारे सच्चे मित्र हैं। मित्र बनाओ तो उन्हें ही बनाओ, भाई-माता-पिता बनाओ तो उन्हें ही बनाओ। गुरुभक्ति तुम्हें जड़ता से चैतन्यता की ओर ले जायेगी। जगत के अन्य नाते-रिश्ते तुम्हें संसार में फँसायेंगे, भटकायेंगे, दुःखों में पटकेंगे, स्वरूप से दूर ले जायेंगे। गुरु तुम्हें जड़ता से, दुःखों से, चिन्ताओं से मुक्त करेंगे। तुम्हें अपने आत्मस्वरूप में ले जायेंगे।
Pujya asharam ji bapu :-

56_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

किसी भी दृश्य को सच्चा मत मानो। तुम दृष्टा बनकर देखते रहो, अपनी महिमा में मस्त रहो।
Pujya asharam ji bapu :-

55_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसका मन अन्तर्मुख हो जाता है, वह चित्त थकान को त्याग कर आत्मविश्रान्ति का स्वाद लेता है। तुम जितना समाहित चित्त होते जाओगे, उतना जगत तुम्हारे चरणों के नीचे आता जायेगा।
Pujya asharam ji bapu:-


Saturday, 17 December 2011

54_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम्हारे स्वरूप के भय से चाँद-सितारे भागते हैं, हवाएँ बहती हैं, मेघ वर्षा करते हैं, बिजलियाँ चमकती हैं, सूरज रात और दिन बनाता है, ऋतुएँ समय पर अपना रंग बदलती हैं। उस आत्मा को छोड़कर औरों से कब तक दोस्ती करोगे? अपने घर को छोड़कर औरों के घर में कब तक रहोगे? अपने पिया को छोड़कर औरों से कब तक मिलते रहोगे....?

Pujya asharam ji bapu:-

53_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम हीन नहीं हो। तुम सर्व हो; पूज्य भगवान हो। तुम हीन नहीं हो, तुम निर्बल नहीं हो, सर्वशक्तिमान हो। भगवान का अनन्त बल तुम्हारी सहायता के लिए प्रस्तुत है। तुम विचार करो और हीनता को, मिथ्या संस्कारों को मारकर महान बन जाओ। ...! .....! ......! दुनिया मेरा संकल्प है, इसके सिवाय कुछ नहीं। इसमें जरा भी सन्देह नहीं। स्थावर-जंगम जगत के हम पिता हैं। हम उसके पूज्य और श्रेष्ठ गुरु हैं। सब संसार मनुष्य के आश्रय है और मनुष्य एक विशाल वन है। आत्मा सबके भीतर बसती है।
Pujya asharam ji bapu :-

Friday, 16 December 2011

52_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो फालतू बातें नहीं करता, फालतू समय नहीं गँवाता, चारित्र्यहीन व्यक्तियों का संग नहीं करता, ऐसे सौभाग्यशाली व्यक्ति को यदि तत्त्वज्ञानी गुरु मिल जा तो मानो उसका आखिरी जन्म है। मूर्खों की कल्पनाओं को, जगत की वस्तुओं को जितना सत्य मानते हैं, उतना ही महापुरुषों के वचनों को सत्य मान लें तो ऐसा कौन है जो मुक्त न हो जाय? ऐसी कौन-सी मुक्ति है जो उसकी मुट्ठी में न आ जा?

Pujya asharam ji bapu :-

Thursday, 15 December 2011

51_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यवहार में चिन्तारूपी राक्षसी घूमा करती है। वह उसी को ग्रस लेती है, जिसको जगत सच्चा लगता है। जिसको जगत स्वप्नवत् लगता है, उसे परिस्थितियाँ और चिन्ताएँ कुचल नहीं सकती।
 Pujya asharam ji bapu :-

50_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदा सम रहने की तपस्या के आगे बाकी की सब तपस्याएँ छोटी हो जाती हैं। सदा प्रसन्न रहने की कुंजी के आगे बाकी की सब कुंजियाँ छोटी हो जाती हैं। आत्मज्ञान के आगे और सब ज्ञान छोटे रह जाते हैं। इसलिए दुनिया में हर इज्जत वाले से ब्रह्मवेत्ता की ऊँची इज्जत होती है।
Pujya asharam ji bapu :-

Wednesday, 14 December 2011

49_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


आप जैसा सोचते हो वैसे ही बन जाते हो। अपने-आपको पापी कहो तो अवश्य ही पापी बन जाओगे। अपने को मूर्ख कहो तो अवश्य ही मूर्ख बन जाओगे। अपने को निर्बल कहो तो संसार में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो आपको बलवान बना सके। अपने सर्वशक्तित्व का अनुभव करो तो आप सर्वशक्तिमान हो जाते हो।

Pujya asharam ji bapu :-

48_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःखों और चिंताओं से भागो नहीं। तुम ताल ठोककर उन्हें आमंत्रण दो कि वे आ जायें। वे कहाँ रहती हैं.... जरा देखूँ तो सही ! हैं ही नहीं। सब ख्याल ही ख्याल हैं।
 Pujya asharam ji bapu:-

46_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रूभक्तियोग अमरत्व, शाश्वत सुख, मुक्ति, पूर्णता, अखूट आनन्द और चिरंतन शान्ति देनेवाला है।
श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती:-

45_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भगवान की पूजा करनी हो तो भगवान बनकर करो। देवो भूत्वा देवं यजेत्
जैसे भगवान निर्वासनिक हैं, निर्भय हैं, आनन्दस्वरूप हैं, ऐसे तुम भी निर्वासनिक और निर्भय होकर आनन्द में रहो। यही उसकी महा पूजा है।
 Pujya asharam ji bapu :-

Monday, 12 December 2011

44_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU





निर्द्वन्द्व रह निःशंक रह, निर्भय सदा निष्काम रे।
                      चिंता कभी मत कीजिये, जो होय होने दीजिये।।