Monday, 19 December 2011

60_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

                       गुरु वंदना

जय सदगुरु देवन देववरं
निज भक्तन रक्षण देहधरम्।
परदुःखहरं सुखशांतिकरं
निरुपाधि निरामय दिव्य परम्।।1।।
जय काल अबाधित शांति मयं
जनपोषक शोषक तापत्रयम्।
भयभंजन देत परम अभयं
मनरंजन भाविक भावप्रियम्।।2।।
ममतादिक दोष नशावत हैं।
शम आदिक भाव सिखावत हैं।
जग जीवन पाप निवारत हैं।
भवसागर पार उतारत हैं।।3।।
कहुँ धर्म बतावत ध्यान कहीं।
कहुँ भक्ति सिखावत ज्ञान कहीं।
उपदेशत नेम अरु प्रेम तुम्हीं।
करते प्रभु योग अरु क्षेम तुम्हीं।।4।।
मन इन्द्रिय जाही न  जान सके।
नहीं बुद्धि जिसे पहचान सके।
नहीं शब्द जहाँ पर जाय सके।
बिनु सदगुरु कौन लखाय सके।।5।।
नहीं ध्यान न ध्यातृ न ध्येय जहाँ।
नहीं ज्ञातृ न ज्ञान न ज्ञेय जहाँ।
नहीं देश न काल न वस्तु तहाँ।
बिनु सदगुरु को पहुँचाय वहाँ।।6।।
नहीं रूप न लक्षण ही जिसका।
नहीं नाम न धाम कहीं जिसका।
नहीं सत्य असत्य कहाय सके।
गुरुदेव ही ताही जनाय सके।।7।।
गुरु कीन कृपा भव त्रास गई।
मिट भूख गई छुट प्यास गई।
नहीं काम रहा नहीं कर्म रहा।
नहीं मृत्यु रहा नहीं जन्म रहा।।8।।
भग राग गया हट द्वेष गया।
अघ चूर्ण भया अणु पूर्ण भया।
नहीं द्वैत रहा सम एक भया।
भ्रम भेद मिटा मम तोर गया।।9।।
नहीं मैं नहीं तू नहीं अन्य रहा।
गुरु शाश्वत आप अनन्य रहा।
गुरु सेवत ते नर धन्य यहाँ।
तिनको नहीं दुःख यहाँ न वहाँ।।10।।
ॐ गुरु ॐ गुरु
ॐॐॐॐॐॐ

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