740_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
व्यर्थ
के भोगों से
बचने के लिए
परोपकार करो और
व्यर्थ चिन्तन
से दूर रहने
के लिए
ब्रह्मचिन्तन
करो। व्यर्थ
के भोगों और
व्यर्थ
चिन्तन से बचे
तो
ब्रह्मचिन्तन
करना नहीं
पड़ेगा, वह
स्वतः ही होने
लगेगा। आगे
चलकर
ब्रह्मचिन्तन
पूर्णावस्था
में पहुँचकर
स्वयं भी पूरा
हो जायेगा।
-Pujya asharam ji bapu
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