Friday, 30 October 2015
1355_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू में अचल श्रद्धा और गुरू के प्रति दृढ़ भक्तिभाव से शिष्य सब कार्यों में सिद्धि एवं भौतिक आबादी प्राप्त कर सकता है।
The Way of the Great
By unshakable faith in and firm devotion to Guru a disciple can attain material prosperity and success in all undertakings.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Thursday, 29 October 2015
1354_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरूः एक महान पथप्रदर्शक
जो आत्मज्ञान का मार्ग दिखाते हैं वे पृथ्वी पर के सच्चे देव हैं। गुरू के सिवाय यह मार्ग कौन दिखा सकता है ? गुरू को शिष्य की सेवा या सहाय का आवश्यकता नहीं है किन्तु सेवा के द्वारा विकास करने के लिए वे शिष्य को एक मौका देते हैं।
Guru as the Great Guide
He who teaches the way of Knowledge is a veritable Divinity on earth. Except Guru who could show the way ? The Guru does not require any service or help from the disciple, but he gives a chance to the disciple to evolve by serving him.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
जो आत्मज्ञान का मार्ग दिखाते हैं वे पृथ्वी पर के सच्चे देव हैं। गुरू के सिवाय यह मार्ग कौन दिखा सकता है ? गुरू को शिष्य की सेवा या सहाय का आवश्यकता नहीं है किन्तु सेवा के द्वारा विकास करने के लिए वे शिष्य को एक मौका देते हैं।
Guru as the Great Guide
He who teaches the way of Knowledge is a veritable Divinity on earth. Except Guru who could show the way ? The Guru does not require any service or help from the disciple, but he gives a chance to the disciple to evolve by serving him.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Wednesday, 28 October 2015
1353_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू का स्पर्श
ईश्वर ने आपको तमाम प्रकार की सुविधाएँ, अच्छा स्वास्थ्य एवं मार्ग दिखाने के लिए गुरू दिये हैं। इससे अधिक और क्या चाहिए ? अतः विकास करो, उत्क्रान्त बनो, सत्य का साक्षात्कार करो और सर्वत्र उसका प्रचार करो।
Touch of the Guru
Lord has given you all sorts of comforts, good health, and a Guru to guide you. What more do you want? Grow. Evolve. Realise the Truth and proclaim it everywhere.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Monday, 26 October 2015
1352_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
मन को संयम में रखने की रीति
मन के साथ कभी मुठभेड़ मत करो। एकाग्रताके लिए जलद प्रयासों का उपयोग मत करो। सब स्नायु और नस नाड़ियों को शिथिल करो। मस्तिष्क को ढीला छोड़ दो। धीरे-धीरे अपने गुरूमंत्र का उच्चारण करो। खदबदाते हुए मन को स्वस्थ करो। विचारों को शान्त करो।
Methods of Mind-Control
Never wrestle with the mind. Don’t use any violent efforts in concentration. Relax all the muscles and the nerves. Relax the brain. Gently think of your Ishtam. Slowly repeat your Guru Mantra with Bhav and meaning. Still the bubbling mind. Silence the thoughts.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Sunday, 25 October 2015
1351_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
आध्यात्मिक प्रवृत्ति की आवश्यकता
गुरू के पवित्र चरणों के प्रति भक्तिभाव सर्वोत्तम गुण है। इस गुण को तत्परता एवं परिश्रमपूर्वक विकसित किया जाए तो इस संसार के दुःख और अज्ञान के कीचड़ से मुक्त होकर शिष्य अखूट आनन्द और परम सुख के स्वर्ग को प्राप्त करता है।
Need For Spiritual Preoccupation
Devotion to the holy feet of Guru is the cardinal virtue, which, if assiduously cultivated, transports a disciple from the morass of misery and ignorance to the paradise of perennial joy and bliss supreme.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Saturday, 24 October 2015
1350_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरूभक्ति और गुरूसेवा
जिन्होंने जानने योग्य जाना है, जिन्होंने प्राप्त करने योग्य प्राप्त किया है, जो मार्ग दिखाने के लिए समर्थ हैं ऐसे गुरू के चरणकमलों का आश्रय लेने वाले शिष्य को यों मानना चाहिए कि मैं तीन गुना कृतार्थ हुआ हूँ।
Guru-Bhakti and Guru-Seva
If the disciple gets the shelter of the Lotus-Feet of a Guru, one who has known what has to be known, one who has attained what has to be attained and who is in a position to show the way, he must think that he is really thrice-blessed.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
जिन्होंने जानने योग्य जाना है, जिन्होंने प्राप्त करने योग्य प्राप्त किया है, जो मार्ग दिखाने के लिए समर्थ हैं ऐसे गुरू के चरणकमलों का आश्रय लेने वाले शिष्य को यों मानना चाहिए कि मैं तीन गुना कृतार्थ हुआ हूँ।
Guru-Bhakti and Guru-Seva
If the disciple gets the shelter of the Lotus-Feet of a Guru, one who has known what has to be known, one who has attained what has to be attained and who is in a position to show the way, he must think that he is really thrice-blessed.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
1349_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू ही ईश्वर
गुरू दृष्टि, स्पर्श, विचार या शब्द के द्वारा शिष्य का परिवर्तन कर सकते हैं।यदि आप गुरू में ईश्वर को नहीं देख सकते तो फिर और किसमें देख सकेंगे ?अपने मित्रों, आदर्शों तथा गुरू या आध्यात्मिक आचार्य के प्रति वफादार एवं सन्निष्ठ रहो।
Guru As God
The Guru can transform the disciple by a look, a touch or a thought or a word.If you cannot see God in Guru, in whom else will you see God? Be sincere, and loyal to your friends and ideals and Guru or spiritual preceptor.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
गुरू दृष्टि, स्पर्श, विचार या शब्द के द्वारा शिष्य का परिवर्तन कर सकते हैं।यदि आप गुरू में ईश्वर को नहीं देख सकते तो फिर और किसमें देख सकेंगे ?अपने मित्रों, आदर्शों तथा गुरू या आध्यात्मिक आचार्य के प्रति वफादार एवं सन्निष्ठ रहो।
Guru As God
The Guru can transform the disciple by a look, a touch or a thought or a word.If you cannot see God in Guru, in whom else will you see God? Be sincere, and loyal to your friends and ideals and Guru or spiritual preceptor.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Thursday, 22 October 2015
1348_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
The Spirit of Discipleship
Recognise and realise the greatness of Guru. And spread his message of love to the humanity. Scrutinise your inner motives while doing service to Guru. Service must be done to Guru without expectation of name, fame, power, wealth, etc.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Wednesday, 21 October 2015
1347_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू ग्रंथसाहब कहते हैं कि गुरू के बिना ईश्वरप्राप्ति का मार्ग नहीं मिल सकता। गुरू स्वयं ईश्वर स्वरूप होने के कारण वे साधक को ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में ले जाते हैं। उस मार्ग में वे पथप्रदर्शक बनते हैं। गुरू ही शिष्य को ऐसा अनुभव करा सकते हैं कि वह स्वयं ही ईश्वर हैं।
On Finding the Guru
Guru-Grantha-Sahib says that without Guru the path to God cannot be found. The Guru being God himself, can lead the aspirant on the path and guide him along the path, and he alone can make the Chela realise that he is himself God.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
1346_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू का ध्यान
गुरू के स्वरूप का ध्यान करो। ध्यान के दौरान आपको दिव्य आत्मिक आनन्द, रोमांच, शान्ति आदि का अनुभव होगा। कुण्डलिनी शक्ति जागृत होगी, हृदय भाव-विभोर होगा। रोमांच, शान्ति, आदि का अनुभव होगा। रोमांच, हृदय, रूदन आदि अष्टसात्त्विक भाव में आपका मन विचरण करने लगेगा। शिष्य को गुरूमुखता की यह निशानी है। फिर आपको साधना करनी नहीं पड़ेगी, साधना अपने आप होने लगेगी।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
गुरू के स्वरूप का ध्यान करो। ध्यान के दौरान आपको दिव्य आत्मिक आनन्द, रोमांच, शान्ति आदि का अनुभव होगा। कुण्डलिनी शक्ति जागृत होगी, हृदय भाव-विभोर होगा। रोमांच, शान्ति, आदि का अनुभव होगा। रोमांच, हृदय, रूदन आदि अष्टसात्त्विक भाव में आपका मन विचरण करने लगेगा। शिष्य को गुरूमुखता की यह निशानी है। फिर आपको साधना करनी नहीं पड़ेगी, साधना अपने आप होने लगेगी।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Tuesday, 20 October 2015
1345_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
आध्यात्मिक प्रवृत्ति की आवश्यकता
कर्मयोग, भक्तियोग, राजयोग, हठयोग, ज्ञानयोग आदि सब योगों की नींव गुरूभक्तियोग है। जो शिष्य मानता है कि मैं सब कुछ जानता हूँ कि वह ‘मैं’ पने की भावना के कारण अपने गुरू से कुछ भी नहीं सीख सकेगा।
Need For Spiritual Preoccupation
Guru-Bhakti Yoga is the foundation of all other Yogas viz., Karma Yoga, Bhakti Yoga, Raja Yoga, Hatha Yoga, Jnana Yoga etc. The disciple who thinks that he knows everything will not learn anything from his Guru, due to self-conceit.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Sunday, 18 October 2015
1344_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू की महत्ता
l.जो आँखें गुरू के चरणकमलों का सौन्दर्य नहीं देख सकतीं वे आँखें सचमुच अन्ध हैं।
2.जो कान गुरू की लीला की महिमा नहीं सुनते वे कान सचमुच बहरे हैं।
3.गुरू रहित जीवन मृत्यु के समान है।
4.गुरू कृपा की सम्पत्ति जैसा और कोई खजाना नहीं है।
5.भवसागर को पार करने के लिए गुरू के सत्संग जैसी और कोई सुरक्षित नौका नहीं है।
6.आध्यात्मिक गुरू जैसा और कोई मित्र नहीं है।
7.गुरू के चरणकमल जैसा और कोई आश्रय नहीं है।
8.सदैव गुरू की रट लगाओ।
Greatness of Guru
l. The eye that sees not the beauty of the Guru’s Lotus-Feet is really blind.
2. The ear that hears not the glory of the Guru’s Leela is really deaf.
3. Life without a Guru is death.
4. There is no treasure like the wealth of Guru’s grace.
5. There is no safe boat like Satsanga of Guru to cross the ocean of Samsara.
6. There is no friend like the spiritual teacher.
7. There is no abode like Guru’s Lotus-Feet.
8. Remember the Guru at all times.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Friday, 16 October 2015
1343_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू को अर्घ्य
मनुस्मृति में कहा गया है कि शिष्यों को सदा वेदाध्ययन में निमग्न रहना चाहिए। परम श्रद्धा एवं भक्तिभावपूर्वक आचार्य की सेवा के दौरान शिष्य को मदिरा, मांस, तेल, इत्र, स्त्री, स्वादु भोजन, चेतन प्राणियों को हानि पहुँचाना, काम, क्रोध, लोभ, नृत्य, गान, क्रीड़ा, वाजिन्त्र बजाना, रंग, गपशप लगाना, निन्दा करना, अति निद्रा लेना आदि से अलिप्त रहना चाहिए। उसे असत्य नहीं बोलना चाहिए।
Offerings to the Guru
You will find in the Manu Smriti: “Let the students ever engage in the study of Vedas and during services to the preceptor with full faith and devotion. Let the student refrain from wines, meats, perfumes, scents, women, tasty dishes, and from injury to sentient creatures and lust, anger, greed, dancing, singing and playing on musical instruments, dyes, playing, gossiping, slander, too much sleeping and untruth.”
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Thursday, 15 October 2015
Tuesday, 13 October 2015
1341_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरूभक्तियोग की महत्ता
जो जो सिद्धियाँ संन्यास, त्याग, अन्य योग, दान एवं शुभ कार्य आदि से प्राप्त की जा सकती हैं वे सब सिद्धियाँ गुरूभक्तियोग के अभ्यास के शीघ्र प्राप्त हो सकती हैं।
गुरूभक्तियोग ईश्वरज्ञान के लिए सबसे सरल, सबसे निश्चित, सबसे शीघ्रगामी, सबसे सस्ता भयरहित मार्ग है। आप सब इसी जन्म में गुरूभक्तियोग के द्वारा ईश्वरज्ञान प्राप्त करो यही शुभ कामना !
Greatness of Guru-Bhakti Yoga
Whatever may be acquired by asceticism, by renunciation, by other Yogas, by charity and auspicious acts, etc., all these are speedily acquired by practising Guru-Bhakti Yoga. Guru-Bhakti Yoga is the easiest, surest, quickest, cheapest, safest way for God-consciousness.May you all attain God-consciousness in this very birth through the practice of Guru-Bhakti Yoga.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
जो जो सिद्धियाँ संन्यास, त्याग, अन्य योग, दान एवं शुभ कार्य आदि से प्राप्त की जा सकती हैं वे सब सिद्धियाँ गुरूभक्तियोग के अभ्यास के शीघ्र प्राप्त हो सकती हैं।
गुरूभक्तियोग ईश्वरज्ञान के लिए सबसे सरल, सबसे निश्चित, सबसे शीघ्रगामी, सबसे सस्ता भयरहित मार्ग है। आप सब इसी जन्म में गुरूभक्तियोग के द्वारा ईश्वरज्ञान प्राप्त करो यही शुभ कामना !
Greatness of Guru-Bhakti Yoga
Whatever may be acquired by asceticism, by renunciation, by other Yogas, by charity and auspicious acts, etc., all these are speedily acquired by practising Guru-Bhakti Yoga. Guru-Bhakti Yoga is the easiest, surest, quickest, cheapest, safest way for God-consciousness.May you all attain God-consciousness in this very birth through the practice of Guru-Bhakti Yoga.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Sunday, 11 October 2015
1340_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
पावन स्मृति
शिष्य संसारसागर को पार कर सके इसके लिए ब्रह्मवेत्ता गुरू आत्मज्ञान देकर उसका अमूल्य हित करते हैं। यह काम गुरू के सिवाय और कोई नहीं कर सकता।पातकी एवं स्वार्थी लोग सदगुरू के लिए चाहे कैसी भी अफवाहें फैलायें फिर भी सुज्ञ समाज एवं शिष्यगण सदगुरू के पावन सान्निध्य और उनकी मधुर याद से अपना हृदय पावन रखते हैं।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
शिष्य संसारसागर को पार कर सके इसके लिए ब्रह्मवेत्ता गुरू आत्मज्ञान देकर उसका अमूल्य हित करते हैं। यह काम गुरू के सिवाय और कोई नहीं कर सकता।पातकी एवं स्वार्थी लोग सदगुरू के लिए चाहे कैसी भी अफवाहें फैलायें फिर भी सुज्ञ समाज एवं शिष्यगण सदगुरू के पावन सान्निध्य और उनकी मधुर याद से अपना हृदय पावन रखते हैं।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Saturday, 10 October 2015
1339_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू का ध्यान
जो मनुष्य गुरू के चरणकमलों का ध्यान नहीं करते वे आत्मा का घात करने वाले हैं। वे सचमुच जिन्दे शव के समान कंगले मवाली हैं। वे अति दरिद्र लोग हैं। ऐसे निगुरे लोग बाहर से धनवान दिखते हुए भी आध्यात्मिक जगत में अत्यंत दरिद्र हैं।
Meditation on Guru
Those who do not concentrate on the Lotus-Feet of Guru are slayers of Atman. They are in fact living corpses and miserable wretches. They are very poor people.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Friday, 9 October 2015
1338_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
आत्म-बड़प्पन, आत्म-न्यायीपन, मिथ्याभिमान, आत्मंवचना, दर्प, स्वच्छन्दीपना, दीर्घसूत्रता, हठाग्रह, छिद्रन्वेषी, कुसंग, बेईमानी, अभिमान, विषय-वासना, क्रोध, लोभ, अहंभाव .... ये सब गुरूभक्तियोग के मार्ग में आनेवाले विघ्न हैं।
Obstacles in the way of Gurubktiyog
Self-sufficiency, self justification, vanity, self-conceit, self-assertion, procrastination, obstinacy, fault-finding, evil company, dishonesty, arrogance, lust, anger, greed, and egoism are the great stumbling blocks on the path of Guru-Bhakti Yoga.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Wednesday, 7 October 2015
1337_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरूभक्तियोग। यह योग अदभुत है। इसकी शक्ति असीम है। इसका प्रभाव अमोघ है। इसकी महत्ता अवर्णनीय है। इस युग के लिए उपयोगी इस विशेष योग-पद्धति के द्वारा आप इस हाड़-चाम के पार्थिव देह में रहते हुए ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन कर सकते हैं। इसी जीवन में आप उन्हें अपने साथ विचरण करते हुए निहार सकते हैं।
GLORY OF GURU-BHAKTI YOGA
Guru-Bhakti Yoga. This Yoga is marvellous. Its power is tremendous. Its efficacy is most unfailing. The true glory of Guru-Bhakti is indescribable. It is the Yoga par excellence for this age, which makes God appear here before you in flesh and blood and move with you in this very life.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Tuesday, 6 October 2015
1336_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
WISDOM NECTAR
1. Remember God at all times.
2. Enquire ‘who am I?’ and realise the Self.
3. Make friendship with any one after studying him very carefully.
4. Do always virtuous actions.
5. Hear the wise words of great souls and follow them.
6. Do those actions that are pronounced to be right by the Shastras.
7. Don’t make friendship with childish persons.
8. Guru is necessary to show you the path to peace.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
1335_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरूतत्त्व
शक्तिशाली शिष्यों को कभी शक्तिशाली गुरूओं की कमी नहीं रहती। शिष्य को गुरू में जितनी श्रद्धा होती है उतने फल की उसे प्राप्ति होती है। किसी आदमी के पास अगर यूनिवर्सिटी की उपाधियाँ हों तो इससे वह गुरू की कसौटी करने की योग्यतावाला नहीं बन जाता। गुरू के आध्यात्मिक ज्ञान की कसौटी करना यह किसी भी मनुष्य के लिए मूर्खता एवं उद्दण्डता की पराकाष्ठा है। ऐसा व्यक्ति दुनियावी ज्ञान के मिथ्याभिमान से अन्ध बना हुआ है।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Monday, 5 October 2015
1334_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
अपने गुरू को फोटो अपने सामने रखो। ध्यान के आसन में बैठो। धीरे-धीरे फोटो पर मन को एकाग्र करो। मन को उनके चरणकमल, हाथ, छाती, गले, सिर, मुख, आँखों आदि पर घुमाओ। आँख की पुतली न हिले इस प्रकार सतत पाँच मिनट तक निहारो। फिर आँखें बन्द करके उसी प्रकार भीतर फोटो को निहारने का प्रयास करो। इस क्रिया का पुनरावर्तन करो। फिर अच्छी तरह ध्यान कर सकोगे।
Meditation on Guru
Place a picture of your Guru in front of you. Sit in a meditative posture, concentrate gently on the picture, rotate the mind on his Lotus-Feet, legs, hands, chest, neck, head, face, eyes, etc., then close the eyes and try to visualise the picture in the same manner. Repeat the process again; then you will have good meditation.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
1333_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरू के द्वार पर रहकर, गुरू का अन्न खाकर गुरू के समक्ष झूठ बोलना अथवा गुरूभाइयों के साथ वैर रखना यह शिष्य के रूप में असुर होने का चिन्ह है। शिष्य के रूप में निहित ऐसा असुर गुरू-शिष्य परम्परा को कलंकित करता है। गुरू के हृदय को ठेस पहुँचे ऐसा आचरण करने वाला शिष्य अपना ही सत्यानाश करता है। जो गुरू का विरोध करता है वह सचमुच हतभागी है।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Saturday, 3 October 2015
1332_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जो आज्ञाकारी नहीं है, जो अनुशासन भंग करता है, जो गुरू के प्रति ईमानदार नहीं है, जो अपने गुरू के समक्ष अपना हृदय खोल नहीं सकता उसे गुरू की सहाय से लाभ नहीं हो सकता। वह अपने द्वारा ही सर्जित कीचड़ में फँसा रहता है। वह अध्यात्म-मार्ग में प्रगति नहीं कर सकता। कैसी दयाजनक स्थिति ! उसका भाग्य सचमुच अत्यंत शोचनीय है।
The Obstinate Disciple
He who is disobedient, who breaks the discipline, who is not straightforward to his Guru, who cannot open his heart to his preceptor or spiritual guide, cannot be benefited by the help of Guru. He remains stuck in his own self-created mire or mud and cannot progress in the divine path. What a great pity! His lot is highly lamentable indeed.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
Friday, 2 October 2015
1331_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
गुरूभक्तियोग का अभ्यास आपको भय, अज्ञान, निराशा, संशय, रोग, चिन्ता आदि से मुक्त होने के लिए शक्तिमान बनाता है और मोक्ष, परम शान्ति और शाश्वत आनन्द प्रदान करता है।
The practice of Guru-Bhakti Yoga will enable you to get rid of fear,
ignorance, pessimism, confusion of mind, disease, despair, worry, etc
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram Thursday, 1 October 2015
1330_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
चाहे कितने ही फिलासफी के ग्रंथ पढ़ो, सारे विश्व का प्रवास करके व्याख्यान करो, हजारों वर्ष तक हिमालय की गुफा में रहो, वर्षों तक प्राणायाम करो, जीवनपर्यन्त शीर्षासन करो फिर भी गुरू की कृपा के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती।
Study philosophical books as much as you like, deliver lectures throughout your global-tour, remain in Himalayan caves for thousands of years, practise Pranayama for years, do Sirshasana for the whole life, you cannot attain emancipation without the grace of Guru.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
1329_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जो गुरू की शरण में गया है, जो सच्चे मन से गुरू की सेवा करता है, जिसकी गुरूभक्ति अदभुत है उसे शोक, विषाद, भय, पीड़ा, दुःख या अज्ञान की असर नहीं होता। उसे तत्काल ईश्वर-साक्षात्कार होता है।
One who has surrendered himself to his Guru, one who serves the Guru whole-heartedly, one who has marvellous Guru-Bhakti, knows no grief, no sorrow, no fear, no pain no misery, no ignorance and he instantly attains God-realisation.
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram