Monday, 5 October 2015

1333_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




गुरू के द्वार पर रहकर, गुरू का अन्न खाकर गुरू के समक्ष झूठ बोलना अथवा गुरूभाइयों के साथ वैर रखना यह शिष्य के रूप में असुर होने का चिन्ह है। शिष्य के रूप में निहित ऐसा असुर गुरू-शिष्य परम्परा को कलंकित करता है। गुरू के हृदय को ठेस पहुँचे ऐसा आचरण करने वाला शिष्य अपना ही सत्यानाश करता है। जो गुरू का विरोध करता है वह सचमुच हतभागी है।
 - Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.