हिमालय की
तरह दृढ़
होकर अपनी
रुकावटों को काटो। सत्यसंक्लप
आत्मा
तुम्हारे साथ
है.... नहीं नहीं,
तुम ही सत्यसंकल्प
आत्मा हो।
उठो, अपनी
शक्ति को पहचानो।
तमाम
शक्तियाँ
तुम्हारे साथ
हैं। -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
दुःख का
पहाड़ गिरता
हो और तुम
परमात्मा में
डट जाओ तो वह
पहाड़ रास्ता
बदले बिना
नहीं रह सकता।
दुःख का पहाड़
प्रकृति की
चीज है। तुम
परमात्मा में
स्थित हो तो
प्रकृति
परमात्मा के
खिलाफ कभी कदम
नहीं उठाती।
जब जब युग परिवर्तन होगा, हर युग मेँ अवतारा है। गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु, गुरु ही शिव ओँकारा हैँ।।
गुरु चरणों में सीश झुकाया यह सौभाग्य हमारा है । गुरु ही ब्रह्मा,गुरु ही विष्णु, गुरु ही शिव ओँकारा हैँ।।
किसी भी परिस्थिति में दिखती हुई कठोरता व भयानकता से भयभीत नहीं होना चाहिए | कष्टों के काले बादलों के पीछे पूर्ण प्रकाशमय एकरस परम सत्ता सूर्य की तरह सदा विद्यमान है | -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
जिनके आगे प्रिय-अप्रिय, अनुकूल-प्रतिकूल, सुख-दुःख और भूत-भविष्य एक समान हैं ऐसे ज्ञानी, आत्मवेत्ता महापुरूष ही सच्चे धनवान हैं | -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
पुरुषार्थी,
संयमी,
उत्साही
पुरुषों के
लिए कुछ भी
असम्भव नहीं
है और आलसी,
लापरवाह
लोगों के लिए
तो सफलता भी
विफलता मेंबदल
जाती है। अतः
पुरुषार्थी
बनो, दृढ़
संयमी बनो,
उत्साही बनो। -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
सुख में विवेक सोता है और दुःख में विवेक जागता है।जीवन के विकास के लिए दुःख नितान्त जरूरी है। जीवन के उत्थान के लिए दुःख अति आवश्यक है।मनुष्य जब दुःख का सदुपयोग करना सीख लेता है तो दुःख का कोई मूल्य नहीं रहता।
आत्मज्ञानी के हुक्म से सूर्य प्रकाशता है | उनके लिये इन्द्र पानी बरसाता है | उन्हीं के लिये पवन दूत बनकर गमनागमन करता है | उन्हीं के आगे समुद्र रेत में अपना सिर रगड़ता है |