Tuesday, 30 April 2013
Monday, 29 April 2013
Saturday, 27 April 2013
Friday, 26 April 2013
Thursday, 25 April 2013
Wednesday, 24 April 2013
Saturday, 20 April 2013
Thursday, 18 April 2013
1071_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
ऐ मन रूपी
घोड़े !
तू और छलांग
मार। ऐ नील
गगन के घोड़े ! तू और
उड़ान ले।
आत्म-गगन के
विशाल मैदान
में विहार कर।
खुले विचारों
में मस्ती लूट।
देह के पिंजरे
में कब तक
छटपटाता
रहेगा ?
कब तक विचारों
की जाल में
तड़पता रहेगा ? ओ
आत्मपंछी ! तू और
छलांग मार। और
खुले आकाश में
खोल अपने पंख।
निकल अण्डे से
बाहर। कब तक
कोचले में
पड़ा रहेगा ? फोड़
इस अण्डे को।
तोड़ इस
देहाध्यास
को। हटा इस
कल्पना को।
नहीं हटती तो
ॐ की गदा से
चकनाचूर कर
दे।
-Pujya Asharam Ji Bapu
Wednesday, 17 April 2013
1070_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
एकान्तवासो
लघुभोजनादि ।
मौनं निराशा
करणावरोधः।।
मुनेरसोः
संयमनं षडेते ।
चित्तप्रसादं
जनयन्ति
शीघ्रम् ।।
'एकान्त
में रहना,
अल्पाहार,
मौन, कोई आशा न
रखना,
इन्द्रिय-संयम
और प्राणायाम,
ये छः मुनि को शीघ्र
ही
चित्तप्रसाद
की प्राप्ति
कराते हैं।'
एकान्तवास,
इन्द्रियों
को अल्प आहार,
मौन, साधना
में तत्परता,
आत्मविचार
में
प्रवृत्ति...
इससे कुछ ही
दिनों में
आत्मप्रसाद
की प्राप्ति
हो जाती है।
Tuesday, 16 April 2013
Monday, 15 April 2013
Sunday, 14 April 2013
1065_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
अज्ञान
से,
अज्ञानियों
के संग से,
अज्ञानियों
की बातों से
अन्तःकरण में
अविद्या का
निर्माण होता
है और जीव
दुःख का भागी
बनता है।
चित्त में
और व्यवहार
में जितनी
चंचलता होगी, जितनी
अज्ञानियों
के बीच घुसफुस
होगी, जितनी बातचीत
होगी उतना
अज्ञान
बढ़ेगा।
जितनी आत्मचर्चा
होगी, जितना
त्याग होगा,
दूसरों के दोष
देखने के बजाय
गुण देखने की
प्रवृत्ति
होगी उतना अपने
जीवन का
कल्याण होगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu
Saturday, 13 April 2013
1064_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
पूजा करते
हैं ठाकुरजी
की, मंदिर में
जाते हैं,
मस्जिद में
जाते हैं,
गिरजाघर में
जाते हैं लेकिन
चित्त का
निर्माण नहीं
करते हैं तो
संसारयात्रा
का अन्त नहीं
आता।
चित्त का अज्ञान से निर्माण हुआ इसीलिए यह जगत सत्य भासता है और जरा-जरा सी बातें सुख-दुःख, आकर्षण, परेशानी देकर हमें नोंच रही हैं।
ध्यान के
द्वारा, सत्संग
के द्वारा
चित्त का ठीक
रूप में निर्माण
करना है,
चित्त का
परिमार्जन
करना है।चित्त का अज्ञान से निर्माण हुआ इसीलिए यह जगत सत्य भासता है और जरा-जरा सी बातें सुख-दुःख, आकर्षण, परेशानी देकर हमें नोंच रही हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu
Friday, 12 April 2013
Thursday, 11 April 2013
Wednesday, 10 April 2013
Sunday, 7 April 2013
Saturday, 6 April 2013
Friday, 5 April 2013
Wednesday, 3 April 2013
1052_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
-Pujya Asharam Ji Bapu