Saturday, 27 April 2013

1076_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्म-ध्यान से, आत्म-चिन्तन से भोक्ता की बरबादी रुकती है। भोक्ता स्वयं आनंदस्वरूप परमात्मामय होने लगता है, स्वयं परमात्मा होने लगता है। परमात्मा होना क्या है.... अनादि काल से परमात्मा था ही, यह जानने लगता है।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.