Wednesday, 24 October 2012

877_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे बचपन की बुद्धि आपको अब छोटी लगती है ऐसे ही जब भगवान बुद्धियोग देंगे तब आज की बुद्धि भी आपको बचकानी लगेगी। दो पाँच लाख मिल गये, राजी हो गये। दो-पाँच लाख चले गये, दुःखी हो गये। जब बुद्धियोग मिलेगा तब पता चलेगा कि यह भी एक बाल्यावस्था है।
न खुशी अच्छी है न मलाल अच्छा है।
यार जिसमें रख दे वह हाल अच्छा है।।
हमारी न आरजू है न जुस्तजू है।
हम राजी हैं उसमें जिसमें तेरी रजा है।।
ऐसी समता की ऊँचाई पर आदमी पहुँच जाता है।
 -Pujya asharam ji bapu

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