Wednesday, 29 February 2012

263_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मा को जानने वाला शोक से तर जाता है। उसे कोई दुःख प्रभावित नहीं कर सकता। उसके चित्त को कोई भी दुःख चलायमान नहीं कर सकता।

Pujya asharam ji bapu

262_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

   आनन्द से ही सबकी उत्पत्ति, आनन्द में ही सबकी स्थिति एवं आनन्द में ही सबकी लीनता देखने से आनन्द की पूर्णता का अनुभव होता है
Pujya asharam ji bapu

Tuesday, 28 February 2012

261_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मन में भय, अशांति, उद्वेग और विषाद को स्थान मत दो। सदा शांत, निर्भय और प्रसन्न रहने का अभ्यास करो। अपनी महिमा में जागो। खामखाह क्यों दीन होते हो?
Pujya asharam ji bapu 

260_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चाहे करोड़ों सूर्य का प्रलय हो जाये, चाहे असंख्य चन्द्रमा पिघलकर नष्ट हो जायें परंतु ज्ञानी महापुरुष अटल एवं अचल रहते हैं


Pujya asharam ji bapu

Monday, 27 February 2012

259_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपनी ही कृति से तुम गुरु को नजदीक या दूर अनुभव करते हो। ब्रह्मज्ञानी न तो किसी को दूर धकेलते हैं, न ही नजदीक लाते हैं। तुम्हारी श्रद्धा और व्यवहार ही तुम्हें उनसे नजदीक या दूर होने का एहसास कराते हैं।
Pujya asharam ji bapu 

258_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 जब तक आप अपने अंतःकरण के अन्धकार को दूर करने के लिए कटिबद्ध नहीं होंगे तब तक तीन सौ तैंतीस करोड़ कृष्ण अवतार ले लें फिर भी आपको परम लाभ नहीं होगा |
Pujya asharam ji bapu

Sunday, 26 February 2012

257_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

याद रखो : आपके अंतःकरण में स्वास्थय, सुख, आनंद और शान्ति ईश्वरीय वरदान के रूप में विद्यमान है | अपने अंतःकरण की आवाज़ सुनकर निशंक जीवन व्यतीत करो | मन में से कल्पित रोग के विचारों को निकाल दो | प्रत्येक विचार, भाव, शब्द और कार्य को ईश्वरीय शक्ति से परिपूर्ण रखो | ॐकार का सतत गुंजन करो |

सुबह-शाम उपरोक्त विचारों का चिंतन-मनन करने से विशेष लाभ होगा | आनंद शांति  पूर्ण स्वस्थपूर्ण प्रसन्न

Pujya asharam ji bapu

256_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

क्रोधी यदि आपको शाप दे और आप समत्व में स्थिर रहो, कुछ न बोलो तो उसका शाप आशीर्वाद में बदल जायेगा 
Pujya asharam ji bapu

255_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नुष्य वाणी के संयम द्वारा अपनी शक्तियों को विकसित कर सकता है। मौन से आंतरिक शक्तियों का बहुत विकास होता है। अपनी शक्ति को अपने भीतर संचित करने के लिए मौन धारण करने की आवश्यकता है। कहावत है कि न बोलने में नौ गुण।
ये नौ गुण इस प्रकार हैं। 1. किसी की निंदा नहीं होगी। 2. असत्य बोलने से बचेंगे। 3. किसी से वैर नहीं होगा। 4. किसी से क्षमा नहीं माँगनी पड़ेगी। 5. बाद में आपको पछताना नहीं पड़ेगा। 6. समय का दुरूपयोग नहीं होगा। 7. किसी कार्य का बंधन नहीं रहेगा। 8. अपने वास्तविक ज्ञान की रक्षा होगी। अपना अज्ञान मिटेगा। 9. अंतःकरण की शाँति भंग नहीं होगी।
Pujya asharam ji bapu

Saturday, 25 February 2012

254_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यदि तुम सच्चे हृदय से आतुरतापूर्वक ईश्वर की प्रार्थना करोगे तो ईश्वर गुरु के स्वरूप में तुम्हारे पास आयेंगे।
(ऋषि प्रसाद)

Friday, 24 February 2012

253_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख को भविष्य में मत ढूँढो'यह मिलेगा तब सुखी होऊँगा, इतना करुँगा तब सुखी होऊँगा...' ऐसा नहीं। वर्त्तमान क्षण को ही सुखद बनाने की कला सीख लो, क्योंकि भविष्य कभी आता नहीं और जब भी आता है तब वर्त्तमान बनकर ही आता है।
Pujya asharam ji bapu

Thursday, 23 February 2012

252_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

राजा-महाराजा, देवी-देवता, वेद-पुराण आदि जो कुछ हैं वे आत्मदर्शी के संकल्पमात्र हैं

250_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वृति यदि आत्मस्वरूप में लीन होती है तो उसे सत्संग, स्वाध्याय या अन्य किसी भी काम के लिये बाहर नहीं लाना चहिये
Pujya asharam ji bapu

249_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रहत माया में फिरत उदासी
कहत कबीर मैं उसकी दासी ।।
ब्रह्मज्ञानी सदा निर्लेपा
                                                         जैसे जल में कमल अलेपा ।।

Wednesday, 22 February 2012

248_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बाह्य संदर्भों के बारे में सोचकर अपनी मानसिक शांति को भंग कभी  होने दो
 Pujya asharam ji bapu

247_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 जब आपने व्यक्तित्व विषयक विचारों का सर्वथा त्याग कर दिया जाता है तब उसके समान अन्य कोई सुख नहीं, उसके समान श्रेष्ठ अन्य कोई अवस्था नहीं
 Pujya asharam ji bapu

Tuesday, 21 February 2012

246_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुदृढ़ अचल संकल्प शक्ति के आगे मुसीबतें इस प्रकार भागती हैं जैसे आँधी-तूफ़ान से बादल बिखर जाते हैं |
Pujya asharam ji bapu

245_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

विश्वं स्फुरति यत्रेदं तरंगा इव सागरे
तत्त्वमेवसन्देहश्चिन्मूर्ते विज्वरो भव ।।
श्रद्धत्स्व तात श्रद्धत्स्व नात्र मोहं कुरुष्व भोः
ज्ञानस्वरूपो भगवानात्मा त्वं प्रकृतेः परः।।

'जहाँ से यह संसार, सागर में तरंगों की तरह स्फुरित होता है सो तू ही है, इसमें सन्देह नहीं। हे चैतन्यस्वरूप ! संताप रहित हो। हे सौम्य ! हे प्रिय ! श्रद्धा कर, श्रद्धा कर। इसमें मोह मत कर। तू ज्ञानस्वरूप, ईश्वर, परमात्मा, प्रकृति से परे है।'
(अष्टावक्रगीता)

244_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इस सम्पूर्ण जगत को पानी के बुलबुले की तरह क्षणभंगुर जानकर तुम आत्मा में स्थिर हो जाओ | तुम अद्वैत दृष्टिवाले को शोक और मोह कैसे
Pujya asharam ji bapu

Monday, 20 February 2012

243_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 प्रसन्नमुख रहना यह मोतियों का खज़ाना देने से भी उत्तम है..
Pujya asharam ji bapu

242_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अविश्वास और धोखे से भरा संसार, वास्तव में सदाचारी और सत्यनिष्ठ साधक का कुछ बिगाड़ नहीं सकता.
ujya asharam ji bapu

241_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

महात्मा वे हैं जिनकी विशाल सहानुभूति एवं जिनका मातृवत हृदय सब पापियों को, दीन-दुखियों को प्रेम से अपनी गोद में स्थान देता है 
 Pujya asharam ji bapu

Sunday, 19 February 2012

240_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 किसी भी चीज़ को ईश्वर से अधिक मूल्यवान मत समझो...
Pujya asharam ji bapu

239_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चिन्ता ही आनन्द व उल्लास का विध्वंस करनेवाली राक्षसी है
Pujya asharam ji bapu

238_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो दूसरों का
दुःख नहीं हरता, उसका
अपना दुःख नहीं मिटता और
जो दूसरों के
दुःख हरने में लग जाता है,
उसका अपना दुःख टिकता नहीं।
Pujya asharam ji bapu

237_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 जैसे सामान्य मनुष्य को पत्थर, गाय, भैंस स्वाभाविक रीति से दृष्टिगोचर होते हैं, वैसे ही ज्ञानी को निजानन्द का स्वाभाविक अनुभव होता है
Pujya asharam ji bapu

236_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शरीर अन्दर के आत्मा का वस्त्र है | वस्त्र को उसके पहनने वाले से अधिक प्यार मत करो |
Pujya asharam ji bapu

Saturday, 18 February 2012

235_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तिः। जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः।
हम धर्म जानते हैं लेकिन उस धर्म में हमारी प्रवृत्ति नहीं हो रही है। हम अधर्म को जानते हैं लेकिन उस अधर्म से हमारी निवृत्ति नहीं हो रही है। हम जानते हैं कि यह अच्छा नहीं है फिर भी उसमें फँसे रहते हैं। हम जानते हैं कि यह अच्छा है लेकिन उसमें हमारी प्रवृत्ति नहीं हो पाती।
Pujya asharam ji bapu 

234_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यो गुरु स शिवः प्रोक्तो, यः शिवः स गुरुस्मृतः |

विकल्पं यस्तु कुर्वीत स नरो गुरुतल्पगः ||

जो गुरु हैं वे ही शिव हैं, जो शिव हैं वे ही गुरु हैं | दोनों में जो अन्तर मानता है वह गुरुपत्नीगमन करनेवाले के समान पापी है |
(श्री गुरुगीता)

233_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में निर्भयता आनी चाहिए। भय पाप है, निर्भयता जीवन है। जीवन में अगर निर्भयता आ जाय तो दुःख, दर्द, शोक, चिन्ताएँ दूर हो जाती हैं। भय अज्ञानमूलक है, अविद्यामूलक है और निर्भयता ब्रह्मविद्यामूलक हैं। जो पापी होता है, अति परिग्रही होता है वह भयभीत रहता है। जो निष्पाप है, परिग्रह रहित है अथवा जिसके जीवन में सत्त्वगुण की प्रधानता है वह निर्भय रहता है।Pujya asharam ji bapu

232_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बहते संसार के
सुख-दुःख,
आकर्षण-विकर्षण में
चट्टान की नाईं
सम,निर्लिप्त रहना ही बहादुरी है।
 Pujya asharam ji bapu

Friday, 17 February 2012

231_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे मछलियाँ जलनिधि में रहती हैं, पक्षी वायुमंडल में ही रहते हैं वैसे आप भी ज्ञानरूप प्रकाशपुंज में ही रहो, प्रकाश में चलो, प्रकाश में विचरो, प्रकाश में ही अपना अस्तित्व रखो | फिर देखो खाने-पीने का मजा, घूमने-फिरने का मजा, जीने-मरने का मजा |
Pujya asharam ji bapu

230_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तालुस्थान में जिह्वा लगाने से जीवन-शक्ति केन्द्रित हो जाती है। इसीलिए प्राचीन काल से ही योगीजन तालुस्थान में जिह्वा लगाकर जीवन-शक्ति को बिखरने से रोकते रहे होंगे। डॉ. डायमण्ड ने म्रत्रजप एवं ध्यान के समय इस प्रकिया से जिन साधकों की जीवन-शक्ति केन्द्रित होती थी उनमें जप-ध्यान से शक्ति बढ़ रही थी, वे अपने को बलवान महसूस कर रहे थे। अन्य वे साधक जो इस क्रिया के बिना जप-ध्यान करते थे उन साधकों की अपेक्षा दुर्बलता महसूस करते थे।
Pujya asharam ji bapu

Thursday, 16 February 2012

229_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

उस नजर की तरफ मत देखो जो आप को देखने से इंकार करती है ,
दुनिया की भीड़ में उस नज़र को देखीये  जो सिर्फ आप का इंतजार करती है ,
वो नजर है इश्वर और गुरु की ......

Wednesday, 15 February 2012

228_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

समस्त संसार आपकी रचना है। महापुरुषों का अनुभव इस बात को पुष्ट करता है, फिर भी तुम घबराते हो ! अपनी ही कृति से भयभीत होते हो ! सब प्रकार के भय को परे हटा दो। किसी भी भय-शोक-चिन्ता को पास मत फटकने दो । तुम संसार के शहंशाह हो। तुम परमेश्वर आप हो। अपने ईश्वरत्व का अनुभव करो।
Pujya asharam ji bapu

227_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आशा रखनी ही है तो राम की आशा रखो। राम की आशा करोगे तो तुम आशाराम बन जाओगे। आशा का दास नहीं.... आशा का राम !
आशा तो एक राम की और आश निराश।
Pujya asharam ji bapu

226_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निज आत्मरूप में जाग

हो गयी रहमत गुरु की, हरिनाम रस को पा लिया।
ध्यान-रंग में डुबा दिया, निज आत्मभाव में जगा दिया।।
लज्जत1 है नाम-रस में, पी ले तू बारम्बार।
गुरुचरणों में पा ले, प्रभुप्रेम की खुमार।।
कामना को त्याग दे, कर ईश में अनुराग।
गफलत में क्यों सो रहा, निज आत्मरूप में जाग।।
1 स्वाद

225_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में उतार चढ़ाव आने पर, खट्टे-मीठे प्रसंग आने पर लोग दुःखी हो जाते हैं। अपने को पापी समझकर वे दुःखी हो रहे हैं। यह बड़ी गलती है। जीवन के विकास के लिए दुःख नितान्त जरूरी है। जीवन के उत्थान के लिए दुःख अति आवश्यक है।
सुख में विवेक सोता है और दुःख में विवेक जागता है। लेकिन दुःख में घबड़ाने से आदमी दुर्बल हो जाता है। दुःख का का सदुपयोग करने से आदमी बलवान् हो जाता है।

Pujya asharam ji bapu

Tuesday, 14 February 2012

224_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अतीत का शोक और
भविष्य की चिंता
क्यों करते हो?
हे प्रिय !
वर्तमान में साक्षी, तटस्थ और
प्रसन्नात्मा होकर जीयो....

Pujya asharam ji bapu

223_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जागो.... उठो.... अपने भीतर सोये हुए निश्चयबल को जगाओ सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो। आत्मा मे अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोकी में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके।
Pujya asharam ji bapu

222_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गलिते देहाध्यासे विज्ञाते परमात्मनि।
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः।।
जब देहाध्यास गलित हो जाता है, परमात्मा का ज्ञान हो जाता है, तब जहाँ-जहाँ मन जाता है, वहाँ-वहाँ समाधि का अनुभव होता है, समाधि का आनन्द आता है।
देहाध्यास गलाने के लिए ही सारी साधनाएँ हैं। परमात्मा-प्राप्ति के लिये जिसको तड़प होती है, जो अनन्य भाव से भगवान को भजता है, 'परमात्मा से हम परमात्मा ही चाहते हैं.... और कुछ नहीं चाहते.....' ऐसी अव्यभिचारिणी भक्ति जिसके हृदय में है, उसके हृदय में भगवान ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं।
Pujya asharam ji bapu 

Monday, 13 February 2012

221_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

उमा तिनके बड़े अभाग, जे नर हरि तजि विषय भजहिं।
परमात्मा को छोड़कर जो विषयों का चिन्तन करते हैं उनके बड़े दुर्भाग्य हैं। विष में और विषय में अन्तर है। विष का चिन्तन करने से मौत नहीं होती, विष का चिन्तन करने से पतन नहीं होता, विष जिस बोतल में रहता है उस बोतल का नाश नहीं करता लेकिन विषय जिस चित्त में रहता है उसको बरबाद करता है, विषय का चिन्तन करने मात्र से पतन होता है,
Pujya asharam ji bapu

Sunday, 12 February 2012

220_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः ।
आत्मन्येव च संतुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते ।।
'जो मनुष्य आत्मा में ही रमण करने वाला और आत्मा में ही तृप्त तथा आत्मा में ही संतुष्ट हो, उसके लिए कोई कर्त्तव्य नहीं है।'
(भगवद् गीताः ३-१७)

219_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने को हीन समझना और परिस्थितियों के सामने झुक जाना आत्महनन के समान है। तुम्हारे अन्दर ईश्वरीय शक्ति है। उस शक्ति के द्वारा तुम सब कुछ करने में समर्थ हो। परिस्थितियों को बदलना तुम्हारे हाथ में है।
Pujya asharam ji bapu

218_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हे वत्स !
उठ.... ऊपर उठ।
प्रगति के सोपान एक के बाद एक
तय करता जा।
दृढ़ निश्चय कर कि
'अब अपना जीवन
दिव्यता की तरफ लाऊँगा।
Pujya asharam ji bapu