Monday, 10 October 2011
Pujya asaram ji bapu (प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू)
सदगुरु
जिसे मिल जाय सो ही धन्य है जन
मन्य
है।
सुरसिद्ध
उसको
पूजते
ता
सम न
कोऊ
अन्य है॥
अधिकारी हो
गुरुदेव
से उपदेश जो नर
पाय
है।
भोला
तरे
संसार से नहीं गर्भ में फिर आय है॥
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