Monday, 10 October 2011

Pujya asaram ji bapu (प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू)

जो दूसरों का
दुःख नहीं हरता, उसका
अपना दुःख नहीं मिटता और
जो दूसरों के
दुःख हरने में लग जाता है,
उसका अपना दुःख टिकता नहीं।
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य  संत श्री आसारामजी बापू   :-

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.