Tuesday, 11 June 2019

1646- 🍃 मौन रहना सीखो (प्रेरक विचार) 🍃

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1646- 🍃 मौन रहना सीखो (प्रेरक विचार) 🍃

🍀 एक शिक्षक गधे को बोलना सिखाने के काम में जुटा । वह दिन-रात उस पर मेहनत करता, अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगाकर उसे बोलना सिखाने की चेष्टा करता । उस शिक्षक का यह बाल-प्रयत्न देखकर एक विद्वान ने कहा-“तुमने इतनी मेहनत की... मगर यह गधा तुमसे बोलना नही सीख पाया, क्या ही अच्छा हो, तुम इससे चुप रहना सीखलो.'' दिन भर बड़बड़ाने से अच्छा है, पशु की भॉति मौन रहना । 🍀

Saturday, 8 June 2019

1645- 🌴 मौन के दो रूप (प्रेरक विचार) 🌴


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🌴 मौन के दो रूप (प्रेरक विचार)🌴

✨ मौन के दो प्रकार है -
१- मूढ-मौन
२-अन्तः करण का मौन
मूढ मौन ज्ञान एवं प्रेरणा से शून्य होता है, उसमें मूकता अवश्य रहती है, पर अन्तर दर्शन की प्रेरणा अथवा प्रकाश नही होता, वह एक प्रकार की अंधकार युक्त मूढता है ।

 अन्तः करण का मौन-शक्ति का स्रोत है। उसमें सर्जन की प्रेरणाएं तथा जागृति रहती है उसमे अन्तर-दर्शन होता है, मन में ईश्वरत्व की अनुभूति जगती है। इस मौन को प्राप्त करने का साधन है—ध्यान ! अर्थात् वृत्तियो का अन्तरागमन । जीवन की अंतर्मुखता । आइन्स्टीन ने इसी मौन को सफलता का मूलमंत्र कहा है और सर्जनशक्ति का स्रोत माना है। ✨

Friday, 7 June 2019

1644-💐 मूर्ख को शिक्षा (प्रेरक विचार)💐

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🌸 जो आदमी मूर्ख, अहंकारी और आग्रही को शिक्षा देता है, वह स्वयं ही वास्तव में शिक्षा पाने के योग्य है। क्योकि ये तीनों, अपने को अधिक समझदार मानते है और शिक्षा देने वाले को मूर्ख। फिर उन्हें शिक्षा देकर स्वयं को मूर्ख क्यो बनाया जाय ?  - www.mybapuji.com 🌸

Wednesday, 5 June 2019

1643- 🌷 मूर्ख की संगति (प्रेरक विचार) 🌷

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🌷 मूर्ख की संगति (प्रेरक विचार) 🌷

✨  विद्वान आदमी यदि मूर्खों की संगति करता है, तो वह अपना ज्ञान खो देता है, जैसे कि कस्तूरी हींग की डिबिया में बंद होकर अपनी सुंगध खो देती है। और यदि अज्ञानी मूर्खों की संगति करे तो क्या होगा ? करेला स्वयं ही कडवा और फिर नीम पर चढ गया तो ? शेखसादी के शब्दो में इसका उत्तर है-
'अगर तुम विद्वान हो तो बेवकूफो की संगति से मूर्ख बन जाओगे, और यदि मूर्ख हो, तो फिर पूरे गधे ही हो जाओगे ।'  ✨

Tuesday, 4 June 2019

1642- 🍂 मितव्ययिता (प्रेरक विचार) 🍂

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🍂 मितव्ययिता (प्रेरक विचार) 🍂

🌲
कंजूसी दोष है, किन्तु किफायतसारी गुण है । मनुष्य को कंजूस नहीं, किन्तु किफायतसार अवश्य होना चाहिए । उदाहरण स्वरूप विजली खर्च के डर से अंधकार में रहना कंजूसी है और आवश्यक प्रकाश

रखकर व्यर्थ के बिजली खर्च से बचना किफायतसारी-मितव्ययिता है।

एक धनी व्यक्तिसे एक युवक ने पूछा कि वह किस प्रकार इतना सम्पन्न बन गया ?

“यह एक लम्बी कहानी है—धनिक ने जंभाई लेकर कहा ‘बतलाइए न ?” युवक ने आग्रह किया । सुनाते हुए काफी समय लगेगा ।अगर हम बत्ती बुझाकर शांति से बैठे तो ज्यादा अच्छा रहेगा, सुनना तो कान से है ..! धनिक ने कहा, और बत्ती बुझा दी । युवक तत्काल बोल उठा-बस, अबआपको अपनी कहानी सुनाने की आवश्यकता नही । मैं समझ गया धनी बनने का तरीका क्या है ? 🌲

Monday, 3 June 2019

1641- 🌳 मिट्टी की सीख (प्रेरक विचार)🌳

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🌳 मिट्टी की सीख (प्रेरक विचार)🌳

🍃 एक तत्व ज्ञानी से किसी ने पूछा-"जीवन में कैसे जीए कि दु.ख और चिताए नही सताएँ" । तत्त्वज्ञानी ने हाथ में एक मिट्टी का ढेला उठाया उस पर पानी की कुछ बूंदे डाली, वह उसमे समा गई, तब उसने कहा-'देख ! मानव का शरीर मिट्टी से बना है, तो मिट्टी की तरह ही सुख-दुख को अपने भीतर समा लेना चाहिए जो इन्हे भीतर पचा नहीं सकता, उसका सब कुछ मिट्टी (व्यर्थ) हो जाता है। 🍃

Sunday, 2 June 2019

1640- 🥀 एकांत और शांति (प्रेरक विचार)🥀

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🥀 एकांत और शांति (प्रेरक विचार)🥀

🌲 कुछ लोग शांति की खोज में एकांत में,पहाड़ो में, निर्जन वनों या नदी तटो पर निवास करते है, पर क्या यह शांति प्राप्त करने का सही मार्ग है ? क्या शांति कही एकांत निर्जन वन में छुपी है ? वास्तव में अच्छे विचारो और एकाग्रचिन्तन से जो शांति प्राप्त होती है, वह एकांतवास की शांति से हजार गुनी अच्छी है।
शांति के लिए एकांत वन में नहीं, किंतु प्रशांत मन में प्रवेश करो । अच्छे विचारों के आश्रम में निवास करो और एकाग्र साधना के सहारे शांति का आनन्द अनुभव करो। 🌲


Saturday, 1 June 2019

1639- 🌤️ कीर्ति-कुंवारी है। (प्रेरक विचार) 🌤️

 
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🌤️ कीर्ति-कुंवारी है। (प्रेरक विचार) 🌤️

🌿 कीर्ति-कुमारी ने एक दिन ब्रह्मा जी के समक्ष उपस्थित होकर शिकायत की-प्रभो ! आपने संसार मे हर नारी के योग्य किसी पुरुष की रचना की है और उसे योग्य वर भी मिला है, पर मुझ पर ही आपकी यह अकृपा क्यो ? मुझे अबतक अपने योग्य कोई वर नही मिला।
🍁 ब्रह्मा जी चकित होकर कीर्ति की ओर देखने लगे—क्या सच; इस संसार में कोई भी योग्य पुरुष तुम्हें नही मिला ?
🌿 कीर्ति-पुरुष तो बहुत है, पर जो वीर है, गुणवान है, विद्वान है वे तो मुझे चाहते नही और कायर, गुणहीन तथा मूर्खों को मैं नहीं चाहती। इस कारण मैं अब तक ही कुंवारी बैठी हूँ।

Friday, 31 May 2019

1638-🌲 कितना खाना ? (प्रेरक विचार) 🌲

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🌲 कितना खाना ? (प्रेरक विचार) 🌲

🍃 लुकमान हकीम से किसी ने पूछा-स्वस्थ रहने के लिए कितना खाना चाहिए ?
☘️ हकीम ने कहा–जितनी भूख हो उससे कम।
🍃 भूख न सही जाये तो ?
☘️ पेट भर कर खा लो, मगर दूसरे वक्त लंघन कर दो ।
🍃 ऐसा भी न कर सके तो ? फिर पूछा गया !
☘️ फिर कफन सिरहाने रख कर चाहे जितना खाओ -लुकमान हकीम ने दो टूक उत्तर दिया ।
स्वस्थता का पहला साधन है, भूख से कम खाना ।

Thursday, 30 May 2019

1637- 🌿 एक हरफ (प्रेरक विचार) 🌿

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🌿 एक हरफ (प्रेरक विचार) 🌿

🌾 किसी दुष्ट व्यक्ति ने एक भक्तहृदय संत से कहा-महाराज ! कुछ सुनाइए ।
संत ने कहा–यदि तू सुन सकता है तो एक ही हरफ (अक्षर) तेरे लिए काफी है-
जो काटा बोएगा, वह फूल कहाँ से पाएगा ? 🌾

Wednesday, 29 May 2019

1636- 💦 उपदेश (प्रेरक विचार) 💦

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💦 उपदेश (प्रेरक विचार) 💦

💫 ईरान के न्यायप्रिय सम्राट फरीदूँ ने अपने महल के दरवाजे पर दो अमूल्य वचन लिखवाये थे-
🌿 १- यह दुनिया चार दिन की चांदनी है ।
🌿 २. मरने के बाद बादशाह और भिखारी में कोई फर्क नहीं है।
वह न्याय के आसन पर बैठने से पहले इन दो वाक्यो को गम्भीरतापूर्वक पढता और फिर मन में अटल न्याय का सकल्प लेता ।
क्या ही अच्छा हो, यदि हम भी इन वाक्यों पर विचार कर अपने आचरण को पवित्र व नीतियुक्त रखे !

Tuesday, 28 May 2019

1635- ❅ उदारता और त्याग ❅ (प्रेरक विचार)

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❅ उदारता और त्याग ❅ (प्रेरक विचार)

✤ उदारता ने कहा- यदि लोग मुझे अपनाये, तो मागनेवालो को कोई कमी न रहे।
त्याग ने कहा- यदि लोग मुझे अपनाले, तो संसार में किसी को मांगने की जरूरत ही न हो ।✤

Monday, 27 May 2019

1634- ❀ उदारता का अर्थ ❀ (प्रेरक विचार)

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❀ उदारता का अर्थ ❀ (प्रेरक विचार)

💫 जिस वस्तु की तुम्हे आवश्यकता नही, उसे किसी गरीब या जरूरतमन्द को दे देना-यह कोई उदारता नही ।
उदारता का अर्थ है—अत्यन्त आवश्यक एवं प्रिय वस्तु को भी दया, स्नेह एव सहयोग की भावना से अर्पित कर देना
उदारता वस्तु से नही, भावना से आकी जाती है ।
दया, दान और सेवा वस्तु से नही, परिस्थिति पर भावनापूर्वक करने पर ही अपना सुफल दिखाते है । 💫

Sunday, 26 May 2019

133- ❣️ उद्बोधक उक्ति ❣️(प्रेरक विचार)


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❣️ उद्बोधक उक्ति ❣️(प्रेरक विचार)

✨ तेलुगु के एक सत कवि वेमना की उक्ति कितनी उद्बोधक है ✨

भूमि नादियन्ना भूमि पक्कुन नव्वु,
दानहीनु जूचि धनमु नव्वु ,
कदन भीतु जूचि कालुडु नव्वुरा,
 विश्वदाभिराम विनुर वेमा,

❦ विश्व को आनन्दित करनेवाले वेमना, सुनो । यदि कोई आदमी कहता है कि यह भूमि मेरी सम्पत्ति है, तो भूमि (उसकी मूर्खता पर) हसती है।  कजूस को देखकर धन (उसके अज्ञान पर कि यह धन यही रह जायेगा मूर्ख क्यो कजूसी कर रहा है ) हसता है और रण से डरकर भागनेवाले पर काल (मौत कही भी नहीं छोड़ेगी, फिर भाग क्यो रहा है) हसता है। ❦

132- अत्म-निरीक्षण (प्रेरक विचार)

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अत्म-निरीक्षण (प्रेरक विचार)

एक साधक ने आत्म-निरीक्षण की मधुर वेला मे आत्मा का अन्तर-दर्शन करते हुए लिखा है मैंने अपनी आत्मा को पाच बार धिक्कारा है -
१ -जब उसने ऊँचा ओहदा पाने के लिए खुशामदों और कागजी सिफारिशो का आश्रय लिया.
२ -जब उससे कहा गया कि सरल और कठिन में से एक को चुनले, तो उसने सरल को चुना.
३ -जब उसने पाप किया और यह सोच कर सन्तोष कर लिया कि दूसरे भी तो ऐसा ही। करते है.
४ -जब उसने व्यक्ति की बाह्य कुरूपता से घृणा की और यह नही जाना कि सबसे अधिक कुरूप तो उसका मन ही है.
५-जव उसने परायी निंदा के ब्याज से अपनी प्रशसा सुनी और यह न समझा कि वह उसीके भीतर का शैतान बोल रहा है।
वास्तव में यह चिंतन अपने मन की एक स्पष्ट तस्वीर हमारे सामने खीच देता है और अपने कृत्य के प्रति जागरूक बना देता है.

Saturday, 25 May 2019

131- आचरण शून्य (प्रेरक विचार)

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आचरण शून्य (प्रेरक विचार)

एक किसान ने कड़ी मेहनत से खून-पसीना एक करके अपना खेत तैयार किया. चिल-चिलाती धूप में बैठ कर ढेले फोड़े, मिट्टी को मुलायम बनाया और फिर वर्षा होने पर हल भी चलाया, किन्तु बीज नही डाला.
एक व्यक्ति ने दिन-रात पुस्तकों  से माथापच्ची कर ज्ञान प्राप्त किया. दिन में सूर्य के प्रकाश और रात में चांद की चांदनी में बैठ कर सैकडो शास्त्र पढे, हजारों पन्ने पलटे, किन्तु सब कुछ पढ़ कर भी उसके एक अक्षर पर भी आचरण नही किया.
क्या इन दोनो की मूर्खता में कोई अन्तर हैं ? सोचिए । गहराई के साथ !!

Friday, 24 May 2019

130- अंतिम दम तक (प्रेरक विचार)


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अंतिम दम तक

मोमबत्ती जलाई जाती है, तो बस जलती ही जाती है- जब तक जलकर निःशेष नही हो जाती बुझने का नाम ही नही लेती।
निष्ठावान साधक को भी यही स्थिति है, वह मोमबत्ती की तरह जीवन की अतिम सास तक अपने लक्ष्य के लिए जलता ही रहता है जीवन के रणक्षेत्र मे हाथी की तरह अंतिम दम तक जूझता ही चला जाता है ।

Thursday, 23 May 2019

129-असफलता से भी ज्ञान (प्रेरक विचार)

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असफलता से भी ज्ञान

एडिसन को ५०,००० प्रयोगो के बाद 'स्टोरेज बैटरी' बनाने में सफलता मिली. उनका सहायक उनके असफल प्रयोगों पर आश्चर्य कर रहा था पर एडिसन प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहे थे. हर असफलता पर वे नया उत्साह संजोकर अगले प्रयोग की तैयारी में जुट जाते.
एक दिन एडिसन के सहायक ने कहा-इतने असफल प्रयोगों से आखिर नतीजा क्या निकला ? एडिसन ने उत्तर दिया-बैटरी तैयार हो जाने के अतिरिक्त मुझे हजारों बाते ऐसी मालूम हो गयी, जिनसे बैटरी नही मिल सकतीं.
सहायक उनके धैर्य पर चकित था.

Tuesday, 21 May 2019

128-अपूर्णता (प्रेरक विचार)

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अपूर्णता (प्रेरक विचार)

मैने देखा–एक यात्री पथ पर कभी इधर, कभी उधर भटक रहा है उसे नहीं मालूम उसकी मजिल किधर है और उसका रास्ता कौन-सा, किधर से जाता है। मैंने देखा-एक पक्षी जिसके सुनहरे पख किसी ने काट डाले है, बिचारा तडफडा रहा है। मैंने देखा—एक विशाल वृक्ष पत्तियो और फूलो से लदा खडा है, उस पर एक भी फल नही है । मैंने देखा-एक सुन्दर विशाल भवन राजपथ पर सिर उठाए खडा है, पर उसमे प्रवेश करने का कोई द्वार ही नहीं वना है।
इन चारो की अपूर्णता पर विचार करते-करते मैने एक विद्वान को देखा. जिसने नीति और धर्म पर लम्बे-चोडे भाषण तो दिए, किन्तु उसके जीवन में कही भी धर्म का दर्शन नही हुआ मैने सोचा उनकी अपूर्णता सिर्फ उन्हे ही दुखदायी है, लेकिन इस धर्महीन विद्वान की अपूर्णता देश के लिए भी चिंता का विषय है ।

Monday, 20 May 2019

127- अपना स्वभाव

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अपना स्वभाव

सज्जन कष्ट और विपत्ति में भी अपनी सज्जनता नही छोड़ते और दुर्जन ऊँचे पद पर पहुचकर भी अपनी दुष्टता से बाज नहीं आते.

मैने देखा है-हीरा कीचड़ और मिट्टी में गिरकर भी अपनी चमक नही खोता, उसका वही मूल्य होता है. और धूल आकाश में ऊची चढकर भी कष्ट देती है अपना स्वभाव नही छोड़ती. इसीलिए कहा गया है -
जाको पड्यो स्वभाव जासी जीवसूँ
नीम न मीठा थाय सिचो गुड घीवसूँ