Monday, 9 January 2017
1561-Pujya Asaram Bapu Ji-राग रहित साधनात्मक भूमि
राग रहित साधनात्मक भूमि-Bapu ji
राग रहित भूमि में ही ‘योग’रूपी वृक्ष का प्रादुर्भाव होता है, जो कल्पतरु के समान है अर्थात् उसमें
समस्त विकास होते हैं। इतना ही नहीं, ‘योग’रूपी वृक्षपर ही ‘तत्त्वज्ञान’रूपी फल लगता है, जो
‘प्रेम’रस से परिपूर्ण है।
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