Thursday, 27 November 2014

1280_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



वेदान्त शास्त्र यह नहीं कहता कि ‘अपने आपको जानो ।’ अपने आपको सभी जानते हैं । कोई अपने को निर्धन जानकर धनी होने का प्रयत्न करता है, कोई अपनेको रोगी जानकर निरोग होने को इच्छुक है । कोई अपनेको नाटा जानकर लम्बा होने के लिए कसरत करता है तो कोई अपनेको काला जानकर गोरा होने के लिए भिन्न भिन्न नुस्खे आजमाता है ।



नहीं, वेदान्त यह नहीं कहता । वह तो कहता है : ‘अपने आपको ब्रह्म जानो ।’ जीवन में अनर्थ का मूल सामान्य अज्ञान नहीं अपितु अपनी आत्मा के ब्रह्मत्व का अज्ञान है । देह और सांसारिक व्यवहार के ज्ञान अज्ञान से कोई खास लाभ हानि नहीं है परंतु अपने ब्रह्मत्व के अज्ञान से घोर हानि है और उसके ज्ञान से परम लाभ है ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.