Monday, 17 November 2014

1279_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

~~~~~~ .....नहीं तो सिर धुन-धुनकर पछताना पड़ेगा  ~~~~~~~

संसार के जिन-जिन पदार्थों, वस्तुओं आदि को हम अपना मान रहे हैं, वे हमारे नहीं हैं, उनसे हमारा वियोग अवश्यंभावी है। अतएव उनके संग्रह, संरक्षण में ईश्वर को भुला देना उचित नहीं। परमात्मा की प्राप्ति के लिए किये जाने वाले कर्मों के अतिरिक्त सभी कर्म व्यर्थ अथवा अनर्थ हैं।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.