ज्ञानी को शत्रु से द्वेष नहीं, मित्र से राग
नहीं । ज्ञानी को मौत का भय नहीं,नाश
का ड़र नहीं, जीने की वासना नहीं, सुख
की इच्छा नहीं और दुख से द्वेष नहीं
क्योंकि वह जानता है यह सब मन में
रहता है और मन एक मिथ्या कल्पना है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu