Sunday, 30 September 2012

809_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

पुण्यात्मा सुख से भी फायदा उठाते हैं और दुःख से भी फायदा उठाते हैं। पापात्मा दुःख से ज्यादा दुःखी होते हैं और सुख में भी भविष्य के लिए बड़ा दुःख बनाने की कुचेष्टा करते हैं।
-Pujya asharam ji bapu

808_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शुभ संकल्प और पवित्र कार्य करने से मन शुद्ध होता है, निर्मल होता है तथा मोक्ष मार्ग पर ले जाता है । यही मन अशुभ संकल्प और पापपूर्ण आचरण से अशुद्ध हो जाता है तथा जडता लाकर संसार के बन्धन में बांधता है ।
-Pujya asharam ji bapu

Saturday, 29 September 2012

807_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थ कर्म कौन्तेय मुक्तसंगः समाचर।।
'यज्ञ के निमित्त किये जाने वाले कर्मों से अतिरिक्त दूसरे कर्मों में लगा हुआ ही यह मनुष्य-समुदाय कर्मों से बँधता है। इसलिए हे अर्जुन ! तू आसक्ति से रहित होकर उस यज्ञ के निमित्त ही भली भाँति कर्त्तव्य कर्म कर।'
(भगवद् गीताः 3.9)

Friday, 28 September 2012

806_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 चिन्ता ही आनन्द व उल्लास का विध्वंस करनेवाली राक्षसी है |
 -Pujya asharam ji bapu

805_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सबके साथ सहानुभूति और नम्रता से युक्त मित्रता का बर्ताव करो | संसार में सबसे ज़्यादा मनुष्य ऐसे ही मिलेंगे जिनकी कठिनाईयाँ और कष्ट तुम्हारी कल्पना से कहीं अधिक है | तुम इस बात को समझ लो और किसीके भी साथ अनादर और द्वेष का व्यवहार न करके विशेष प्रेम का व्यवहार करो
 -Pujya asharam ji bapu

804_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हम अपना देखने का दृष्टिकोण बदल दें तो हमारे लिए यह सारा संसार स्वर्ग से भी सुंदर बन जाय। अपने  पराये का भेद मिट जाय, मेरे तेरे की भावना विलीन हो जाय और सुख का साम्राज्य छा जाय। हम सबको स्नेह दें, सबका मंगल चाहें। 

-Pujya asharam ji bapu
 

Wednesday, 26 September 2012

803_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

स्वयं को अन्य लोगों की आँखों से देखना, अपने वास्तविक स्वरूप को न देखकर अपना निरीक्षण अन्य लोगों की दृष्टि से करना, यह जो स्वभाव है वही हमारे सब दुःखों का कारण है |

-Pujya asharam ji bapu

802_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अलख पुरुष की आरसी, साधु का ही देह |
लखा जो चाहे अलख को। इन्हीं में तू लख लेह ||

किसी भी देश की सच्ची संपत्ति संतजन ही होते है | ये जिस समय आविर्भूत होते हैं, उस समय के जन-समुदाय के लिए उनका जीवन ही सच्चा पथ-प्रदर्शक होता है | एक प्रसिद्ध संत तो यहाँ तक कहते हैं कि भगवान के दर्शन से भी अधिक लाभ भगवान के चरित्र सुनने से मिलता है और भगवान के चरित्र सुनने से भी ज्यादा लाभ सच्चे संतों के जीवन-चरित्र पढ़ने-सुनने से मिलता है |

Tuesday, 25 September 2012

801_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ज्ञानवान आत्मपद को पाकर आनंदित होता है और वह आनंद कभी दूर नहीं होता, क्योंकि उसको उस आनंद के आगे अष्टसिद्धियाँ तृण के समान लगती हैं।
(श्री योग वाशिष्ठ महारामायण)

800_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

         रह्म गिआनी का कथिआजाइ अधाख्यरु।।
ब्रह्म गिआनी सरब का ठाकुरु।।
ब्रह्म गिआनी कि मिति कउनु बखानै।।
ब्रह्म गिआनी की गति ब्रह्म गिआनी जानै।।

 'श्री सुखमनी साहिब'

Monday, 24 September 2012

799_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सम्राट के साथ राज्य करना भी बुरा है न जाने कब रुला दे।
संत के साथ भीख माँगकर रहना भी अच्छा है न जाने कब मिला दे।।

798_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कपड़ा बिगड़ जाये तो ज्यादा चिन्ता नहीं, दाल बिगड़ जाये तो बहुत फिकर नहीं, रूपया बिगड़ जाये तो ज्यादा फिकर नहीं लेकिन अपना दिल मत बिगड़ने देना। क्योंकि इस दिल में दिलबर परमात्मा स्वयं विराजते हैं।
-Pujya asharam ji bapu

Sunday, 23 September 2012

797_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यक्ति का मन जितना एकाग्र होता है, समाज पर उसकी वाणी का, उसके स्वभाव का तथा उसके क्रिया-कलापों का उतना ही गहरा प्रभाव पड़ता है।
-Pujya asharam ji bapu

Saturday, 22 September 2012

796_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ब्रह्मचर्य का पालन एवं भगवान का ध्यान, इन दोनों ने गामा पहलवान को विश्वविजयी बना दिया ! जिसके जीवन में संयम हैं, सदाचार है एवं ईश्वरप्रीति है वह प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता ही है, इसमें सन्देह नहीं है।
-Pujya asharam ji bapu

Friday, 21 September 2012

795_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

क्या तुमने
आज किसी की कुछ सेवा की है?
यदि नहीं तो आज का दिन
तुमने व्यर्थ खो दिया। यदि
किसी की कुछ सेवा की है तो
सावधान रहो, मन में कहीं
अहंकार न आ जाय।

-Pujya asharam ji bapu

794_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सारी शक्ति निर्भयता से प्राप्त होती है, इसलिए बिल्कुल निर्भय हो जाओ। फिर तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।
-Pujya asharam ji bapu

Wednesday, 19 September 2012

793_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो व्यक्ति दुःख को पार करके जीवन में सुख एवं आनन्द प्राप्त करना चाहता है उसे अन्तःकरणपूर्वक गुरूभक्तियोग का अभ्यास करना जरूरी है।
स्वामी शिवानन्द

792_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब ऐच्छिक अनुशासन और एकाग्रता के द्वारा अपने मन की निर्मलता बढ़ती है तब भावातीत चेतना के प्रतिबिम्ब के रूप में ज्ञान का आविष्कार होता है।
स्वामी शिवानन्द

Tuesday, 18 September 2012

791_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

पहले अमृत जैसा पर
बाद में विष से भी बदतर हो,
वह विकारों का सुख है।
प्रारंभ में कठिन लगे,
दुःखद लगे, बाद में
अमृत से भी बढ़कर हो,
वह भक्ति का सुख है।
-Pujya asharam ji bapu

790_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गणेश चतुर्थी की हार्दिक सुभकामनाये
 Ganesh Chaturthi ki hardik shubhkamnaye

Monday, 17 September 2012

789_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मनुष्य की वास्तविक अंतरात्मा इतनी महान् है कि जिसका वर्णन करते वेद भगवान भी 'नेति.... नेति.....' पुकार देते हैं। मानव का वास्तविक तत्त्व, वास्तविक स्वरूप ऐसा महान् है लेकिन भय ने, स्वार्थ ने, रजो-तमोगुण के प्रभाव ने उसे दीन-हीन बना दिया है।
-Pujya asharam ji bapu

788_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने हृदय-मंदिर में बैठे हुए अन्तरात्मारूपी परमात्मा को प्यार करते जाओ और अहंकार को डुबाते जाओ उस परमात्मा की शान्ति में।
-Pujya asharam ji bapu

Sunday, 16 September 2012

787_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो शिष्य सदगुरु का पावन सान्निध्य पाकर आदर व श्रद्धा से सत्संग सुनता है, सत्संग-रस का पान करता है, उस शिष्य का प्रभाव अलौकिक होता है।
-Pujya asharam ji bapu

786_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गुरु-नाम उच्चारण करने पर गुरुभक्त का रोम-रोम पुलकित हो उठता है चिंताएँ काफूर हो जाती हैं, जप-तप-योग से जो नही मिल पाता वह गुरु के लिए प्रेम की एक तरंग से गुरुभक्त को मिल जाता है, इसे निगुरे नहीं समझ सकते
-Pujya asharam ji bapu

Saturday, 15 September 2012

785_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

राग जहाँ भी आपने लगाया वहाँ दुःख दिये बिना नहीं छोड़ेगा। जब-जब भय आता है, दुःख आता है, चिन्ता आती है, कुछ भी कष्ट आता है, आपत्ति आती है तो समझना चाहिए कि हमारे राग को भय हुआ है, हमारे राग को चिन्ता हुई है, हमारे राग को क्रोध हुआ है, हमारे राग को द्वेष हुआ है, हमारे राग के कारण अशान्ति हुई है यह बात समझकर यदि आप उस राग से सम्बन्ध विच्छेद करें तो उसी समय आप राग रहित परमात्मा में पहुँच जाएँगे।
-Pujya asharam ji bapu

784_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वासना-तृप्ति के लिए जो कर्म किया जाता है वह कर्त्ता को बाँधता है। वासना-निवृत्ति के लिए जो यज्ञार्थ कर्म किये जाते हैं वे कर्त्ता को मुक्त स्वभाव में जगा देते हैं।
-Pujya asharam ji bapu

783_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आसन स्थिर करने के लिए संकल्प करें कि जैसे पृथ्वी को धारण करते हुए भी शेषजी बिल्कुल अचल रहते हैं वैसे मैं भी अचल रहूँगा | मैं शरीर और प्राण का दृष्टा हूँ |
-Pujya asharam ji bapu

Friday, 14 September 2012

782_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

लोग क्यों दुःखी हैं? क्योंकि अज्ञान के कारण वे अपना सत्य स्वरूप भूल गये हैं और अन्य लोग जैसा कहते हैं वैसा ही अपने को मान बैठते हैं। यह दुःख तब तक दूर नहीं होगा जब तक मनुष्य आत्मसाक्षात्कार नहीं कर लेगा।
 -Pujya asharam ji bapu

Wednesday, 12 September 2012

780_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

फकीरी मौत ही असली जीवन है। फकीरी मौत अर्थात् अपने अहं की मृत्यु। अपने जीवभाव की मृत्यु। 'मैं देह हूँ.... मैं जीव हूँ....' इस परिच्छिन्न भाव की मृत्यु।
 -Pujya asharam ji bapu

779_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वास्तव में न तो कोई जीता है न कोई मरता है, केवल प्रकृति में परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन में अपनी स्वीकृति तो जीवन लगता है और इस परिवर्तन में बिना इच्छा के खिंचा जाना, घसीटा जाना, जबरन उसको स्वीकार करना पड़े यह मौत जैसा लगता है।

वास्तव में मौत जैसा कुछ नहीं है।

 जा मरने ते जग डरे, मोरे मन आनन्द ।
 -Pujya asharam ji bapu

Tuesday, 11 September 2012

778_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

किसी भी अनुकूलता की आस मत करो। संसारी तुच्छ विषयों की माँग मत करो। विषयों की माँग कोई भी हो, तुम्हें दीन बना देगी। विषयों की दीनतावालों को भगवान नहीं मिलते।
 -Pujya asharam ji bapu

777_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जितने जन्म-मरण हो रहे हैं वे प्रज्ञा के अपराध से हो रहे हैं। अतः प्रज्ञा को दैवी सम्पदा करके यहीं मुक्ति का अनुभव करो।
 -Pujya asharam ji bapu

Monday, 10 September 2012

776_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 
जो अपने आप में आनन्दित है वही तो बादशाह है।  वस्तुओं का बादशाह होना तो अहंकार की निशानी है लेकिन अपने मन का बादशाह होना अपने प्रियतम की खबर पाना है। 
 -Pujya asharam ji bapu

775_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आदमी पहले भीतर से गिरता है फिर बाहर से गिरता है। भीतर से उठता है तब बाहर से उठता है। बाहर कुछ भी हो जाय लेकिन भीतर से नहीं गिरो तो बाहर की परिस्थितियाँ तुम्हारे अनुकूल हो जायेंगी।
-Pujya asharam ji bapu

Sunday, 9 September 2012

774_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

धिक्कार है उस अर्थ को, धिक्कार है उस कर्म को।
धिक्कार है उस काम को, धिक्कार है उस धर्म को।।
जिससे न होवे शांति, उस व्यापार में क्यों सक्त हो।
पुरूषार्थ अंतिम सिद्ध कर, मत भोग में आसक्त हो।।

773_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मन भौतिक चीजों का आश्रय जितना अधिक लेता है उतना भीतर से खोखला हो जाता है। मन भीतर से जितना खोखला होता है उतनी अधिक सुरक्षा चाहता है। जितनी अधिक सुरक्षा चाहता है उतना अधिक झपेटा जाता है। यह सनातन सत्य है।
pyaresatguruji.blogspot.com

772_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सामवेद का छान्दोग्य उपनिषद् कहता है कि जिस आनंद को तू खोज रहा है वह आनंद तू ही है। तत्त्वमसि। वह तू है। तू पहले आनंदस्वरूप आत्मा था अथवा भविष्य में होगा ऐसी बात नहीं, अभी भी तू वही है। यह वेदवचन का आखिरी फैसला है। 
-Pujya asharam ji bapu

Saturday, 8 September 2012

771_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख में विवेक सोता है और दुःख में विवेक जागता है। लेकिन दुःख में घबड़ाने से आदमी दुर्बल हो जाता है और  दुःख का  सदुपयोग करने से आदमी बलवान हो जाता है।
-Pujya asharam ji bapu

770_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मंत्र ऐसा साधन है कि हमारे भीतर सोयी हुई चेतना को वह जगा देता है,सदगुरु से प्राप्त मंत्र का ठीक प्रकार से, विधि एवं अर्थ से, प्रेमपूर्ण हृदय से जप किया जाय तो क्या नहीं हो सकता?
-Pujya asharam ji bapu

768_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मुँह पर बैठी मक्खी जरा-से हाथ के इशारे से उड़ जाती है ऐसे ही चिन्ता, क्लेश, दुःख हृदय में आयें तब जरा सा ध्यान का इशारा करो तो वे भाग जायेंगे।
-Pujya asharam ji bapu

Thursday, 6 September 2012

767_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चरित्र मानव की श्रेष्ठ संपत्ति है, दुनिया की समस्त संपदाओं में महान संपदा है। पंचभूतों से निर्मित मानव-शरीर की मृत्यु के बाद, पंचमहाभूतों में विलीन होने के बाद भी जिसका अस्तित्व बना रहता है, वह है उसका चरित्र।
-Pujya asharam ji bapu

766_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो तुम्हें शरीर से, मन से, बुद्धि से दुर्बल बनाये वह पाप है। पुण्य हमेशा बलप्रद होता है। सत्य हमेशा बलप्रद होता है। तन से, मन से, बुद्धि से और धन से जो तुम्हें खोखला करे वह राक्षस है। जो तुम्हें तन-मन-बुद्धि से महान् बनायें वे संत हैं।
 -Pujya asharam ji bapu

Wednesday, 5 September 2012

765_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

क्रिया में बन्धन नहीं होता, क्रिया के भाव में बन्धन और मुक्ति निर्भर है। कर्म में बन्धन और मुक्ति नहीं, कर्त्ता के भाव में बन्धन और मुक्ति है। कर्त्ता किस भाव से कर्म कर रहा है ? राग से प्रेरित होकर कर रहा है ? द्वेष से प्रेरित होकर कर रहा है ? वासना से प्रेरित होकर कर रहा है ? .....कि परमात्मा-स्नेह से कर रहा है ?
-Pujya asharam ji bapu

764_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कर्म में अगर यज्ञबुद्धि आ जाय, कर्म में अगर उदारता आ जाय, स्नेह आ जाय तो वह कर्म कर्त्ता को अपने स्वरूप का भान करा देता है।
-Pujya asharam ji bapu

Monday, 3 September 2012

763_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख-दुःख, मान-अपमान, हर्ष-शोक आदि द्वन्द्व शरीर के धर्म हैं। जब तक शरीर है, तब तक ये आते जाते रहेंगे, कभी कम तो कभी अधिक होते रहेंगे। उनके आने पर तुम व्याकुल मत होना। तुम पूर्ण आत्मा हो, अविनाशी हो और सुख-दुःख आने जाने वाले हैं।

-Pujya asharam ji bapu

762_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अगर आग के नजदीक बैठोगे जाकर, उठोगे एक दिन कपड़े जलाकर।
माना कि दामन बचाते रहे तुम, मगर सेंक हरदम लाते रहे तुम।।

Sunday, 2 September 2012

761_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ऐ दुनियाँदारों ! ऐ बोतल की शराब के प्यारों ! बोतल की शराब तुम्हें मुबारक है। हमने तो अब फकीरों की प्यालियाँ पी ली हैं..... हमने अब रामनाम की शराब पी ली है।
दूर हटो दुनियाँ की झंझटों ! दूर हटो रिश्तेनातों की जालों ! हमने राम से रिश्ता अपना बना लिया है।
-Pujya asharam ji bapu

Saturday, 1 September 2012

760_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने पुण्यों का प्रभाव कहो चाहे परमात्मा की कृपा कहो, हमारा परम सौभाग्य खुल रहा है कि हम ब्रह्मचिन्तन के मार्ग की ओर अभिमुख हो रहे हैं।
-Pujya asharam ji bapu

759_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्म-ध्यान से, आत्म-चिन्तन से भोक्ता की बरबादी रुकती है। भोक्ता स्वयं आनंदस्वरूप परमात्मामय होने लगता है, परमात्मा होना क्या है.... अनादि काल से परमात्मा था ही, यह जानने लगता है।
-Pujya asharam ji bapu