Saturday, 30 June 2012
Friday, 29 June 2012
Thursday, 28 June 2012
Wednesday, 27 June 2012
635_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
संसार की तमाम वस्तुऐं सुखद हों या भयानक, वास्तव में तो तुम्हारी प्रफ़ुलता और आनंद के लिये ही प्रकृति ने बनाई हैं | उनसे ड़रने से क्या लाभ ? तुम्हारी नादानी ही तुम्हें चक्कर में ड़ालती है | अन्यथा, तुम्हें नीचा दिखाने वाला कोई नहीं | पक्का निश्चय रखो कि यह जगत तुम्हारे किसी शत्रु ने नहीं बनाया | तुम्हारे ही आत्मदेव का यह सब विलास है |
Pujya Asharam Ji Bapu
Pujya Asharam Ji Bapu
Tuesday, 26 June 2012
Monday, 25 June 2012
Sunday, 24 June 2012
629_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
रोज प्रातः काल उठते ही ॐकार का गान करो | ऐसी भावना से चित्त को सराबोर कर दो कि : ‘मैं शरीर नहीं हूँ | सब प्राणी, कीट, पतंग, गन्धर्व में मेरा ही आत्मा विलास कर रहा है | अरे, उनके रूप में मैं ही विलास कर रहा हूँ | ’ भैया ! हर रोज ऐसा अभ्यास करने से यह सिद्धांत हृदय में स्थिर हो जायेगा |
Pujya Asharam Ji Bapu
Pujya Asharam Ji Bapu
628_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
हरिहर आदिक जगत
में पूज्य देव
जो कोय ।
सदगुरु की पूजा
किये सबकी
पूजा होय ॥
Pujya Asharam Ji Bapu
Saturday, 23 June 2012
623_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
साधकों के
लिए माला बड़ा
महत्त्वपूर्ण
साधन है।
मंत्रजाप में
माला बड़ी
सहायक होती
है। इसलिए
समझदार साधक
अपनी माला को
प्राण जैसी
प्रिय समझते
हैं और गुप्त
धन की भाँति
उसकी सुरक्षा
करते हैं।
जपमाला की प्राण-प्रतिष्ठा
पीपल के पत्ते
पर रखकर उसकी
पूजा इस मंत्र
के साथ करें-
त्वं
माले
सर्वदेवानां
प्रीतिदा
शुभदा भव।
शिवं
कुरुष्व मे
भद्रे यशो
वीर्यं च
सर्वदा।।
अर्थात् 'हे
माला !
तू सर्व देवों
की प्रीति और
शुभ फल देने
वाली है। मुझे
तू यश और बल दे
तथा सर्वदा
मेरा कल्याण
कर।' इससे
माला में
वृत्ति जागृत
हो जाती है और
उसमें
परमात्म-चेतना
का आभास आ
जाता है। माला
को कपड़े से
ढँके बिना या
गौमुखी में
रखे बिना जो
जप किये जाते
हैं वे फलते
नहीं।
Pujya Asharam Ji Bapu
Friday, 22 June 2012
Thursday, 21 June 2012
Wednesday, 20 June 2012
Tuesday, 19 June 2012
Monday, 18 June 2012
612_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
यदि
सुख भोगना
चाहते हो तो
मन, बुद्धि और
इन्द्रियों
को अपने दास
बनाओ। उनके
अधीन होकर अपना
अमूल्य जीवन
नष्ट मत करो।
धिक्कार
है उस अर्थ को,
धिक्कार है उस
कर्म को।
धिक्कार
है उस काम को,
धिक्कार है उस
धर्म को।।
जिससे
न होवे शांति, उस
व्यापार में
क्यों सक्त
हो।
पुरूषार्थ
अंतिम सिद्ध
कर, मत भोग में
आसक्त हो।।
इसलिए
जो व्यक्ति
सुख का इच्छुक
है, उसे अपने मन
को विषयों से
हटाकर अपने वश
में रखने का
उद्यम करना
चाहिए।
Pujya Asharam Ji Bapu
Sunday, 17 June 2012
Saturday, 16 June 2012
Friday, 15 June 2012
Thursday, 14 June 2012
Wednesday, 13 June 2012
602_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
मंगली बाधा निवारक मंत्र
'' अं
रां अं ''
इस मंत्र को 108 बार जपने से क्रोध दूर होता है। जन्मकुण्डली में मंगली दोष होने से जिनके विवाह न हो रहे हों, वे 27 मंगलवार इसका 108 बार जप करते हुए व्रत रख के हनुमान जी पर सिंदूर का चोला चढ़ायें तो मंगल बाधा का क्षय होता है।
इस मंत्र को 108 बार जपने से क्रोध दूर होता है। जन्मकुण्डली में मंगली दोष होने से जिनके विवाह न हो रहे हों, वे 27 मंगलवार इसका 108 बार जप करते हुए व्रत रख के हनुमान जी पर सिंदूर का चोला चढ़ायें तो मंगल बाधा का क्षय होता है।