Saturday, 30 June 2012

642_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मनुष्य की वास्तविक अंतरात्मा इतनी महान् है कि जिसका वर्णन करते वेद भगवान भी 'नेति.... नेति.....' पुकार देते हैं। मानव का वास्तविक तत्त्व, वास्तविक स्वरूप ऐसा महान् है लेकिन भय ने, स्वार्थ ने, रजो-तमोगुण के प्रभाव ने उसे दीन-हीन बना दिया है।
Pujya Asharam Ji Bapu 

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