Saturday, 17 March 2012

316_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आसन स्थिर करने के लिए संकल्प करें कि जैसे पृथ्वी को धारण करते हुए भी शेषजी बिल्कुल अचल रहते हैं वैसे मैं भी अचल रहूँगा | मैं शरीर और प्राण का दृष्टा हूँ
Pujya Asharam Ji Bapu 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.