Wednesday, 7 December 2011

31_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


पारिवारिक मोह और आसक्ति से अपने को दूर रखो। अपने मन में यह दृढ़  संकल्प करके साधनापथ पर आगे बढ़ो कि यह मेरा दुर्लभ शरीर न स्त्री-बच्चों के लिए है, न दुकान-मकान के लिए है और न ही ऐसी अन्य तुच्छ चीजों के संग्रह करने के लिए है। यह दुर्लभ शरीर आत्म ज्ञान प्राप्त करने के लिए है। मजाल है कि अन्य लोग इसके समय और सामर्थ्य को चूस लें और मैं अपने परम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार से वंचित रह जाऊँ? बाहर के नाते-रिश्तों को, बाहर के सांसारिक व्यवहार को उतना ही महत्त्व दो जहाँ तक कि वे साधना के मार्ग में विघ्न न बनें। साधना मेरा प्रमुख कर्त्तव्य है, बाकी सब कार्य गौण हैं – इस दृढ़ भावना के साथ अपने पथ पर बढ़ते जाओ।
Pujya asharam ji bapu:-
 

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