Wednesday, 28 December 2016

1557-Pujya Asaram Bapu Ji-सफलताकी कुंजी

सफलता की कुंजी-  Bapu Ji

ज्ञानपूर्वक अनुभव करो कि मैं किसी भी काल में देह नहीं हूँ और न देह मेरा है। आस्था श्रद्धा श्विष्वास पूर्वक
स्वीकार करो कि अपने में अपने प्रेमास्पद सदैव मौजूद हैं। बस, यही सफलताकी कुंजी है।


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'वहाँ देकर छूटे तो यहाँ फिट हो गये'(बोध कथा)

सुनी है एक सत्य घटनाः
अमदावाद, शाहीबाग में डफनाला के पास हाईकोर्ट के एक जज सुबह में दातुन करते हुए घूमने निकले। नदी की तरफ दो रंगरूट (मनचले) जवान आपस में हँसी मजाक कर रहे थे। एक ने सिगरेट सुलगाने के लिए जज से माचिस माँगी। जज ने इशारे से इनकार कर दिया। थोड़ी देर इधर-उधर टहलकर जज हवा खाने के लिए कहीं बैठ गये, लेकिन उन दोनों को देख ही रहे थे। इतने में वे रंगरूट हँसी-मजाक, तू-तू, मैं-मैं करते हुए लड़ पड़े। एक ने रामपुरी चाकू निकालकर दूसरे शरीर में घुसेड़ दिया, खून कर डाला और पलायन हो गया। जज ने पुलिस को फोन आदि सब किया होगा। खून का केस बना। सेशन कोर्ट से वह केस घूमता घामता कुछ समय के बाद आखिर हाईकोर्ट में उन्हीं जज के पास आया। उन्होंने केस जाँचा तो पता चला कि केस वही है। उस दिन वाली घटना का उन्हें ठीक स्मरण था। उन्होंने अपराधी को देखा तो पाया कि यह उस दिन वाला रंगरूट युवक तो नहीं है।
वे जज कर्मफल के अकाट्य सिद्धान्त को मानने वाले थे। वे समझते थे कि लोभ-रिश्वत या और कोई भी अशुभ कर्म, पापकर्म करते समय तो अच्छा लगता है लेकिन समय पाकर उसका फल भोगना ही पड़ता है। कुछ समय के लिए आदमी किन्ही कारणों से चाहे छूट जाय लेकिन देर-सवेर कर्म का फल उसे मिलता है, मिलता है और मिलता ही है।
जज ने देखा कि यह आदमी को बूढ़ा है जबकि खून करने वाला रंगरूट तो जवान था। उन्होंने बूढ़े को अपने चेम्बर में बुलाया। बूढ़ा रोते-रोते कहने लगाः "साहब ! डफनाला के पास, साबरमती का किनारा... यह सब घटना मैं बिल्कुल जानता ही नहीं हूँ। भगवान की कसम, मैं निर्दोष मारा जा रहा हूँ।"
जज सत्त्वगुणी थे, सज्जन थे, निर्मल विचारों वाले एवं खुले मन के थे, निर्भय थे। निःस्वार्थी और सात्त्विक आदमी निर्भय रहता है। उन्होंने बूढ़े से कहाः "देखो, तुम इस मामले में कुछ नहीं जानते यह ठीक है, लेकिन सेशन कोर्ट में तुम पर यह अपराध बिल्कुल फिट हो गया है। हम तो केवल कानून का पालन करते हैं। अब इसमें हम और कुछ नहीं कर सकते। इस केस में तुम नहीं थे ऐसा तो मैं भी कहता हूँ, फिर भी यह बात उतनी ही निश्चित है कि अगर तुमने जीवनभर कहीं भी किसी इन्सान की हत्या नहीं की होती तो आज सेशन कोर्ट के द्वारा ऐसा सटीक केस तुम पर बैठ नहीं सकता था।
काका ! अब सच बताओ, तुमने कहीं-न-कहीं, कभी-न-कभी, अपनी जवानी में किसी व्यक्ति को मारा था?"
उस बूढ़े ने कबूल करते हुए कहाः "साहब ! अब मेरे आखिरी दिन हैं। आप पूछते हैं तो बता देता हूँ कि आपकी बात सही है। मैंने दो खून किये थे और रिश्वत देकर छूट गया था।"
जज बोलेः "तुम तो देकर छूट गये लेकिन जिन्होंने लिया उनसे फिर उनके बेटे लेंगे, उनकी बेटियाँ लेंगी, कुदरत किसी-न-किसी हिसाब से बदला लेगी। तुम वहाँ देकर छूटे तो यहाँ फिट हो गये। उस समय लगता है कि छूट गये लेकिन कर्म का फल तो देर-सवेर भोगना ही पड़ता है।"
कर्म का फल जब भोगना ही पड़ता है तो क्यों न बढ़िया कर्म करें ताकि बढ़िया फल मिले? बढ़िया कर्म करके फल भगवान को ही क्यों न दे दें ताकि भगवान ही मिल जायें?
नारायण.... नारायण.... नारायण.... नारायण...... नारायण...... नारायण.....


Monday, 26 December 2016

1556- Pujya Asaram Bapu Ji - धर्म विज्ञान का आद्यात्मिक रहस्य

धर्म विज्ञान का आद्यात्मिक रहस्य - Bapu Ji

दूरी के नास में ही ‘योग’ और भेद के नास में ही ‘बोध’ तथा भिन्नता के नास में ही ‘प्रेम’ का प्रादुर्भाव होता है।

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रीछ की योनि से मुक्ति (बोध कथा)


एक बार गुरू गोविन्दसिंह जी के यहाँ एक कलंदर आया। जो रीछ को पकड़कर नचाते हैं, उन्हें कलंदर(मदारी) कहते हैं। उस समय गुरु गोविंदसिंह जी आराम की मुद्रा में बैठे थे और एक सेवक चँवर डुला रहा था। भालू का खेल देखकर वह सेवक खूब हँसा और बोलाः "किस पाप के कारण इसकी यह गति हुई ?"
गुरु गोविन्दसिंह जी ने उससे कहाः "यह तेरा बाप है।"
सेवकः "मैं मनुष्य हूँ, यह रीछ मेरा बाप कैसे ?"
"यह पिछले जन्म में तेरा बाप था। यह गुरु के द्वार तो जाता था लेकिन गुरु का होकर सेवा नहीं करता था। अपना अहं सजाने के लिए, उल्लू सीधा करने के लिए सेवा करता था, इसलिए इसे रीछ बनना पड़ा है।
एक दिन सत्संग पूर्ण होने के बाद प्रसाद बाँटा जा रहा था। इतने में वहाँ से किसान लोग बैलगाड़ियाँ लेकर निकले। उन्हें गुरुजी के दर्शन हो गये। अब गुरुद्वार का एक-एक कौर प्रसाद लेते जायें।' वे बैलगाड़ी से उतरे, बैलों को एक ओर खड़ा किया और इससे बोलेः "हमें प्रसाद दे दो।"
इसने उधर देखा ही नहीं। वे भले गरीब किसान थे लेकिन भक्त थे। उन्होंने दो तीन बार कहा किंतु प्रसाद देना तो दूर बल्कि इसने कहाः 'क्या है ? काले-कलूट रीछ जैसे, बार-बार प्रसाद माँग रहे हो, नहीं है प्रसाद !'
वे बोलेः 'अरे भाई ! एक-एक कण ही दे दो। जिनके हृदय में परमात्मा प्रकट हुए हैं, ऐसे गुरुदेव की नजर प्रसाद पर पड़ी है। ब्रह्मज्ञानी की दृष्टि अमृतवर्षी। थोड़ा सा ही दे दो।'
इसने कहाः 'क्या रीछ की तरह 'दे-दे' कर रहे हो ! जाओ नहीं देता !'
उसमें एक बूढ़ा बुजुर्ग भी था। वह बोलाः 'हमें गुरु के प्रसाद से वंचित करते हो, हम तो रीछ नहीं हैं किंतु जब गुरुसाहब तुम्हें रीछ बनायेंगे तब पता चलेगा !' किसान लोग बददुआ देकर चले गये और कालांतर में तेरा बाप मर कर रीछ बना। फिर भी इसने गुरुद्वार की सेवा की थी, उसी का फल है कि कई रीछ जंगल में भटकते रहते हैं किंतु यह कलंदर के घर आया और यहाँ सिर झुकाने का इसे अवसर मिला है। लाओ, अब इसका गुनाह माफ करते हैं।"
गुरुदेव ने पानी छाँटा। सेवक ने देखा कि गुरुसाहब की कृपा हुई, रीछ के कर्म कट गये और उस नीच चोले से उसका छुटकारा हुआ।

-पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से

Friday, 23 December 2016

1555-सत्यसंक्लप आत्मा तुम्हारे साथ है निर्भय रहो ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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सत्यसंक्लप आत्मा तुम्हारे साथ है निर्भय रहो 

( Pujya Asaram Bapu Ji )



हिमालय की तरह दृढ़ होकर अपनी रुकावटों को काटो। यह विश्वास
रखो कि जो सोचूँगा वही हो जाऊँगा। सत्यसंक्लप आत्मा तुम्हारे
साथ है.... नहीं नहीं, तुम ही सत्यसंकल्प आत्मा हो। उठो, अपनी
शक्ति को पहचानो। तमाम शक्तियाँ तुम्हारे साथ हैं।

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क्या आपको पता है ?


फ्रांस के वैज्ञानिक डॉ. एंटोनी बोविस ने बायोमीटर (ऊजा मापक यंत्र) का उपयोग करके वस्तु, व्यक्ति, वनस्पति या स्थान की आभा की तीव्रता मापने की पद्धति खोज निकाली। इस यंत्र द्वारा यह मापा गया कि सात्त्विक जगह और मंत्र का व्यक्ति पर कितना प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि सामान्य, स्वस्थ मनुष्य का ऊर्जा-स्तर 6500 बोविस होता है। पवित्र मंदिर, आश्रम आदि के गर्भगृहों का ऊर्जा-स्तर 11000 बोविस तक होता है। ऐसे स्थानों में जाकर सत्संग, जप, कीर्तन, ध्यान आदि का लाभ ले के अपना ऊर्जा-स्तर बढ़ाने की जो परम्परा अपने देश में है, उसकी अब आधुनिक विज्ञान भी सराहना कर रहा है क्योंकि व्यक्ति का ऊर्जा-स्तर जितना अधिक होता है उतना ही अधिक वह स्वास्थ्य, तंदुरूस्ती, प्रसन्नता का धनी होता है।

ऊर्जा-अध्ययन करते हुए जब वैज्ञानिकों ने ૐकार के जप से उत्पन्न ऊर्जा को मापा तब तो उनके आश्चर्य का ठिकाना ही न रहा क्योंकि यह ऊर्जा 70000 बोविस पायी गयी। और यही कारण है कि ૐकार युक्त सारस्वत्य मंत्र की दीक्षा लेकर जो विद्यार्थी प्रतिदिन कुछ प्राणायाम और जप करते हैं, वे चाहे थके-हारे एवं पिछड़े भी हों तो भी शीघ्र उन्नत हो जाते हैं। ૐकार की महिमा से जपकर्ता को सब तरह से लाभ अधिक है। यदि आपके

Thursday, 22 December 2016

1554-सर्वोत्तम काल कौन सा ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


सर्वोत्तम काल कौन सा ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


वर्तमान समय को सबसे उत्तम समझो । क्योंकि वर्तमानके सँभल जानेसे बिगड़ा हुआ भूत और
आनेवाला भविष्य अपने आप सँभल जाता है।


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बुराई से मुक्ति (बोधकथा)


अक्सर लोग गुरुनानक देव जी  के पास आते और अपनी समस्याएं उनको बताकर समाधान चाहते। एक डाकू रोज डाका डालता, लेकिन धीरे-धीरे वह अपने इस जीवन से परेशान हो गया। वह डाका डालने से ग्लानि महसूस करने लगा। एक दिन वह गुरुनानक के पास गया और उनके चरणों में गिर कर बोला, ‘महाराज, मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूं। जाने कितनों को मैंने लूट कर दुखी किया है। आप ही मुझे कोई रास्ता बताइए, जिससे मैं इस बुराई से बच सकूं।’ नानक जी  बोले, ‘इसमें कौन-सी बड़ी बात है? तुम बुराई करना छोड़ दो तो उससे बच जाओगे।’

डाकू ने उनकी बात सुनी और कहा, ‘अच्छी बात है। मैं कोशिश करूंगा।’ थोड़े दिन बाद वह पुनः लौट कर गुरुनानक के पास आया और बोला, ‘गुरुजी, मैंने बुराई को छोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं छोड़ पाया। मैं अपनी आदत से लाचार हूं। मुझे और कोई रास्ता बताएं। कोई भी बुराई हो या आदत, इतना आसान नहीं होता उससे मुक्ति पाना।’ उसकी भावना को देखते हुए गुरुनानक ने कहा, ‘ऐसा करो कि तुम्हारे मन में जो भी बात उठे, उसे कर डालो, लेकिन हर दिन उसे दूसरे लोगों से जरूर कह दो।’

डाकू बहुत खुश हुआ कि अब वह बेधड़क डाका डालेगा और दूसरों से कह कर मन हल्का कर लेगा। कुछ दिन बीतने के बाद वह फिर गुरुनानक जी  के पास पहुंचा और बोला, ‘गुरुजी, बुरा काम करना जितना मुश्किल है, उससे कहीं अधिक मुश्किल है दूसरों के सामने अपनी बुराइयों को कहना। इसलिए दोनों में से मैंने सबसे आसान रास्ता चुना है और डाका डालना ही छोड़ दिया है।’ बुराइयों को स्वीकार करने से बेहतर उनका त्याग है। बुराइयों को स्वीकार से मन हल्का तो होता है, लेकिन अपराध भाव से पूर्ण रूप से मुक्ति नहीं मिल पाती। पूर्ण मुक्ति त्याग में ही निहित है।


Sunday, 18 December 2016

1553-सावधान रहें ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


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सावधान रहें ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

जो हो रहा है, उसमें सभी का हित विद्यमान है। अतः ‘होने में प्रसन्न तथा करनेमें सावधान’ रहनेके
लिये सतत प्रयत्नशील रहना चाहिये।


मैं झूठ की जीत स्वीकार नहीं करूँगा (बोधकथा)


बात उन दिनों की है जब श्री गोपालस्वरूप पाठक इलाहाबाद में वकालत करते थे। उन्होंने अपने मार्गदर्शक महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी से प्रेरणा ली थी कि वे कभी झूठ नहीं बोलेंगे और न किसी को धोखा देंगे।

एक बार पाठक जी के पास सम्पत्ति के विवाद का मुकद्दमा आया। उन्होंने अपने मुवक्किल से दस्तावेज माँगे। उसने कह दिया कि कागजात कुछ दिन बाद देगा। श्री पाठक ने न्यायाधीश के समक्ष जोरदार पैरवी की। उनके तर्कों से सहमत होकर न्यायाधीश ने उनके पक्ष में निर्णय लिख दिया किंतु निर्णय अगले दिन सुनाने वाले थे।

मुवक्किल मिठाई का डिब्बा तथा उपहार लेकर पाठक जी की कोठी पर पहुँचा। बातचीत में उसके मुख से निकल गया कि दस्तावेज फर्जी थे। यह सुनते ही पाठकजी न्यायाधीश के पास जा पहुँचे, बोलेः “महोदय, मैंने भ्रमवश न्यायालय को गुमराह किया है। मैं झूठ की जीत स्वीकार नहीं करूँगा। आप निर्णय बदलने की कृपा करें।”

न्यायाधीश इस अनूठे वकील के सत्याचरण को देखकर हतप्रभ रह गये।

कैसे सत्यप्रेमी वकील ! किसी निरपराध को झूठे तर्कों के आधार पर दंड दिलाना वे अनैतिकता और अधर्म मानते थे। धन के लालच में अन्याय का पक्ष लेने को वे कभी तैयार नहीं हुए। भारत का यह सौभाग्य ही रहा कि ऐसे सत्यनिष्ठ व्यक्ति ने आगे चलकर इस देश के उपराष्ट्रपति पद को गौरवान्वित किया।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2016, पृष्ठ संख्या 10 अंक 287


Friday, 16 December 2016

1552-तीन बड़े दोष( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

तीन बड़े दोष ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

ऐसा कोई भोगी नहीं है, जो इन तीन विकारों से बचा हो -पराधीनतासे, जड़तासे और शक्तिहीनतासे।


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ज्ञान-धारा (बोधकथा)

 
एक बार भगवान बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा- ‘भगवन्! जब आप प्रवचन देते हैं तो सुनने वाले नीचे बैठते हैं और आप ऊंचे आसन पर बैठते हैं, ऐसा क्यों?’ भगवान बुद्ध बोले- ‘ये बताओ कि पानी झरने के ऊपर खड़े होकर पिया जाता है या नीचे जाकर?’ आनंद ने उत्तर दिया- ‘झरने का पानी ऊंचाई से गिरता है. अतः उसके नीचे जाकर ही पानी पिया जा सकता है.’ भगवान बुद्ध ने कहा- ‘तो फिर यदि प्यासे को संतुष्ट करना है तो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा न?’ आनंद ने ‘हां में उत्तर दिया.’ यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले- ‘आनंद! ठीक इसी तरह यदि तुम्हें किसी से कुछ पाना है तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हो और तुम्हें देने के लिए दाता को भी ऊपर खड़ा होना होगा. यदि तुम समर्पण के लिए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर में बदल जाओगे, जो ज्ञान की सभी धाराओं को अपने में समेट लेता है.’

Wednesday, 14 December 2016

1551-सृष्टिकर्ता का विधान( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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सृष्टिकर्ता का विधान ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

जिस बलसे निर्बलोंकी सेवा नहीं होती, अपितु ह्रास होता है, वह बल स्वतः मिट जाता है।


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🔴  तिलक महिमा (Benefit of Tilak)


🌟  ललाट पर दो भौहों के बीच विचारशक्ति का केन्द्र है जिसे योगी लोग आज्ञाशक्ति का केन्द्र कहते हैं। इसे शिवने अर्थात कल्याणकारी विचारों का केंद्र भी कहते हैं। वहाँ पर चन्दन का तिलक या सिंदूर आदि का तिलक विचारशक्ति को, आज्ञाशक्ति को विकसित करता है। 

🌟 इसलिए हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कर्म करते समय ललाट पर तिलक किया जाता है। पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू को चंदन का तिलक लगाकर सत्संग करते हुए लाखों करोड़ों लोगों ने देखा है।

 🌟 ऋषियों ने भाव प्रधान, श्रद्धा-प्रधान केन्द्रों में रहने वाली महिलाओं की समझदारी बढ़ाने के उद्देश्य से तिलक की परंपरा शुरू की। अधिकांश महिलाओं का मन स्वाधिष्ठान और मणिपुर केंद्र में रहता है। इन केन्द्रों में भय, भाव और कल्पनाओं की अधिकता रहती है।

🌟 इन भावनाओं तथा कल्पनाओं में महिलाएँ बह न जाएँ, उनका शिवनेत्र, विचारशक्ति का केंद्र विकसित हो इस उद्देश्य से ऋषियों ने महिलाओं के लिए सतत तिलक करने की व्यवस्था की है जिससे उनको ये लाभ मिलें। गार्गी, शाण्डिली, अनसूया तथा और भी कई महान नारियाँ इस हिन्दूधर्म में प्रकट हुईं। 

🌟 महान वीरों को, महान पुरूषों को महान विचारकों को तथा परमात्मा का दर्शन करवाने का सामर्थ्य रखने वाले संतों को जन्म देने वाली मातृशक्ति को आज हिन्दुस्तान के कुछ स्कूलों में तिलक करने पर टोका जाता है। इस प्रकार के जुल्म हिन्दुस्तानी कब तक सहते रहेंगे? इस प्रकार के षडयंत्रों के शिकार हिन्दुस्तानी कब तक बनते रहेंगे?

Tuesday, 13 December 2016

1550-साधन की सफलता( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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साधन की सफलता ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

आजकल लोग साधन तो करते नहीं और साधन का फल लेना चाहते हैं, तब उनको सफलता कैसे
मिले ? हरेक मनुष्य सोचता है कि साधन करके योग्यता तो दूसरा प्राप्त कर ले और हमें आशीर्वाद दे
दे, ताकि हमें उसका सुख मिल जाय।साधन की सफलता के लिये साधक को स्वयं साधन करना
पड़ेगा।


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⛅ जानिये सूर्य को जल देने के न‌ियम और फायदे


🌞 सूर्य को जल चढ़ाने से सीधे हमें लाभ प्राप्त होते हैं। सुबह-सुबह के समय जल्दी उठने से ताजी हवा और सूर्य की किरणों से हमारे स्वास्थ्य को लाभ होता है, यह सभी जानते हैं। इसके अलावा सूर्य को जल चढ़ाते समय पानी के बीच से सूर्य को देखना चाहिए, ऐसे में सूर्य की किरणों से हमारी आंखों की नैत्र ज्योति भी बढ़ती है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी के कई गुण भी मौजूद होते हैं। इसलिए जो भी व्यक्ति उगते सूर्य को जल चढ़ाता है वह तेजस्वी होता है, उसकी त्वचा में आकर्षक चमक आ जाती है।

🌞 ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को यश और मान-सम्मान का कारक ग्रह माना जाता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में उच्च का सूर्य होने पर वह प्रतिष्ठित और तेजस्वी होता है। ऐसे व्यक्ति को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।  आंखों या त्वचा से संबंधित रोग हो सकते हैं। इनसे बचने के लिए प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।

🌞 सूर्य को जल चढ़ाते समय ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य को कभी भी सीधे नहीं देखना चाहिए। जल चढ़ाते समय पानी की धारा के बीच से सूर्य को देखें। इस प्रकार सूर्य की किरणों से आपकी आंखों की ज्योति भी बढ़ेगी। सूर्य को सुबह-सुबह जल्दी ही ज्यादा से ज्यादा 7-8 बजे तक जल चढ़ाना चाहिए। अधिक देर से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

🌞 सूर्य को चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए। लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें चावल और कुमकुम, पुष्प, गुड़ आदि पूजन सामग्री भी डाल लेना चाहिए। इसके बाद लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं।

🌞 सूय्र को जल चढ़ाते समय अर्थात जल का लोटा खाली होने तक निम्न सूर्य के  द्वादश नामों का जाप करें-

ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगय नमः
ॐ पुष्णे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मारिचाये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सावित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः

Monday, 12 December 2016

1549-साधनात्मक दृष्टीकोण ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

साधनात्मक दृष्टीकोण ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

साधक को अपने साध्य से भिन्न जो भी दिखाई दे, उसे न तो अपना माने, न अपने लिये माने और
न ही उसके पाने तथा बने रहने की कामना ही करे।

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👹 डरावने सपने


🚩 रात को ज्यादा सपने आते हैं तो सोने से पहले "ॐ हरये नमः " जप करें।

🚩 अगर डरावने और गन्दी सपने आते है तो "ॐ नारायणाय नम: ....ॐ नारायणाय नम: ....ॐ नारायणाय नम: "  बोलते हुये सो जाना चाहिये |

👹 Nightmares


If you get a lot of dreams, then recite "AUM HARAYE NAMAH" before going to sleep. 

If you are troubled with scary nightmares and dirty dreams, then go to sleep while reciting "AUM NARAYANAYA NAMAH... AUM NARAYANAYA NAMAH... AUM NARAYANAYA NAMAH..."

-Shri Sureshanandji Vadodara 26th Nov' 2012


1548-प्राकृतिक विधान ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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प्राकृतिक विधान ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

जिस वस्तु और बल का मनुष्य सदुपयोग नहीं करता, वह वस्तु और शक्ति उससे छिन जाती है,
यह प्राकृतिक नियम है।


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मातृछाया ( प्रेरक कथा )

 


सम्राट उत्तानपाद और सुमति के पुत्र ध्रुव ने मातृभक्ति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया था। माता सुमति वृद्धावस्था में वनांचल में संन्यस्त थीं। ध्रुव के व्यक्तित्व में राजा और ऋषि का मणि-कांचन संयोग था। वे जितने भगवत् भक्त थे, उतने ही मातृभक्त भी थे। अंत समय में जब स्वर्ग का विमान उन्हें लेने आया तो मृत्यु स्वयं उनके समक्ष दंडवत होकर बोली ‘‘भगवान् ! आप मेरे मष्तक पर पादस्पर्श करते हुए विमान की सीढ़ियाँ चढ़ जाएँ। मैं कृतार्थ हो जाऊँगी।’’ ध्रुव ने ऐसा ही किया। पल भर में उनका पंचमौलिक शरीर दैवीदेह में बदल गया। मत्युलोक त्यागकर स्वर्गारोहण करने वाली जीवआत्मा अपना भौतिक अतीत भूल जाती है। मगर ध्रुव को एक बात याद थी।

उन्होंने उन्हें लेने आए देवदूतों से कहा कि ‘‘इस विमान को तुरंत मृत्युलोक की ओर मोड़ दो, क्योंकि वहाँ मेरी जो अमूल्य वस्तु रह गई है, उसके बिना मेरा स्वर्गारोहण अधूरा ही रहेगा।’’ देवदूतों ने पूछा कि ‘‘ऐसी कौन सी अलौकिक स्मृति है जिसे आप स्वर्गारोही की स्थिति में भी नहीं छो़ड़ना चाहते हैं।’’ ध्रुव बोले की वहाँ मेरी माता श्री हैं, जो मेरे समस्त ज्ञान की स्त्रोतस्विनी हैं। मैं उनके बिना स्वर्ग जाकर क्या करूँगा।’’ तभी देवदूतों ने उन्हें इशारे से कुछ बताया। ध्रुव ने अपने विमान के आगे एक अति भव्य विमान को जाते हुए देखा। देवदूतों ने कहा कि हमने आपकी माता श्री को आपसे पहले स्वर्ग भेजने की व्यवस्था कर दी है। मातृभक्त ध्रुव को अति संतोष हुआ कि वहाँ भी मैं उसी मातृछाया में रहूँगा, जो सदैव मेरे सन्मार्ग का संबल रही हैं। ईश्वर को अपने भक्त की माँ के प्रति श्रद्धा का आभास था।

Saturday, 10 December 2016

1547-शरीर को रुचि पूर्त्ति का साधन बनाओगे तो होगी महान हानि ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


शरीर को रुचि पूर्त्ति का साधन बनाओगे तो होगी महान हानि ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

जो लोग यह सोचते हैं कि शरीर  हमारी रुचि पूर्त्ति का साधन है, वे कभी भी शांति नहीं पाते। उनको
कहीं भी, कभी भी शांति  नहीं मिलती । शरीर है सेवा सामग्री ।

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भिन्न-भिन्न दिशाओं से आने वाली हवा का स्वास्थ्य पर प्रभाव


🌴  पूर्व दिशा की हवाः भारी, गर्म, स्निग्ध, दाहकारक, रक्त तथा पित्त को दूषित करने वाली होती है। परिश्रमी, कफ के रोगों से पीड़ित तथा कृश व दुर्बल लोगों के लिए हितकर है। यह हवा चर्मरोग, बवासीर, कृमिरोग, मधुमेह, आमवात, संधिवात इत्यादि को बढ़ाती है।

🌴 दक्षिण दिशा की हवाः खाद्य पदार्थों में मधुरता बढ़ाती है। पित्त व रक्त के विकारों में लाभप्रद है। वीर्यवान, बलप्रद व आँखों के लिए हितकर है।

🌴 पश्चिम दिशा की हवाः तीक्ष्ण, शोषक व हलकी होती है। यह कफ, पित्त, चर्बी एवं बल को घटाती है व वायु की वृद्धि करती है।

🌴 उत्तर दिशा की हवाः शीत, स्निग्ध, दोषों को अत्यन्त कुपित करने वाली, स्निग्धकारक व शरीर में लचीलापन लाने वाली है। स्वस्थ मनुष्य के लिए लाभप्रद व मधुर है।

🌴 अग्नि कोण की हवा दाहकारक एवं रूक्ष है। नैऋत्य कोण की हवा रूक्ष है परंतु जलन पैदा नहीं करती। वायव्य कोण की हवा कटु और ईशान कोण की हवा तिक्त है।

🌴 ब्राह्म मुहूर्त (सूर्योदय से सवा दो घंटे पूर्व से लेकर सूर्योदय तक का समय) में सभी दिशाओं की हवा सब प्रकार के दोषों से रहित होती है। अतः इस वेला में वायुसेवन बहुत ही हितकर होता है।

🌴खस, मोर के पंखों तथा बेंत के पंखों की हवा स्निग्ध एवं हृदय को आनन्द देने वाली होती है।

जो लोग अन्य किसी भी प्रकार की कोई कसरत नहीं कर सकते, उनके लिए टहलने की कसरत बहुत जरूरी है। इससे सिर से लेकर पैरों तक की करीब 200 मांसपेशियों की स्वाभाविक ही हलकी-हलकी कसरत हो जाती है। टहलते समय हृदय की धड़कन की गति 1 मिनट में 72 बार से बढ़कर 82 बार हो जाती है और श्वास भी तेजी से चलने लगता है, जिससे अधिक आक्सीजन रक्त में पहुँचकर उसे साफ करता है।

ऋषि प्रसाद, अगस्त 2010

Friday, 9 December 2016

1546-जरा इस पर विचार करे ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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जरा इस पर विचार करे ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

किसी से कोई पूछे कि तुम खूनमें , हड्डियों में , मांस में , मज्जा में, मूत्र में रहना चाहते हो ? तो सभी
विचारषील यही कहेंगे कि नहीं रहना चाहते। कारण कि मलिनता किसी को प्रिय नहीं । अब हम स्वयं सोचें
कि देह में मलिनता के अतिरिक्त क्या है, तो मानना होगा कि कुछ नहीं।


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सिद्धि का लक्ष्य  ( प्रेरक कहानी ) 


🍒 साधना और साध्य का अंतर समझने के लिए गौतम बुद्ध एक अख्यान का सहारा लिया करते थे। वे अपने शिष्यों को अनेक बार कहानी सुनाते थे-‘एक गाँव के कुछ लोग नदीं पार जाने के लिए नाव पर चढ़े। वे कुल आठ लोग थे। धार्मिक प्रकृति के थे। कुछ देर के बाद वे दूसरे किनारे पर पहुँच गए। नाव से उतरकर उन्होंने तय किया कि जिस नाव ने हमें नदी पार कराई है, ऐसा करके उसने हम पर एक प्रकार से उपकार किया है।

🍒 अतः उसे हम कैसे छोड़ सकते हैं। इसलिए उन्होंने कृतज्ञता-ज्ञापन का एक अद्भुत तरीका खोज निकाला। उन्होंने कहा कि उचित यही होगा कि जिस नाव पर हम सवार थे, अब वह हम पर सवार हो जाए। सो उन आठों ने नाव को अपने सिर पर उठा लिया और चल दिए। वे बाजारों, सड़कों तथा गलियों से गुजरे। देखनेवाले कहते कि ‘हमने नाव पर सवार तो कई लोगों को देखा है, लेकिन नाव को लोगों पर सवार कभी नहीं देखा। ये लोग कैसे सिरफिरे हैं, जो नाव को सिर पर ढो रहे है !’

🍒 किंतु वे आठों तो स्वयं को अक्लमंद समझते थे। उन्होंने जवाब दिया, ‘तुम सब तो कृतघ्न हो। तुम्हें कृतज्ञता का क्या पता ? हम जानते हैं अनुग्रह का भाव। हम कृतज्ञ हैं, हम आभार-प्रदर्शन करना जानते हैं। इस नाव ने हमें नदी पार करवाई है। अब हम इस नाव को स्वयं अपने सिर पर ढोकर संसार पार करवाकर रहेंगे। हम इस पर सवार थे, अब यह हम पर सवार रहेगी।’

🍒 अंत में गौतम बुद्ध ने शिष्यों को समझाया कि ‘‘नाव तो वास्तव में नदी पार करवाने के लिए होती है, सिर पर ढोने के लिए नहीं। बहुत लोग साधन या साधना को इस तरह पकड़ लेते हैं कि वही साध्य हो जाती है। इस प्रकार हम सिद्धि का लक्ष्य भूल जाते हैं।’’ 

1545-विरक्तिका वास्तविक अर्थ ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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विरक्तिका वास्तविक अर्थ ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

विरक्तिका वास्तविक अर्थ है इन्द्रियों के विषयों से अरुचि अर्थात् भोग की अपेक्षा भोक्ता का मूल्य बढ़ा
लेना। भोक्ता भोगके बिना भी सहर्ष रह सके, यही उसका मूल्य बढ़ जाना है।

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भारतीय गौरव....💐

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1942
में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया था ... सबसे खराब हालत पोलैंड की थी ..क्योकि पोलैंड ब्रिटेन को जितने के लिए जर्मनी को पोलैंड को जितना जरूरी था ..पोलैंड पर रूस अमेरिका ब्रिटेन और जर्मनी जापान आदि देशो की सेनाओ ने कब्जे के लिए हमला बोल दिया ..
पोलैंड के सैनिको ने अपने 500 महिलाओ और करीब 200 बच्चों को एक शीप में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया ..और कैप्टन से कहा की इन्हें किसी भी देश में ले जाओ ..जहाँ इन्हें शरण मिल सके ..अगर जिन्दगी रही ..हम बचे रहे या ये बचे रहे तो दुबारा मिलेंगे ..
पांच सौ शरणार्थी पोलिस महिलाओ और दो सौ बच्चो से भरा वो जहाज ईरान के इस्फहान बंदरगाह पहुंचा .. वहां किसी को शरण क्या उतरने की अनुमति तक नही मिली .. फिर सेशेल्स .. में भी नही मिली .. फिर अदन में भी अनुमति नही मिली .. अंत में समुद्र में भटकता भटकता वो जहाज गुजरात के जामनगर के तट पर आया ... जामनगर के तत्कालीन महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह ने न सिर्फ पांच सौ महिलाओ बच्चो के लिए अपना एक राजमहल जिसे हवामहल कहते है वो रहने के लिए दिया ..बल्कि अपनी रियासत में बालाचढ़ी में सैनिक स्कुल में उन बच्चों की पढाई लिखाई की व्यस्था की .. ये शरणार्थी जामनगर में कुल नौ साल रहे ..
उन्ही शरणार्थी बच्चो में से एक बच्चा बाद में पोलैंड का प्रधानमंत्री भी बना .. आज भी हर साल उन शरणार्थीयो के वंशज जामनगर आते है और अपने पूर्वजो को याद करते है .. उनके फोटो और नाम सब रखे हुए है ...
पोलैंड की राजधानी वर्साय में चार सडको का नाम महराजा दिग्विजय सिंह रोड है ..उनके नाम पर पोलैंड में कई योजनाये चलती है .. हर साल पोलैंड के अखबारों में महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह के बारे में आर्टिकल छपता है
दया/परहित का दूसरा धर्मनाम " सनातन "
भारत वसुधैव कुटुम्बकम वाला देश है, और आज कल हमें ही सहिष्णुता सिखाई जाती है।


Thursday, 8 December 2016

1544-किसे अपना और किसे पराया मानोगे ? ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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किसे अपना और किसे पराया मानोगे ? ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 


प्रत्येक वस्तु समस्त सृष्टि से अभिन्न है। इस दृष्टि से समस्त सृष्टि भी एक वस्तु ही है। तो फिर किसे अपना और
 किसे पराया मानोगे ? या तो सभी अपने हैं, या कोई भी वस्तु अपनी नहीं है।


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अध्यात्म शक्ति का Earthing न हो....


💦 जहाँ भजन करते हों वहां .. गरम कपड़ा या प्लास्टिक बिछा हो .... जिससे आप को अर्थिंग न मिले जप करने से एक प्रकार की अध्यात्मिक ओरा पैदा होती है .. 

💦 अर्थिंग मिलने से तो ओरा ज़मीन में चली जाती है जप-ध्यान करते व्यक्ति को ज्यादा नंगे पैर नहीं घूमना चाहिए रसोईघर में भी प्लास्टिक बिछी हो ..ठन्डे पैर धरती पर न पड़े |

Avoid earthing out your Spiritual powers :-

💦 Wherever you do prayers or bhajans... lay out a warm clothing or a plastic sheet there.... this will avoid earthing out the special spiritual energy which is generated from doing japa else this energy will get drawn out into the earth. 

💦 On a similar note, those who routinely do japa and meditation, they should not roam on bare feet. Even in the kitchen, there should be a plastic sheet laid out... Make sure not to rest cold feet on the earth.


- पूज्य बापूजी कानपुर 17/12/2011

Wednesday, 7 December 2016

1543-इश्वर प्राप्ति कठिन नहीं ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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 इश्वर प्राप्ति कठिन नहीं ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 


जो वस्तु जिस काम के लिये होती है, उसके लिये वह काम कठिन नहीं होता। यह मनुष्य जन्म केवल जीव के कल्याण के लिये ही मिलता है। इसलिये इसको पाकर इश्वर प्राप्ति को कठिन मानना भारी भूल है।

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संगत का असर  ( प्रेरक कहानी )

💐 एक अजनबी मुसाफिर किसी गाँव में पहुँचा। गाँव में दाखिल होते ही उसे कुछ लोग मिल गए। एक बुजुर्ग को संबोधित करते हुए उसने पूछा, ‘‘इस गाँव के लोग कैसे हैं ? क्या वे अच्छे और मददगार हैं ?’’

 💐 बुजुर्ग ने अजनवी के सवाल का सीधे जवाब नहीं दिया, उलटे एक सवाल कर दिया, ‘‘मेरे भाई ! तुम जहाँ से आए हो वहाँ के लोग कैसे हैं ? क्या वे अच्छे और मददगार हैं ? वह अजनबी अत्यंत रुष्ट और दुःखी होकर बोला,

💐‘‘मैं क्या बताऊँ ? मुझें तो बताते हुए भी दुःख होता है कि मेरे गाँव के लोग अत्यंत दुष्ट हैं। इसलिए मैं वह गाँव छोड़कर आया हूँ। लेकिन आप यह सब पूछकर मेरा मन क्यों दुखा रहे हैं ?

💐’’ बुजुर्ग बोला, ‘‘मैं भी बहुत दुःखी हूँ। इस गाँव के लोग भी वैसे ही हैं। तुम उन्हें उनसे भी बुरा पाओगे।’’ तभी एक राहगीर आ गया। उसने भी उस बुजुर्ग से यही सवाल किया, ‘‘इस गाँव के लोग कैसे हैं ?’’

💐बुजुर्ग ने भी पूर्ववत् उलटा सवाल दाग दिया, ‘‘पहले तुम बताओ जहाँ से तुम आये हो, वहाँ के लोग कैसे हैं ? राहगीर यह सुनकर मुस्करा दिया। उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। उसने कहा कि मेरे गाँव के लोग इतने अच्छे हैं कि उनकी समृति मात्र से सुख की अनुभूति होती है।

💐वह गाँव छोड़ते हुए मुझें दुःख है, लेकिन रोजगार की तलाश यहाँ तक मुझे ले आई है। इसलिए पूछ रहा हूँ कि यह गाँव कैसा है ? बुजुर्ग बोला की दोस्त ! यह गाँव भी वैसा ही है। यहाँ के लोग भी उतने ही अच्छे हैं।

 💐वास्तव में इनसानों में भेद नहीं होता। जिनके सम्पर्क में हम आते हैं, वे हमारी ही तरह हो जाते हैं-अच्छे के लिए अच्छे और बुरे के लिए बुरे।



1542-अनमोल मानव जीवन( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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अनमोल मानव जीवन ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

आपका मानव जीवन बड़ा ही अनुपम जीवन है, अद्भुत जीवन है। क्यों ? इसी जीवन में आत्मज्ञान की प्राप्ति 

होती है। इसी जीवनमें दुःख निवृत्ति होती है। इसी जीवन में परमानन्द की प्राप्ति होती है।


- Pujya Sant Shri Asaram Bapu Ji 

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यदि कोई शिशु रात को चौंकता है


यदि कोई शिशु रात को चौंकता है, उसे नींद नहीं आती, माँ को जगाता है, परेशान रहता है तो उसके सिरहाने के नीचे फिटकरी रख दें। इससे उसे बढ़िया नींद आयेगी।


लोक कल्याण सेतु, नवम्बर 2010

Monday, 5 December 2016

1541-वास्तविक संबंध कि स्मृति ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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वास्तविक संबंध कि स्मृति ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 


यदि परमात्मा को तुम अपना मान लो, उनसे सम्बन्ध जोड़ लो तो तुम्हारा मन स्वतः परमात्मा में लग जायगा।

- Pujya Sant Shri Asaram Bapu Ji 

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धन, बुद्धि और भाग्य दिलाते हैं कपूर के ये  शास्त्रीय उपाय


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Kapoor

1-पूजा-पाठ में कपूर का इस्तेमाल किया जाता है। इसे हिन्दू धर्म के अनुसार पवित्र माना जाता है। हवन सामग्री में कपूर का विशेषमहत्व है। इसके इस्तेमाल के बिना ऐसा धार्मिक कार्य अधूरा ही माना जाता है।

2- धर्म के अलावा स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कपूर फायदेमंद है। विज्ञान ने स्वयं बताया है कि पूजा या हवन करते समय जब हम कपूर जलाते हैं, तो उससे निकलने वाला धुआं आसपास की नकारत्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।

3-यह कपूर हमारे आसपास हवा में मौजूद दूषित कणों को काटता है। इसलिए डॉक्टर घर में कपूर जलाने की सलाह देते हैं। हाल ही में कपूर से जुड़ा एक घरेलू नुस्खा भी काफी प्रसिद्ध हुआ था।

4-जिसके अनुसार नीम के पत्तों के तेल में कपूर की 2-3 टिकिया डालकर उसे जलाने से घर में मच्छर नहीं आते। साथ ही घर की वायु भी स्वच्छ हो जाती है।

5- लेकिन आज हम आपको कपूर की मदद से मिलने वाले स्वास्थ्य संबंधी नहीं, वरन् कुछ शास्त्रीय प्रयोग बताने जा रहे हैं। हिन्दू शास्त्र, धर्म से कुछ अलग हैं। ये शास्त्रीय ज्ञान हमें अपने जीवन को संवारने में मदद करते हैं।

6- ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, ऐसी ही कुछ विधाएं हैं जिनके प्रयोग से हम जीवन में आ रहे संकटों के रुख मोड़ सकते हैं। तकलीफ होने पर लोग इन शास्त्रीय उपायों का प्रयोग करते हैं, लेकिन पहले भी यदि ये उपाय किए जाएं तो परेशानी का मुख नहीं देखना पड़ेगा।

7-खैर यहां हम कपूर के प्रयोग से होने वाले कुछ शास्त्रीय उपायों की चर्चा करने जा रहे हैं। आशा है कि आपको ये उपाय पसंद आएंगे और आप इनका प्रयोग कर अपने जीवन और भी बेहतर बना सकेंगे।

8- कपूर की टिकिया छोटी सी होती है। बाजार में अगर आप कपूर खरीदने जाएंगे तो यह आपको छोटी-सी डिब्बी में सफेद रंग की चौकोर आकार में मिलेगी। लेकिन इस छोटे आकार में कई चमत्कार समाए हैं।

 9-बुद्धि प्राप्ति के लिए

कपूर का इस्तेमाल कर आप बुद्धि एवं धन दोनों पा सकते हैं। इसके लिए एक खास प्रकार का उपाय शास्त्रों में दर्ज है जिसे विशेषत: बुधवार के दिन किया जाता है। यह उपाय कुंडली में मौजूद बुध दोष को भी शांत करता है।

इसके लिए बुधवार के दिन सुबह नहाने के बाद हरे रंग के वस्त्र धारण करें। हरे रंग के वस्त्र या अन्य वस्तुओं का दान करें। इन वस्तुओं में घी, कांसा, कर्पूर व मिश्री का दान शामिल करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

13-फिजूल खर्ची से बचाए

अगर आपके घर में धन तो आता है लेकिन अनचाहे खर्चे से जल्द से जल्द चला जाता है। तो कपूर का एक उपाय करें। इसके लिए सूर्यास्त के समय कर्पूर का दीप जलाएं, उसे सारे घर में घुमाएं। अंत में तुलसी पर आरती करके घर के मंदिर में स्थापित कर दें। इससे देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

14-हर शाम करें ये उपाय

लेकिन अगर आप रोजाना भी यह कार्य करें, तो आपके घर में धन और खुशियां दोनों बनी रहेंगी। रोजाना संध्या के समय घर के हर बैडरूम में कपूर जलाने से रोग-शोक नष्ट होते हैं।

15 -बुरी ऊर्जा रखे दूर 

घर में बुरी ऊर्जा का वास होने से दुख-क्लेश बढ़ता है, इसके छुटकारा पाने के लिए कपूर का प्रयोग करें। इसके लिए थोड़े से गंगा जल में कपूर मिकलाकर मेन गेट पर छिूड़क दें, ऐसा करने से किसी भी तरह की बुरी बला और नकारात्मक प्रभाव घर में प्रवेश नहीं करता।


Sunday, 4 December 2016

1540-आनंद प्राप्ति कि कुंजी ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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आनंद प्राप्ति कि कुंजी ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘


सुख बाँटने की वस्तु है, रखने की नहीं। जो प्राणी सुखको रखने का प्रयत्न करता है, उससे सुख छिन
जाता है, मिलता कुछ नहीं। और जो प्राणी सुख बाँट देता है, उसको आनन्द मिल जाता है।

- Pujya Sant Shri Asaram Bapu Ji 


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कार्य सिद्धि के लिए 


“ ॐ गं गणपतये नमः ”

Om gam ganpatay Namah

🍁 हर कार्य शुरु करने से पहले इस मंत्र का 108 बार जप करें, कार्य सिद्ध होगा

 -Uttarayan Shivir Amdavad 2008