Friday, 15 July 2016

1449_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं। संत मिलन सम सुख जग नाहीं ॥ 
पर उपकार बचन मन काया। संत सहज सुभाउ खगराया ॥॥

 भावार्थ:-जगत् में दरिद्रता के समान दुःख नहीं है तथा संतों के मिलने के समान जगत् में सुख नहीं है। और हे पक्षीराज! मन, वचन और शरीर से परोपकार करना, यह संतों का सहज स्वभाव है॥॥

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