Thursday, 14 April 2016

1418_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति

साधक'पर' की सेवा करते-करते 'पर' में 'स्व' को देखता है, 'स्व' में 'पर' को देखता है. 'स्व' और 'पर' की भ्रांति मिटाकर एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति के अनुभव में जग जाता है।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.