Sunday, 3 April 2016

1408_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
आनन्द सन्त फकीर करे
सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे

कुछ खौफ नहीं जागीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
आनन्द नहीं अमीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
हर रंग में सेवक रूप रहे
अमृत जल का ज्यूँ कूप रहे
हर रंग में सेवक रूप रहे

अमृत जल का ज्यूँ कूप रहे
सत्कर्म करे और चुप रहे
सत्कर्म करे और चुप रहे
भले छाँव मिले या धूप रहे
भले छाँव मिले या धूप रहे

निस्पृही बने जग में विचरे
निस्पृही बने जग में विचरे

रहे वे धीर गम्भीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
आनन्द सन्त फकीर करे

जग तारण कारण देह धरे
सत् सेवा करे जग पाप हरे
जग तारण कारण देह धरे
सत् सेवा करे जग पाप हरे
जिज्ञासु के घट में ज्ञान भरे
जिज्ञासु के घट में ज्ञान भरे
सत् वाणी सदा मुख से उचरे
सत् वाणी सदा मुख से उचरे
शदृपि को बस कर रंग में रमे
शदृपि को बस कर रंग में रमे

रहे वे सदा शूर वीरी में

जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
आनन्द सन्त फकीर करे
सत् बोध जगत में आइत है
सत् मार्रग को दिखलाइत है
सत् बोध जगत में आइत है

सत् मार्रग को दिखलाइत है
गुरु ज्ञान से पद यह गाइत है
गुरु ज्ञान से पद यह गाइत है
सत्कार शब्द समझाइत है
सत्कार शब्द समझाइत है

मरजीव बने सो मौज करे
मरजीव बने सो मौज करे

रहे वे अल्मस्त फकीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे

वो आनन्द नहीं अमीरी में

सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे

कुछ खौफ नहीं जागीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे

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