Wednesday, 12 August 2015

1308_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>>>> मधुर वाणी <<<<
जैसे जहाज समुद्र को पार करने के लिए साधन है वैसे ही सत्य ऊर्ध्वलोक में जाने के लिए सीढ़ी है । व्यर्थ बोलने की उपेक्षा मौन रहना बेहतर है । वाणी की यह प्रथम विशेषता है । सत्य बोलना दूसरी विशेषता है । प्रिय बोलना तीसरी विशेषता है । धर्मसम्मत बोलना यह चौथी विशेषता है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

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