जिनकी
जीवन नैया प्यारे, सदगुरु ने सँभाली है।
उनके
मन की बगिया की, महकी हर सूखी डाली है।।
निगुरों
के हैं दिन अंधियारे, उनकी रात उजियारी है।
जो
मिटे सदगुरु चरणों में, उनकी बात निराली है।।
जिसने
गुरु के प्रेमामृत की, भर-भर के पी प्याली है।
मानव
जनम सफल है उनका, उनकी रोज दिवाली है।।