तुम
गुरु को अपना
उर-आँगन
दे दो। अपनी
मान्यताओं और अहं को
हृदय से
निकालकर गुरु
से चरणों में
अर्पण कर दो।
गुरु उसी हृदय
में
सत्य-स्वरूप प्रभु
का रस छलका
देंगे। गुरु
के द्वार पर अहं लेकर
जानेवाला
व्यक्ति गुरु
के ज्ञान को
पचा नही सकता, हरि
के प्रेमरस
को चख नहीं
सकता।
अपने
संकल्प के
अनुसार गुरु
को मत चलाओ
लेकिन गुरु के
संकल्प में
अपना संकल्प
मिला दो तो बेडा़
पार हो जायेगा।-Pujya Asharam Ji Bapu

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