Wednesday, 26 June 2013

1136_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब पुरूष अपने आत्मा के अकर्त्तापने को और अभोक्तापन को मानता है तब उसकी सम्पूर्ण चित्तवृत्तियाँ  निश्चय करके नाश होती हैं।
-अष्टावक्र मुनि

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