Tuesday, 7 May 2013

1090_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तीव्र विवेक-वैराग्य हो, अन्तःकरण के साथ का तादात्म्य तोड़ने का सामर्थ्य हो तो अपने नित्य, मुक्त, शुद्ध, बुद्ध, व्यापक चैतन्य स्वरूप का बोध हो जाय। 
 -Pujya Asharam Ji Bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.