Saturday, 18 August 2012

740_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यर्थ के भोगों से बचने के लिए परोपकार करो और व्यर्थ चिन्तन से दूर रहने के लिए ब्रह्मचिन्तन करो। व्यर्थ के भोगों और व्यर्थ चिन्तन से बचे तो ब्रह्मचिन्तन करना नहीं पड़ेगा, वह स्वतः ही होने लगेगा। आगे चलकर ब्रह्मचिन्तन पूर्णावस्था में पहुँचकर स्वयं भी पूरा हो जायेगा।
-Pujya asharam ji bapu

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.