Monday, 9 July 2012

660_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे बालक प्रतिबिम्ब के आश्रयभूत दर्पण की ओर ध्यान देकर प्रतिबिम्ब के साथ खेलता है, जैसे पामर लोग यह समग्र स्थूल प्रपंच के आश्रयभूत आकाश की ओर ध्यान देकर केवल स्थूल प्रपंच की ओर ध्यान देते हैं, वैसे ही नाम-रूप के भक्त, स्थूल दृष्टि के लोग अपने दुर्भाग्य के कारण समग्र संसार के आश्रय सच्चिदानन्द परमात्मा का ध्यान करके संसार के पीछे पागल होकर भटकते रहते हैं |

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